पुण्य प्रसून ने ‘ बिस्कुट वाले लाला ‘ को टिकट दिलाने का दिया था झांसा? कांग्रेस का टिकट घोषित होते ही गुस्साए लाला ने प्रसून को कहा, ‘ निकल जाइए !’

चुनाव आयोग ने ज्यों ही लोकसभा चुनाव की घोषणा की, सूर्या टीवी में बैठे पुण्य प्रसून वाजपेयी ने पफेक नरेशन गढ़ते हुए कहा, ‘मोदी सरकार अब ‘केयर टेकर’ सरकार हो गयी है।’ अभी सप्ताह भी नहीं बीता था कि पुण्य प्रसून वाजपेयी खुद ही ‘केयर टेकर’ की भूमिका में आ गये हैं। चैनल से जुड़े सूत्र बताते हैं कि सूर्या टीवी के बिस्कुट वाले लाला (मालिक) ने पुण्य प्रसून को साफ-साफ कह दिया है कि अपना ताम-तंबूरा समेटिए और यहां से चलते बनिए। लाला ने 31 मार्च की डेडलाइन पुण्य प्रसून के लिए तय कर दी है।

सूर्या टीवी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि ज्यों ही कांग्रेस ने लोकसभा के उम्मीदवरों की सूची जारी की, बिस्कुट वाला लाला दहाड़ उठा। सूत्र बताते हैं कि वह पुण्य प्रसून वाजपेयी को अपने चैनल का सर्वेसर्वा बनाकर लाया ही इसलिए था कि वह उसे नोएडा से कांग्रेस का टिकट दिलवाएगा। पुण्य ने कांग्रेस में इसके लिए कोशिश भी की थी, लेकिन छलिया कांग्रेस को इस बार यह पत्रकार फांस नहीं पाया, जिस कारण उसके खुद के गले में ‘फंसरी’ पड़ गयी।

पाठकों को याद होगा कि सोनिया गांधी की ‘मनमोहनी’ सरकार में पत्राकार सत्ता की दलाली किस तरह किया करते थे? पत्रकार, पत्रकारिता कम, पाॅवर ब्रोकिंग ज्यादा किया करते थे। 2जी में पूरी दुनिया ने देखा कि एक महिला पावर ब्रोकर पत्रकार ने मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने से पूर्व ही ए.राजा को टेलीकाॅम मंत्री बनवा दिया था। कोयला आवंटन घोटाले में तो हिंदी के सबसे बड़े दैनिक और हिंदी के सबसे बड़े चैनल में देश के संसाधनों को लूटने की जैसे होड़ मची थी, और वहां भी पत्राकार पाॅवर ब्रोकर की ही भूमिका में थे। कांग्रेस राज में सत्ता की दलाली बड़े-बड़े संपादकों का मुख्य पेशा होता है। बिस्कुट वाले लाला ने यही सोच कर अपने चैनल में बड़े चेहरे पर दाव लगाया था।

सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस का टिकट घोषित होते ही सूर्या टीवी के मालिक ने पुण्य प्रसून को बुलाकर कहा, ‘मुझे अपने चैनल में छंटनी करनी है, आप सूची दीजिए।’ पुण्य वहां काम करने वाले पुराने पत्राकारों की सूची लेकर लाला के पास पहुंचे। लाला ने सूची उठाकर पफेंक दिया और कहा, ‘पुराने नहीं, बाद में आपने तो मोटी सैलरी पर लोगों को यहां भरा है, उसकी सूची लाइए, सबको बाहर निकालना है।’ असल में पुण्य से पहले जो पत्रकार वहां काम कर रहे थे, उनकी सैलरी मामूली थी, लेकिन खुद के लिए करोड़ों की सैलरी सेट करने के बाद पुण्य ने बड़ी मोटी-मोटी सैलरी पर अपने चंपुओं को लाकर चैनल में बिठा लिया था।

चैनल के सूत्र बताते हैं कि लाला लोकसभा में कांग्रेस से टिकट के लालच में यह सब सहता रहा, लेकिन ज्यों ही कांग्रेस की सूची आयी और उसमें लाला ने अपना नाम नहीं देखा, लाला आपे से बाहर हो गया। फिर उसने सबको बाहर निकालने का निर्णय ले लिया। दिल्ली के लुटियन्स-जोन में यह सभी जानते हैं कि ज्यादातर चैनल मालिकों ने खबरों के लिए नहीं, बल्कि सत्ता की दलाली के लिए ही न्यूज चैनल खड़ा किया है। एनडीटीवी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिस पर हवाला मनी से लेकर मनी लाउंडरिंग तक का आरोप लगा। तरुण तेजपाल और उसका ‘तहलका’ सुपारी पत्रकारिता के जरिए किस तरह कांग्रेस की दलाली और पोंटी चड्ढा जैसे शराब व्यावसायी के साथ से करोड़ों का साम्राज्य खड़ा करता चला गया, यह किसी से छिपा नहीं है।

आजतक से निकाले जाने पर स्वामी रामदेव पर तो ABP न्यूज से निकाले जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगा कर ‘विक्टिम-कार्ड’ खेलने वाला पुण्य प्रसून इस बार किस तरह का कार्ड खेलता है, यह अभी देखना बांकी है। आखिर बिस्कुट वाले लाला ने उसके आगे से परोसी हुई बिस्कुट छीनी है, पुण्य चिल्लाएगा तो जरूर! हां, इस बार भी कांग्रेस नहीं, कहीं न कहीं अपनी कुंठा वह भाजपा और नरेंद्र मोदी पर ही निकालेगा। आखिर एक पूर्ण सरकार को ‘केयर टेकर’ सरकार कहने वाले की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति कुंठा किसी से छुपी थोड़े न है?

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