अक्टूबर 2023 से इज़रायली सेना ने गाजा में 145 से अधिक पत्रकारों की हत्या की
इस साल दुनिया भर में 54 पत्रकार मारे गए, जिनमें से 31 मौतें गाजा, इराक, सूडान, म्यांमार और यूक्रेन जैसे युद्ध संघर्ष क्षेत्रों में हुईं. आरएसएफ के आंकड़ों से पता चलता है कि इनमें से लगभग 30% मौतें गाजा में हुईं, जहां कम से कम 35 पत्रकार अपने काम के सिलसिले में मारे गए.
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) की हालिया रिपोर्ट 2024 में पत्रकारों और पत्रकारिता की गंभीर स्थिति दर्शाती है. इस साल मीडियाकर्मियों के खिलाफ हिंसा बढ़ी है, खासकर संघर्ष क्षेत्रों में. इस वर्ष मारे गए आधे से अधिक पत्रकारों की जान संघर्ष वाले क्षेत्रों में गई. गाजा पट्टी पत्रकारों के लिए विश्व स्तर पर सबसे घातक क्षेत्र के रूप में उभरा है.
सबसे अधिक पत्रकारों की मौत पर संघर्ष क्षेत्रों में हुई
रिपोर्ट के अनुसार इस साल दुनिया भर में 54 पत्रकार मारे गए, जिनमें से 31 मौतें गाजा, इराक, सूडान, म्यांमार और यूक्रेन जैसे युद्ध संघर्ष क्षेत्रों में हुईं. आरएसएफ के आंकड़ों से पता चलता है कि इनमें से लगभग 30% मौतें गाजा में हुईं, जहां कम से कम 35 पत्रकार अपने काम के सिलसिले में मारे गए.
अक्टूबर 2023 से इस क्षेत्र में 145 से अधिक पत्रकारों की मौत में इजरायली सेना शामिल है. आरएसएफ ने इन हत्याओं को संबोधित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय में चार युद्ध अपराध शिकायतें दर्ज की हैं. फिलिस्तीन पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देश बन गया है, जहां पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक मौतें दर्ज की गई हैं.
बढ़ती नज़रबंदी: 550 पत्रकार सलाखों के पीछे
वैश्विक स्तर पर देखें तो, वर्तमान में 550 पत्रकार जेल में हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 7% की वृद्धि है. इस बढ़ोतरी का कारण रूस और इज़रायल में अधिक पत्रकारों को हिरासत में लिया जाना है, जो गाजा हमले की शुरुआत के बाद से पत्रकारों की तीसरी सबसे बड़ी जेल बन गया है. दुनिया भर में कैद पत्रकारों में से लगभग आधे चार देशों- चीन (124 पत्रकार), म्यांमार (61), इज़रायल (41) और बेलारूस (40) में हैं.
बंधक और लापता पत्रकार
इस वर्ष की रिपोर्ट में बंधक बनाए गए 55 पत्रकारों और 95 पत्रकारों के लापता होने की दुर्दशा पर भी प्रकाश डाला गया है. सीरिया बंधक स्थितियों का केंद्र बना हुआ है, जिसमें 70% मामले इस्लामिक स्टेट द्वारा अपहरण से जुड़े हैं. यमन में 2024 में दो नए अपहरण हुए, जबकि माली में पिछले साल इसी तरह के मामले दर्ज किए गए थे.
लापता पत्रकारों में से 45% जबरन गायब किए जाने के शिकार हैं. इन मामलों में मेक्सिको, सीरिया और फिलिस्तीन जैसे देश प्रमुखता से शामिल हैं. आरएसएफ ने राष्ट्रों से इस बढ़ती चिंता को दूर करने के लिए जबरन गायब होने से सभी व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन की पुष्टि करने का आग्रह किया है.