जय शर्मा अनंत, जय कथा अनंता : खाद्य एवं रसद विभाग में आयुक्त कार्यालय में ही फल-फूल रहीं भ्रष्टाचार की जड़ें (पार्ट-3)
बीते दिनों वरिष्ठ पत्रकार राजेश श्रीवास्तव ने जय शर्मा के विरुद्ध दर्ज मामलों की जानकारी विभाग से एक आईजीआरएस के माध्यम से मांगी तो विभाग ने दो बार साक्ष्य और शपथ पत्र मांगकर 1997 में जारी शासनादेश का हवाला दिया कि उक्त शसनादेश में कहा गया है कि समूह क, ख और ग के कर्मचारियों के विरुद्ध किसी भी शिकायत को जब तक शपथ पत्र पर साक्ष्य देकर न पुष्ट किया जाये तब तक उस पर जांच नहीं की जा सकती।
भ्रष्टाचारियों को पनाह देने में खाद्य रसद के अधिकारी भी पीछे नहीं, मुख्यमंत्री की जीरो टालरेंस नीति को लगा रहे पलीता अपर आयुक्त कामता प्रसाद को अपने ही शासनादेश की जानकारी नहीं जय शर्मा के बिछाये जाल में फंसे हैं उच्चाधिकारी
जय शर्मा
लखनऊ । खाद्य आयुक्त के पीएस जय शर्मा के मन-मस्तिष्क मंे मानो भ्रष्टाचार की जडें इतनी पांव पसार चुकी है कि उसकी लताओं में उच्चाधिकारियों को भी उसने समेट लिया है और अधिकारी भी ऐसे हैं कि अगर जय शर्मा ने कुछ रचा है तो उसकी जांच भी उचित ढंग से नहीं करते। हालत यह हो गयी है कि अपर आयुक्त के पद पर तैनात कामता प्रसाद को अपने ही सरकार के शासनादेश की जानकारी नहीं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टालरेंस नीति को पलीता लगाने में जुटे हैं।
बीते दिनों वरिष्ठ पत्रकार राजेश श्रीवास्तव ने जय शर्मा के विरुद्ध दर्ज मामलों की जानकारी विभाग से एक आईजीआरएस के माध्यम से मांगी तो विभाग ने दो बार साक्ष्य और शपथ पत्र मांगकर 1997 में जारी शासनादेश का हवाला दिया कि उक्त शसनादेश में कहा गया है कि समूह क, ख और ग के कर्मचारियों के विरुद्ध किसी भी शिकायत को जब तक शपथ पत्र पर साक्ष्य देकर न पुष्ट किया जाये तब तक उस पर जांच नहीं की जा सकती। हालांकि श्री श्रीवास्तव ने इसके सापेक्ष शपथ देकर मामले की जांच का अनुरोध किया लेकिन जय शर्मा के चगुल में फंसे अधिकारियों ने यह कहकर निस्तारण कर दिया कि आपने साक्ष्य नहीं प्रस्तुत किया है।
इस क्रम में अपर आयुक्त की ओर से पत्र जारी कर जानकारी दी गयी। इस प्रकरण में अपर आयुक्त के पद पर तैनात कामता प्रसाद को यह भी जानकारी नहीं है कि वर्ष 97 के शासनादेश के संबंध में 29 जनवरी 2०24 को अपर मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन तत्कालीन डा. देवेश चतुर्वेदी द्बारा एक आदेश जारी किया गया जिसमें कहा गया कि यह व्यवस्था केवल विशिष्ट व्यक्तितयों अर्थात जनप्रतिनिधियों द्बारा अग्रसारित पत्रों के संब्ांध में लागू होगी। यदि कोई सामान्य व्यक्ति इस तरह के शिकायती पत्र भ्ोजता है तो केवल शपथ पत्र मांगा जायेगा, साक्ष्य आवश्यक नहीं है। लेकिन विभाग के अधिकारियों को जब नियमों की जानकारी ही नहीं हो तो क्या कहा जा सकता है।
खाद्य आयुक्त के पीएस जय शर्मा की कुछ खबरें क्या मीडिया में आयीं उनके द्बारा सताये गये पीड़ितों ने खुद आकर उनके उत्पीड़न की कहानियां परोसनी शुरू कर दी हैं। उनके छात्र जीवन से लेकर मोहल्ले तक की कहानियां का तो मानो अंबार लगा हुआ है। लेकिन जुगाड़ तंत्र के चलते उसने अधिकारियों पर ऐसा जादू कर रखा है कि मजाल जय शर्मा के विरुद्ध कोई आवाज उठा ले । अभी तो जय शर्मा के विरुद्ध दर्ज शिकायतों का पुलिंदा सरिता प्रवाह के पास मौजूद है। और हम क्रमवार उनको आपके समक्ष उजागर करते रहेंगे। देखना यह है कि भ्रष्टाचार की जड़ों में खाद पानी डाल रहे जय शर्मा पर कब विभाग कार्रवाई करेगा।
जय शर्मा के विरुद्ध दर्ज हर शिकायत का हो जाता है बिना कार्रवाई के निस्तारण प्रकरण – 1
एक शिकायत याची श्याम लाल शर्मा निवासी लाल गोपालगंज निंदौरा, प्रयागराज द्बारा जय शर्मा के विरुद्ध गंभीर प्रकरण में की गयी। इस संबंध में उत्तर प्रदेश शासन के तत्कालीन संयुक्त सचिव असीम कुमार सिंह ने आदेश जारी किया कि जय शर्मा को तत्काल कैंप कार्यालय जवाहर भवन से अन्यत्र स्थानांतरि करके उनकी सारी संपत्तियों की जांच करते हुए कार्यवाही की जाये। लेकिन अपर आयुक्त कामता प्रसाद ने इस प्रकरण को भी यह कहकर निस्तारित कर दिया कि इस सबंध में शिकायतकर्ता कोई साक्ष्य नहीं उपलब्ध करा सका। लेकिन इनकी ओर से जय शर्मा की संपत्ति की जांच के सबंध मंे कोई कोई कार्रवाई नहीं की गयी।
प्रकरण – 2
वरिष्ठ पत्रकार राजेश श्रीवास्तव ने भी जय शर्मा के विरुद्ध कई मामलों में शिकायत की। इस संबंध में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की ओर से इस संबंध में कार्रवाई कर जांच कराने का आदेश किया गया। इसमें भी कामता प्रसाद ने यह कहकर निस्तारण कर दिया कि शिकायतकर्ता कोई साक्ष्य नहीं उपलब्ध करा सका।
सवाल :
1. यह जांच का विषय है कि आखिर अपर आयुक्त कामता प्रसाद सिंह जय शर्मा पर अपनी मेहरबानी क्यों दिखा रहे हैं। क्या जय शर्मा के आगे मुख्य सचिव, संयुक्त सचिव सभी के आदेश बेमानी हैं।
2. पिछले छह सालों से अधिक समय से जय शर्मा किन नियमों के तहत अपने पद पर बने हुए हैं। जबकि उनसे वरिष्ठ लोग विभाग के भीतर मौजूद हैं।
3. आखिर जय शर्मा पर कार्रवाई कब होगी। उनकी संपत्ति की जांच कब होगी ।
4 जय के विरुद्ध दर्ज शिकायतों की पत्रावली विभाग में कहां है क्या उसकी पत्रावली अधिष्ठान में मौजूद है,यह भी जांच का विषय है।