हत्यारे मंत्री-माफिया-पुलिस और पत्रकारों की चौकड़ी का जिन्दा सुबूत
यह है एक निर्भीक पत्रकार को जिन्दा फूंकने के लिए हत्यारे मंत्री-माफिया-पुलिस और पत्रकारों की चौकड़ी का जिन्दा सुबूत। यह सुबूत है कि कैसे जागेन्द्र सिंह को मंत्री और पुलिसवालों ने अंतहीन उत्पीड़न और मारक तनाव दिये, बल्कि यूपी सरकार में सच बोलने वालों को हश्र क्या होता है। मैं इस सरकार के मंत्री, सरकार की निर्मम-निष्ठुर-अमानवीय पुलिस, दलाल पत्रकार चौकड़ी की भत्र्सना करता हूं जो बिलकुल संगठित अपराध-गिरोहों की शैली अपनाये हुए हैं।
दस मई को एक हल्की झड़प के बाद अमित भदौरिया ने जागेन्द्र समेत कई लोगों पर मारपीट की तहरीर पुलिस को दी थी, जिसे बरेली मोड़ अजीजगंज पुलिस चौकी के प्रभारी ने 11 मई की सुबह बाकायदा रिसीव किया था, लेकिन इसकी एफआईआर 12 मई को दर्ज की गयी। लेकिन इस एफआर्इआर में वह सारी सूचनाएं बुरी तरह तोड़-मरोड़ दी गयीं जो पहली तहरीर में दर्ज की गयी थीं। और जो नयी एफआईआर दर्ज करायी गयी, उसमें जागेन्द्र और उसके दोस्तों पर जानलेवा हमला करने का आरोप लगाया गया। इसका ब्योरा हमारे पास है कि किस तरह पुलिस-अपराधी और पत्रकारों ने मंत्री के इशारे पर जागेन्द्र को इतना प्रताडि़त किया और आखिरकार फिर इसी चौकड़ी ने जागेन्द्र को जिन्दा फूंक डाला। आपकी नजर के लिए हम यह मूल तहरीर भी पेश कर रहे हैं, जिसके बायें ओर बरेली के चौकी प्रभारी ने उसे अमित भदौरिया से रिसीव किया था, और दूसरी ओर है वह एफआईआर जिसमें पुलिस ने मंत्री-माफिया और पत्रकारों के इशारे पर तथ्यों को जागेन्द्र के खिलाफ जमकर तोड़ा-मरोड़ा। इतना तोड़ा कि आखिरकार जागेन्द्र सिंह को जिन्दा फूंक डाला गया। दोस्तों, अब तो पुलिस के नाम पर उबकाई आने लगी है।