कानपुर प्रेस क्लब व पुलिस कमिश्नरेट कानपुर” की सराहनीय पहल लेकिन………….

क्यों ना उन पत्रकारों की जांच करवा ली जाए, जिन्हें अपने संस्थान से वेतन धेला भी नहीं मिलता है और अगर मिलता है तो नाम मात्र अर्थात दो वक्त की रोटी ठीक से नसीब ना हो पाए। फिर पत्रकारों की "लक्जरी लाइफ" कैसे व्यतीत हो रही है ? पुलिस अधिकारियों का क्या रिश्ता है इन पत्रकारों से ? जो कुछेक पत्रकारों के अलावा उन्हें सब फर्जी नजर आते हैं ?

“कानपुर प्रेस क्लब व पुलिस कमिश्नरेट कानपुर” की पहल तो सराहनीय है लेकिन सवाल यह भी उठता है कि, “क्यों ना उन सभी पत्रकारों की जांच करवा ली जाए, जिन्हें अपने संस्थान से वेतन धेला भी नहीं मिलता है और अगर मिलता है तो नाम मात्र अर्थात दो वक्त की रोटी ठीक से नसीब ना हो पाएगी !”
फिर इन पत्रकारों की “लक्जरी लाइफ” कैसे व्यतीत हो रही है ?
क्या यह पता लगाया जाना उचित नहीं लगता कि –
-शहर में मानक विहीन बिल्डिंग बनवाने का ठेका किसके – किसके पास है ?
-होटलों में अनैतिक देह व्यापार की खबर को रोकने की जिम्मेदारी किसने-किसने ले रखी है ?
-अवैध जुआ, सट्टा किस किस के संरक्षण में चल रहा है ?
-मादक पदार्थों की बिक्री करवाने का ठेका किसके किसके पास है ?
-KDA, RTO, नगर निगम आदि का भ्रष्टाचार उजागर ना करने का ठेका किस- किस ने ले रखा है ?
-अवैध खनन, पशु तस्करी आदि करवाने का ठेका किस किस ने ले रखा है ?

कानपुर में प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ एक मामले चार्जशीट लगने की जानकारी सामने आई है. चार्जशीट पत्रकार नेता द्वारा एक हिंदी अखबार के एडिटर के साथ पुलिस ऑफिस में की गई मारपीट को लेकर लगाई गई है.

बता दें कि शनिवार 6 जनवरी 2024 को कानपुर कमिश्नरेट ऑफिस में दीनार टाइम्स के समाचार संपादक आलोक अग्रवाल से प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष अवनीश दीक्षित द्वारा मारपीट की गई थी. इस मामले में शहर के थाना कोतवाली में 7 जनवरी को एफआईआर संख्या- 8/2024 की धारा 323/504 व 506 के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था.

कोतवाली इंस्पेक्टर संतोष शुक्ला ने बताया कि, “मामले में हमारे यहां से फाइल आगे जा चुकी है. प्रकरण चार्जशीटेड हो चुका है.” पुलिस अधिकारी ने हमें यह भी बताया कि, बड़ा चर्चित मामला है, इसके लिए कई लोगों के फोन अब तक आते हैं.

पुलिस द्वारा चार्जशीट लगने के बाद दीनार टाइम्स के न्यूज़ एडिटर आलोक अग्रवाल ने बताया कि, “एफआईआर दर्ज होने के बाद तमाम तरह से मुझे पीड़ित करने, फर्जी मामलों में फंसाने का भी प्रयास किया गया. कई वरिष्ठों ने मुझसे समझौता कर लेने की बात कही. लेकिन मैने मना कर दिया था. अवनीश ने उस दिन सबके सामने बड़ी बेअदबी की थी.”

सूत्रों की माने तो अवनीश दीक्षित पर शहर के अन्य थानों में भी मुकदमें दर्ज हैं. जिनमें चकेरी, किदवई नगर, काकादेव, कोहना, नवाबगंज, बाबूपुरवा समेत सात थानों में एफआईआर है. दबंग और आपराधिक छवि होने के कारण दो से तीन मामलों में कंप्रोमाइज हो जाने की बात सामने आई है. कोहना थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर ने इसके खिलाफ बाकायदा तस्करा डाला था. आरोप था कि यह उन्हें काम नहीं करने देता था. इसके अलावा अन्य कई कारगुजारिया और हैं. जिनसे कानपुर के लोग वाकिफ हैं. लेकिन माना जा रहा है कि इस मामले का फैसला अब कोर्ट में ही होगा.

क्या है मामला 

दरशल 6 जनवरी को दीनार टाइम्स के समाचार संपादक आलोक अग्रवाल ने प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष अवनीश दीक्षित पर मारपीट करने का मुकदमा कानपुर पुलिस दर्ज कराय था

मुकदमा, संख्या 6/2024 की धारा 323/504/506 के तहत थाना नगर कोतवाली, कानपुर में दर्ज हुआ है. पूरा प्रकरण शनिवार 6 जनवरी 2024 को कानपुर कमिश्नरेट ऑफिस में पत्रकारों की हुई मीटिंग के बाद का बताया जा रहा है.

आलोक अग्रवाल का आरोप है कि, ‘मीटिंग के बाद प्रेस रूम के बाहर खड़े कानपुर प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष अवनीश ने उन्हें आवाज देकर अपने पास बुलाया और भद्दी-भद्दी गालियां देने लगे. विरोध करने पर मारपीट करते हुए जान-माल की धमकी देते हुए दोबारा प्रेस रूम या पुलिस ऑफिस में दिखाई ना देने की बात कही गई.’

कानपुर में बीते शनिवार पत्रकारों के बीच अच्छी खासी मचमच हो गई. 6 जनवरी को पुलिस मुख्यालय में हुई वरिष्ठ पत्रकारों की मीटिंग के उपरांत प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष ने एक वरिष्ठ पत्रकार को सरेआम तमाचा जड़ दिया था.

तमाचा खाये पीड़ित वरिष्ठ पत्रकार आलोक अग्रवाल ने शहर के कोतवाली थाने में आरोपित पूर्व अध्यक्ष अवनीश दीक्षित के खिलाफ आईपीसी 323/504 और 506 में रिपोर्ट दर्ज करवाई है.

मामले में बताया गया की पुलिस द्वारा कारवाई नहीं करने से क्षुब्ध आलोक अग्रवाल सपत्नीक कोतवाली पहुंच गए थे और कार्रवाई नहीं किए जाने पर थाने में ही आत्मदाह की चेतावनी दे डाली थी. आलोक अग्रवाल का आरोप है कि पुलिस ने कारवाई करने के बजाए अनसुनी की. इसलिए सम्मान के खातिर ये कदम उठाना पड़ा था.

बताया ये भी जा रहा कि पीड़ित पक्ष पर अब भी समझौते का दबाव डाला जा रहा है. बताया गया कि समझौता नहीं करने पर आलोक के खिलाफ भी फर्जी मुकदमे दर्ज करवाने की धमकियां दी जा रही हैं.

बता दें कि आलोक अग्रवाल दीनार टाइम्स (DT) अखबार में समाचार संपादक के तौर पर कार्यरत हैं. वे लगभग 25 वर्षों से अधिक मीडिया जगत में सक्रिय हैं.

बताना ये भी जरूरी है की इस मामले के आरोपित पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष अवनीश दीक्षित पहले भी इस तरह की हरकतें करते रहे हैं.

बीते 17 सितंबर, 2023 को प्रेस क्लब चुनाव की वोटिंग के दिन भी शहर के दक्षिण से संचालित हो रहे ABC न्यूज चैनल के एंकर/रिपोर्टर उमेश गोस्वामी को भी सरेआम झापड़ मार दिया था. पत्रकार उमेश ने आरोपी अवनीश द्वारा जबरन वोटिंग स्थल पर अतिक्रमण करने के प्रयास का विरोध किया था।

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