उर्दू दैनिक ‘वारिसे अवध’ में फर्जी मान्यता के खिलाफ क्यों नहीं हो रही कार्यवाही
उर्दू दैनिक समाचार पत्र वारिसे अवध की प्रमाणित प्रसार संख्या को सूचना विभाग के प्रचलित नियमों और मानकों के आधार पर वाराणसी और फैजाबाद संस्करण से किसी भी संवाददाता की मान्यता निर्गत किए जाने का कोई प्रावधान नहीं है।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार के शासनकाल को खत्म हुए लगभग 6 वर्ष बीत गए हैं परंतु आज भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके मंत्रियों द्वारा समाजवादी कार्यकाल के भ्रष्टाचार की बातें दोहराई इसलिए जा रही है क्योंकि समाजवादी सरकार के कार्यकाल में जो भ्रष्टाचार के बीज डाले गए थे आज वो बड़े बड़े वृक्ष बनकर उभरे है और उनकी जड़ें इतनी मजबूत हो चुकी है कि भाजपा सरकार के कद्दावर मंत्री और स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों की अवहेलना करते हुए अधिकारी उन्हीं पेड़ों की छत्रछाया में अपने को सुरक्षित महसूस करके आरामदायक जिंदगी गुज़ार रहे हैं।
सरकारी आवास आवंटन की प्रक्रिया या सरकार द्वारा पत्रकारों को राज्य मुख्यालय मान्यता प्रदान किए जाने के नियम एवं कानून का खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं इसका जीता जागता नमूना है, उर्दू दैनिक वारिसे अवध जिसका प्रकाशन लखनऊ में सरकारी आवास से किया जाता है एवं वाराणसी और फैजाबाद से फ़र्ज़ी प्रसार संख्या दिखाया जाता है जबकि किसी भी बुक स्टाल या घरों में अखबार न तो दिखाई देता है और न ही कोई जानता है लेकिन इससे जुड़े अनेक संवाददाताओं को न सिर्फ सरकारी आवास आवंटित किए गए हैं बल्कि इन सरकारी आवास से व्यावसायिक गतिविधयों के संचालन किये जाने की शिकायतों को दरकिनार कर दिया गया है।
उर्दू दैनिक समाचार पत्र वारिसे अवध की प्रमाणित प्रसार संख्या को सूचना विभाग के प्रचलित नियमों और मानकों के आधार पर वाराणसी और फैजाबाद संस्करण से किसी भी संवाददाता की मान्यता निर्गत किए जाने का कोई प्रावधान नहीं है। नियमों की धज्जियां उड़ाने और योगी सरकार का उपहास बनाने के लिए समाचार पत्र का प्रकाशन सरकारी आवास से किया जा रहा है जबकि राज्य संपत्ति विभाग द्वारा इन आवासों का आवंटन किसी भी व्यावसायिक गतिविधियों के लिए नहीं किया जाता है और तो और समाचार पत्र के संवाददाता आसिफ़ जाफरी जिनका नाम अनेक आतंकी घटनाओं और आतंकवादियों के साथ सुर्खियों में रहा है उनकी राज्य मुख्यालय की मान्यता देकर सरकारी आवास आवंटित किया गया है जिसके संबंध में अनेक शिकायती पत्रों को राज्य संपत्ति विभाग और सूचना विभाग को प्रेषित किया गया परंतु समाजवादी सरकार की वापसी का खौफ़ दिखाकर अधिकारियों को देख लेने की धमकी से डराया धमकाया जाता है और योगी सरकार में अपना सिक्का और रुतबा आज भी जमाया जा रहा है।
DAVP वेबसाइट से विभाग द्वारा निम्न प्रसार संख्या को प्रमाणित किया जा सकता है रू
वाराणसी : 25000:: DAVP Code: 161249
फैज़ाबाद : 25000:: DAVP Code:161357
लखनऊ : 25000:: DAVP Code: 161087
पूर्व में आसिफ जाफरी, शारिब जाफरी और उनके आधा दर्जन कुनबों द्वारा फर्जी मान्यता के आधार पर हथियाये सरकारी सरकारी मकान के अनेक शिकायती पत्रों को प्रेस प्रभाग द्वारा दबा दिए गए थे जबकि आसिफ जाफरी द्वारा नियमो और मानकों को दरकिनार करते हुए सरकारी आवास से पत्रिका प्रकाशन का व्यवसाय किया जा रहा है।
सूचना विभाग से शारिब जाफरी ने वर्ष 2012 में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सी, न्यूज नाम के तथाकथित चौनल के नाम से राज्य मुख्यालय की प्रेस मान्यता हासिल की थी। उक्त मान्यता (प्रेस कार्ड संख्या 427) हेतु श्री शरिब जाफरी द्वारा आज की खबर नाम के समाचार पत्र का अनुभव प्रामण पत्र लगाया गया था जबकि भारत सरकार के समाचार पत्र के पंजीयक कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार पूरे भारत में आज की खबर नाम से किसी भी समाचार पत्र प्रकाशन हेतु कोई भी शिर्षक आवटिंत नही किया गया।
जिलाधिकारी कार्यालय से जनसूचना अधिकार से मिली जानकारी प्रमाणित करती है कि आसिफ जाफरी व्यवसायी है और पत्रिका द न्यूज़ कार्नर के प्रकाशक मुद्रक स्वामी के रूप में दिनांक 24.06.2023 को जिलाधिकारी के सम्मुख हस्ताक्षर किए गए है जिसकी पुष्टि विभाग द्वारा जिलाधिकारी कार्यालय एवं पुलिस विभाग से प्राप्त की जा सकती है। आपकी सुविधा के लिए घोषणा पत्र की प्रति संलग्न है।
SrNo | Title | Application No | Title Code | Language | Periodicity | Publication City | Owner |
1 | THE NEWS CORNER | 1381653 | UPHIN50478 | HINDI | MONTHLY | LUCKNOW | SYED ASIF RAZA JAFRI |
अगर किसी मान्यता प्राप्त पत्रकार के खिलाफ शिकायती पत्र साक्ष्य सहित प्राप्त होता है तो उत्तर प्रदेश प्रेस मार्गदर्शिका 2008 में निहित प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाती है परंतु निदेशक महोदय के सम्मुख अनेक पत्रों के माध्यम से साक्ष्य उपलब्ध कराने के उपरांत भी कार्यवाही नही की गई और अब मान्यता नवीनीकरण के नाम पर उन्ही पत्रों को आधार बनाकर वसूली की दुकान खुल गयी है,
प्रेस प्रभाग के लिए ये शिकायती पत्र कमाई का सुनहरा अवसर बनता है या निदेशक महोदय कार्यवाही करेंगे ये मान्यता नवीनीकरण के उपरांत साबित हो जाएगा। मेरा कर्म है सच्चाई को साक्ष्यों के साथ प्रस्तुत करना और कार्यवाही न होने की दशा में माननीय न्यायालय के सम्मुख गुहार लगाई जाएगी।