रावण का खुला भेद, सूचना विभाग में सरकारी धनराशि की लंका लगाता तिजारत का खुलासा, सूचना निदेशक ने दिया उचित कार्यवाही का आश्वासन

रावण की लंका में सोने की चमक बढ़ती जा रही है वही लघु एवं मध्यम समाचार पत्र अपनी तंगहाली पर आत्महत्या करने पर मजबूर है, तो वाही एक ही RO संख्या पर समाचार पत्र तिजारत को अलग अलग तिथियों में लाखों रुपए के विज्ञापन किस आधार पर निर्गत किए गए हैं यह गंभीर जांच का विषय है। राजेन्द्र गौतम के परिवार द्वारा समाचार पत्र की आड़ में लाखों करोड़ों रुपए की आमदनी का फर्जीवाड़ा किया जा रहा है जिसमें सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता।

सूचना विभाग के निदेशक श्रीमान शिशिर सिंह द्वारा अपने दृढ़ संकल्पित निर्णय से योगी सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीतियों का पालन करते हुए राजेंद्र गौतम के पूरे परिवार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार पर जांच के आदेश देते हुए भड़ास की टीम को उचित कार्यवाही किये जाने हेतु आश्वस्त किया गया है।


उत्तर प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में सरकार किसी भी राजनीतिक दल की बने लेकिन दो समाचार पत्र पर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की मेहरबानियां का सिलसिला लगातार बना रहा है। बसपा सरकार में हॉकर के रुप मे मीडिया जगत में राजेंद्र गौतम ने अपनी करगुजारियों से ऐसा खेल खेला की मात्र कुछ वर्षों में ही करोड़ों की संपत्ति अर्जित कर ली, जहां परिवार के अन्य सदस्य अत्यंत आर्थिक दुश्वारियां का सामना कर रहे हैं वही राजेंद्र गौतम कभी विदेश की यात्रा तो कभी अपने बाग में आम चूसता नजर आता है।

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विवादित जमीन पर दिखावे के लिए लगा प्रिंटिंग प्रेस

जहां एक तरफ पत्रकारिता कर रहे ईमानदार लोगों के सामने अपने जीवन यापन का संकट मंडरा रहा है वही हॉकर से पत्रकार का दर्जा पाए राजेंद्र गौतम की ऐशोआराम की जिंदगी में दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ोतरी होती जा रही है। लखनऊ के बड़े ही कीमती इलाके डाली बाग में कार्यालय बनाने के बाद गोमती नगर जैसी जगह पर करोड़ों का आशियाना बनाना कोई मामूली बात नहीं दिखती और तो और विवादित जमीन पर कब्जा कर लाखों रुपए की मशीन खड़ी कर ली गई है जबकि आस पड़ोस के लोगों से पता चलता है कि वह मशीन सिर्फ दिखाने के लिए है और वहां छपाई कभी नहीं होती पर विवादित भूमि पर मालिकाना हक बना रहे जिसके लिए तिजारत और निष्पक्ष दिव्य संदेश समाचार पत्र के बोर्ड लगाकर आसपास के लोगों में भय का माहौल व्याप्त बनाया गया है,और विवादित भूमि पर कब्जा बरकरार रहे जबकि इस विवादित भूमि के संबंध में थाना वजीरगंज में मुकदमा दर्ज है और विवेचना जारी है।

आसपास के लोगों से पता करने पर भी इस विवादित जमीन के बारे में अनेक ऐसे खुलासे हुए हैं जिससे पता चलता है कि किसी DFO पर दबाव बनाकर जमीन लिखवा लिया गया है और विवाद बढ़ने पर इसको बेचने की तैयारी की जा रही है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में सभी नियमों को ताक पर रखकर लोकसभा चुनाव से ठीक 3 महीने पहले राजेन्द्र गौतम के समाचार पत्रों को 36 लाख का विज्ञापन दिया जाना इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि समाजवादी सरकार के नगीने आज भी भाजपा सरकार के अधिकारियों को भयभीत करके अपनी लंका के निर्माण में लगे है, अपनी इस लंका में राजेंद्र गौतम द्वारा अपनी पत्नी द्वारा संचालित समाचार पत्र में योगी सरकार के नीतियों के विरुद्ध न सिर्फ ऊलजलूल खबरे लगाई जाती है बल्कि पत्रकारों को आरोपित करने का भी काम किया जाता है।

यही नहीं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी नवनीत सहगल, अवनीश अवस्थी, एसपी गोयल, कुलपति विनय पाठक एवं अन्य के खिलाफ समाचार पत्र में धमकाने और डराने के लिए समाचार लगाकर उनकी ऑनलाइन प्रतियो को रिकॉर्ड से ही नष्ट कर दिया जाता है।
समाचार पत्र तिजारत और निष्पक्ष दिव्य संदेश राजेंद्र गौतम की पत्नी द्वारा संपादक की हैसियत से प्रकाशित किए जाते हैं एवं समाचार संपादक ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी को राज्य मुख्यालय की मान्यता दिया जाना भी नियमों का उल्लंघन है वही राजेंद्र गौतम ने अपने दोनों पुत्रों अभय राज और निर्भय राज की मान्यता भी समाचार पत्र से नियम विरुद्ध कराकर पूरी सेना तैय्यार खड़ी करी है जो समाचार पत्र के फ़र्ज़ी खेल में लिप्त है और लाखों करोड़ों रुपए की आमदनी का फर्जीवाड़ा किया जा रहा है।

समाचार पत्र तिजारत को जिन विज्ञापन एजेंसियों द्वारा विज्ञापन दिए गए हैं उनकी स्थिति देखकर बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा होता है, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक से भड़ास की टीम द्वारा व्यक्तिगत मिलकर तिजारत द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के संबंध में अनेक प्रमाण उपलब्ध कराए गए हैं जिनकी गंभीरता देखते हुए सूचना निदेशक द्वारा जांच के आदेश दिए गए तो विभागीय अधिकारी द्वारा पत्रावली गायब बताइए जाने से पूरा प्रकरण गोलमाल प्रतीत होता है।

रावण की लंका में सोने की चमक बढ़ती जा रही है वही लघु एवं मध्यम समाचार पत्र अपनी तंगहाली पर आत्महत्या करने पर मजबूर है, तो वाही एक ही RO संख्या पर समाचार पत्र तिजारत को अलग अलग तिथियों में लाखों रुपए के विज्ञापन किस आधार पर निर्गत किए गए हैं यह गंभीर जांच का विषय है। राजेन्द्र गौतम के परिवार द्वारा समाचार पत्र की आड़ में लाखों करोड़ों रुपए की आमदनी का फर्जीवाड़ा किया जा रहा है जिसमें सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता।

परंतु सूचना विभाग के निदेशक श्रीमान शिशिर सिंह द्वारा अपने दृढ़ संकल्पित निर्णय से योगी सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीतियों का पालन करते हुए राजेंद्र गौतम के पूरे परिवार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार पर जांच के आदेश देते हुए भड़ास की टीम को उचित कार्यवाही किये जाने हेतु आश्वस्त किया गया है।
जीएसटी की जांच में भी भड़ास की टीम को अनेक तथ्य मिले हैं जिनके खुलासे से राजेंद्र गौतम एवं उनके परिवार द्वारा संचालित समाचार पत्र द्वारा किए गए भ्रष्टाचार का शीघ्र खुलासा किया जाएगा।

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