पूर्व खाद्य आयुक्त के कंप्यूटर एवं प्रिंटर बढ़ा रहे जय शर्मा के घर की शोभा
जय शर्मा अनंत,जय कथा अनंता : खाद्य रसद विभाग में आयुक्त कार्यालय में ही फल-फूल रहीं भ्रष्टाचार की जड़ें (पार्ट-4)

भ्रष्टाचारियों को पनाह देने में खाद्य रसद के अधिकारी भी पीछे नहीं, मुख्यमंत्री की जीरो टालरेंस नीति को लगा रहे पलीता
अपने ही कार्यालय के कर्मचारियों के पत्र को आयुक्त तक नहीं पहुंचने देते जय शर्मा
लखनऊ। बीते दिनों मुख्यमंत्री ने जब खाद्य विभाग की समीक्षा की थी तो उन्होंने अधिकारियों को नसीहतें थमायी थीं कि भ्रष्टाचार से सीध्ो निपटा जाये और विभाग में भ्रष्टाचार को कतई पनपने न दें। लेकिन मुख्यमंत्री को क्या पता था कि भ्रष्टाचार तलाशने के लिए कोई राकेट साइंस की जरूरत नहीं है। खुद कमिश्नर के पीएस ही उसकी जड़ों को खाद-पानी दे रहे हैं।
जब संवाददाता ने जय शर्मा के कारनामों की तलाश करनी शुरू की तो एक से बढ़कर एक कारनामे सामने आने शुरू हो गये हैं। अपनी जुगाड़ के चलते जय शर्मा बीते सात सालों से अधिक समय से पीएस के पद पर तैनात है। उसके खिलाफ अब तक तकरीबन दर्जन भर से अधिक शिकायतें हो चुकी हैं लेकिन पीड़ितों को यह नहीं पता कि उनको फाइलों में भी स्थान नहीं मिला है। शिकायतों के बाबत बात करने पर खाद्य आयुक्त कार्यालय के ही कर्मचारी दबी जुबान पर कहते हैं कि जय शर्मा के बाबत कोई कार्रवाई संभव नहीं चाहे कुछ भी कर लीजिये। बताते हैं कि जय शर्मा ने पूर्व कमिश्नर व आईएएस सौरभ बाबू के कार्यकाल के दौरान उनके कार्यालय में मेज पर शोभा बढ़ा रहे कंप्यूटर व कलर प्रिंटर को उनके जाने के बाद अपने ड्राइंग रूम में पहुंचा दिया और यह जानकारी दी कि उक्त कंप्यूटर खराब हो गया है।
जय शर्मा की पहंुच इतनी है कि जब संवाददाता ने अपर मुख्य सचिव रणवीर प्रसाद से बात की तो उन्होंने कहा कि आयुक्त को कार्रवाई करनी चाहिए । यह उनका अधिकार है। और तो और जय शर्मा ने पूर्व कमिश्नर का भी नाम लेकर रौब कम नहीं गांठे । वह तो यह भी कहता घूमता है कि उनके और मिस्टर कुमार के बीच अच्छे संबंध हैं ।
जय शर्मा की पहुंच का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि विभाग के कर्मचारी जो भी पत्र लिखते हैं और आयुक्त तक अपनी शिकायत पत्रों के माध्यम से पहुंचाते हैं। उनकोे जय कमिश्नर तक पहुंचने ही नहीं देता बल्कि उनको एसीई को मार्क करने को भ्ोज देता है जो बाद में मार्क-मार्क खेलकर दम तोड़ देते हैं। उसके नेटवर्क का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है उससे वरिष्ठ उसी पद के योग्य कर्मचारी उसी कार्यालय में किनारे लगाये जा चुके हैं। जय शर्मा को एक बार पूर्व के आयुक्त इसे इंदिरा भवन स्थित फूड सेल भ्ोज चुके हैं। लेकिन जुगत के बल पर यह फिर आ धमका।
सूत्रों की मानें तो जय शर्मा को जब हटाया जाता है तो वह किसी ऐसे कर्मचारी को अपनी जगह तैनात कराता है जो काम ही नहीं कर पाये ताकि कुछ दिन फिर यह संदेश जाये कि जय के अलावा कोई कार्य नहीं संभाल सकता और फिर जय शर्मा की भव्य वापसी हो जाती है। इस बार भी जय इसी कवायद में जुटा है। अब देखना है कि इस सारी जुगत पर कब आयुक्त खाद्य रसद की नजर पड़ती है और जय को उनके किये की सजा मिलती है। ताकि मुख्यमंत्री की जीरो टालरेंस नीति को स्वर मिल सकें और यह संदेश जाये कि खाद्य विभाग में भ्रष्टाचार करने वालों की कोई जगह नहीं है।
