कैसे होगा चुनाव : राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के चुनाव को स्थगित किये जाने हेतु माननीय उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ में जनहित याचिका लंबित

माननीय उच्च न्यायालय में लंबित याचिका के चलते जिस तरह सरकारी भवन को तथाकथित पत्रकारों द्वारा गैर पंजीकृत संस्था उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के नाम से आम सभा की बैठक दिनांक 01.07.2024 एवं 02.07.2024 को आहूत की गई है , वो न सिर्फ गैरकानूनी है बल्कि सरकारी भवनों एवं प्रेस कक्ष के नियमो का खुला दुरुपयोग एवं उल्लंघन है।

मननीय उच्च न्यायालय, लखनऊ खंडपीठ, लखनऊ में लंबित जनहित याचिका के अंतिम निर्णय आने तक पत्रकारों से संबंधित किसी भी चुनावी प्रक्रिया में सरकारी तंत्र की भागीदारी एवं सरकारी भवनों को उपलब्ध कराया जाना न्यायहित में उचित नही

एस. पण्डित

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा तथाकथित व्यक्तियों को राज्य मुख्यालय पत्रकार की फर्जी मान्यता दिए जाने के संबंध में जनहित याचिका लंबित है जिसमें माननीय उच्च न्यायालय द्वारा शासन प्रशासन से फर्जी प्रपत्रों पर निर्गत की गई मान्यताओं के संबंध में जवाब मांगा गया है।

माननीय उच्च न्यायालय में लंबित याचिका के चलते जिस तरह सरकारी भवन को तथाकथित पत्रकारों द्वारा गैर पंजीकृत संस्था उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के नाम से आम सभा की बैठक दिनांक 01.07.2024 एवं 02.07.2024 को आहूत की गई है , वो न सिर्फ गैरकानूनी है बल्कि सरकारी भवनों एवं प्रेस कक्ष के नियमो का खुला दुरुपयोग एवं उल्लंघन है।

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा नियमावली, मार्गदर्शिका और प्रावधानों को दरकिनार कर जिस तरह अंडे वालों, चाय वालों, खोमचे वाले, मोटर मैकेनिक, कारपेंटर, मिस्त्री, फिल्मी हीरो एवं निर्माता, निर्देशक को मान्यता प्राप्त पत्रकार बनाया गया है उससे उत्तर प्रदेश के खांटी पत्रकारिता करने वालों की गरिमा पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लग रहा है। जो लोग वास्तविकता में पत्रकारिता क्षेत्र में अनेक वर्षों से कार्यरत है, उनको मान्यता मिल नही पाती है और अति सुरक्षित भवनों जैसे सचिवालय, लोकभवन आदि में समाचार एवं प्रेस कवरेज की दृष्टि से उनका प्रवेश भी वर्जित कर दिया जाता है।

गुलदस्ता छाप पत्रकारों की भीड़ द्वारा उत्तर प्रदेश की मीडिया को कलंकित करने का कार्य बखूबी किया जा रहा है और पत्रकारिता केवल रील और जन्मदिन का उत्साह बनाने मात्र दिखाई देती है, मान्यता निर्गत की जाने वाली नियमावली में न्यूज़ पोर्टल से मान्यता के संबंध में कहीं भी कोई प्रावधान नहीं है फिर भी न्यूज़ पोर्टल से न सिर्फ राज्य मुख्यालय मान्यता निर्गत कर दी गई, वही जाफरी बंधुओं के बड़े कुनबे द्वारा फर्जी तरीके से मान्यता लेने के उपरांत उनके द्वारा लगभग आधा दर्जन सरकारी मकान को भी अनाधिकृत रूप से कब्जे में लिया गया है।

नावेद शिकोह द्वारा तो अखबार संचालन का पूरा गिरोह चलाया जाता है और अनेक अखबारों की खरीद फरोख्त का धंधा करते हुए करोड़ो रूपये की आमदनी अर्जित की गई है। गोलागंज, लखनऊ में निज आवास होने के बाद भी सरकारी आवास में महिला मित्र के साथ लव जेहाद का नया खेल खेला जा रहा है जिसके संबंध में अनेक शिकायतें सूचना विभाग में जाती हैं परंतु न तो उन शिकायतों का निस्तारण किया जाता है और न ही कोई कार्रवाई की जाती है।

शिकायती पत्रों को दरकिनार करने की मुख्य वजह बताई जाती है कि इन पत्रकारो द्वारा धन बल की नीतियों का सूचना विभाग के अधिकारियों पर इस्तेमाल किया जाता है और कुछ अधिकारियों को अक्सर अपने सरकारी आवास में बुलाकर इन्हीं सुविधाओं का सेवन कराया जाता है जिससे इनकी फ़र्ज़ी मान्यता बनी रहें और शिकायतों को लंबित करके इनका काम बन जाता है लेकिन इन्ही शिकायती पत्रों पर त्वरित कार्यवाही हेतु माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ के सम्मुख मान्यता प्राप्त उर्दू मीडिया एसोसिएशन के माध्यम से जन हित याचिका दाखिल की गई जिसमें प्रार्थना की गई है कि ऐसी मान्यताओं की जांच हेतु एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर फर्जी रूप से मान्यता प्राप्त तथाकथित ठेकेदार, पनवाड़ी, आतंकी गतिविधियों में लिप्त लोगों पर कार्यवाही की जाए।

जिससे अनाधिकृत लोगों द्वारा सरकारी भवनों में घुसकर जो रुतबा फेसबुक पर तस्वीरों के माध्यम से जमाते हैं उस पर रोक लग सके।
याचिका की सुनवाई करते हुए मननीय मुख्य न्यायाधीश द्वारा मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव सूचना, राज्य सम्पति विभाग, सचिवालय प्रशासन एवं davp को जवाब दाखिल करने का आदेश जारी किया है।

अतः उपरोक्त कारण, तथ्यों एवं मननीय उच्च न्यायालय, लखनऊ खंडपीठ, लखनऊ में लंबित जनहित याचिका के अंतिम निर्णय आने तक पत्रकारों से संबंधित किसी भी चुनावी प्रक्रिया में सरकारी तंत्र की भागीदारी एवं सरकारी भवनों को उपलब्ध कराया जाना न्यायहित में उचित नही प्रतीत होता है।

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सेवा में

1-आदरणीय योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री उ प्र,सरकार लखनऊ
2- श्रीमान मुख्य सचिव महोदय
उत्तर प्रदेश शासन।
3- श्रीमान प्रमुख सचिव महोदय सचिवालय प्रशासन।

सरकारी भवन, सचिवालय आदि से गैर कानूनी पत्रकारो की संस्था को चुनाव, बैठक आदि हेतु प्रतिबंधित किये जाने के संदर्भ में।

मान्यवर,
आपसे सविनय निवेदन है की पूर्व में आपके सम्मुख पंजीकृत डाक के माध्यम से प्रेषित पत्र द्वारा प्रशासन के उच्च अधिकारियों द्वारा जिस तरह से विधानसभा सचिवालय सरकारी परिसर को गैर पंजीकृत, अनाधिकृत संस्था उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के चुनाव हेतु दिनांक 21/03/2021को उपलब्ध कराए जाने के सम्बंध में उचित कार्यवाही किये जाने की अपेक्षा की गई थी।
आपके संज्ञान में लाना है कि उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति, गैर पंजीकरत संस्था के चुनाव आयोग, पर्यवेक्षक एवं पदाधिकारियों ने फर्जी मतदाता सूची से मान्यता प्राप्त पत्रकारों का चुनाव सम्पन कराया जिसमें भारी संख्या में लगभग 1000/से 1500 लोगों ने हिस्सा लिया एवं मतदान केन्द्र में अपने मताधिकार का प्रयोग किया, भारी संख्या में बाहरी तत्वों का जमावड़ा लगा रहा जिसकी पुष्टि सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों से की जा सकती है।
मान्यता समिति के चुनाव आयोग द्वारा केन्द्र सरकार एवं प्रदेश सरकार की कोविड 19 की गाइडलाइन को नजरंदाज करके खुला उल्लघंन किया जिसके फलस्वरूप दर्जनों पत्रकार और उनके परिवार कोरोना संक्रमित हुए, इस चुनाव में दर्जनों लोग महाराष्ट्र से आए थे जिनकी बंधाई देते फोटो भी वायरल हुईं वहीं इसी कोरोना महामारी के शिकार पत्रकार प्रमोद श्रीवास्तव, वसीम की मौत हो गई फिर भी जिला प्रशासन एवं पुलिस आयुक्त की आंखें बंद रही और आज तक उत्तर प्रदेश विधान सभा स्तिथ प्रेस रूम परिसर को न तो सील किया और न ही कोई कार्यवाही की गई जबकि ये गंभीर जांच का विषय है।

उपरोक्त सम्बन्ध में प्रार्थी द्वारा पुख़्ता साक्ष्यों, तथ्यों एवं सुबूतों के साथ एक शिकायती पत्र दिनांक 01/04/2021 को मा0 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी एवं सरकार में बैठे जिम्मेदार आला अधिकारियों को स्पीड पोस्ट डाक के माध्यम भेजा था जिसपर अभी तक न तो प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हुई है और न ही कोई कार्यवाही होती नजर आ रही है एवं पुनः चुनाव की सुगबुगाहट सुनाई दे रही है।

मा0 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से जनहित में मांग करता हूं कि गैर कानूनी मान्यता समिति के चुनाव, बैठक आदि हेतु सरकारी भवन, सचिवालय परिसर न उपलब्ध कराते हुए पत्रकारों, सचिवालय कर्मियों को कोरोना संक्रमित करने का दोषी और पत्रकार प्रमोद श्रीवास्तव की मौत को देखते हुए तत्काल प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने के आदेश जारी करने की महती कृपा की जाएगी । अगर उत्तर प्रदेश सरकार एवं उत्तर प्रदेश शासन व प्रशासन तथा पुलिस प्रशासन में बैठे अधिकारी द्वारा अब भी कोई कार्यवाही नहीं कि गई तो प्राथी साक्षो को लेकर माननीय उच्च न्यायालय मे याचिका दाखिल करने पर बाध्य होगा जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश शासन प्रशासन की होगी।
धन्यवाद

दिनांक 02/07/2024
एच, ए, इदरीसी
अध्यक्ष
मान्यता प्राप्त उर्दू मिडिया एशो0
50/113 जय नारायण रोड हुसैन गंज लखनऊ मो0 9956475992

राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के चुनाव को लेकर मनीष श्रीवास्तव ने 2015 में कुछ लिखा था जो वर्तमान में भी सही लगता है

मुँह में राम बगल में छुरी… इस कहावत पर उत्तरप्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति का चुनाव बेहद खरा उतरता है। पहली बार ‘निष्पक्ष प्रतिदिन’ और यूपी के सूचना विभाग के सौजन्य से राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त पत्रकार बनने का गौरव प्राप्त हुआ। अब इस जमात का नेतृत्व करने वाली मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के चुनाव का बिगुल बज़ उठा है। चुनाव की इस म्यान में दो तलवारें हैं। कोई कहता है चुनाव खर्च 100 रुपइया जमा कराओ। आज समिति के चुने हुए नुमाइंदे बैठक कर दस रुपइया जमा करने का फरमान सुनाते हैं। हमारे जैसे पहली बार जमात के सदस्य बने बेचारे सिर्फ चुनावी जंग देख रहे हैं। समझ नहीं आ रहा इधर जाऊं या उधर जाऊं।

एक बात और नहीं समझ आ रही कि आखिर शीर्ष पत्रकार बिरादरी का नेतृत्व करने पर ऐसा कौन सा हड़प्पा की खुदाई में निकला खज़ाना मिला जा रहा है जो इतना सरफुटौअल हो रहा है। मेरी व्यक्तिगत राय है कि शीर्ष पत्रकार बिरादरी का जो रहा सहा सम्मान है वो भी इस चुनावी जंग में शहीद होने को बिलकुल तत्पर है। अरे भई चुनाव कितनी बार होंगे और कौन सा चुनाव अधिकारी मान्य है कोई बताएगा। खैर असल गलती सूचना विभाग की है। गंभीर अपराधों में फसे लोगों, अंडे का ठेला लगाने वालों को, कंप्यूटर ऑपरेटरों, मार्केटिंग मैनेजरों, मंत्रियों के पीआरओ, सूचना विभाग के कर्मचारियों की पत्नियों और रिश्तेदारों को, अफसरों के रिश्तेदारों सरीखे लोगों को कलम का सिपाही अर्थात पत्रकार होने का राज्य मुख्यालय पर दर्ज़ा दिया जायेगा तो ऐसी गद्दम पटखनी तो होना तय है।

खुद संवाददाता समिति के पदाधिकारी भी ऐसे कथित पत्रकारों का विरोध नहीं करते। जब इस सरकार में मैंने विधानसभा सत्र की कवरेज के लिए जाना शुरू किया तब देखा कि 80 फीसदी पत्रकारों के हाथों में न कागज़ और न डायरी होती है और न ही कलम। शायद उनका दिमाग ही कंप्यूटर है तभी सब कुछ उसमे रिकॉर्ड हो जाता है। विधानसभा गैलरी में मुख्यमंत्री से लेकर मत्रियों तक को चेहरा दिखाने की होड़ सी मच जाती है। अब होड़ चुनाव के सहारे पत्रकार बिरादरी में ताकत दिखाने की हो रही है। देखिये ये पब्लिक है सब जानती है। आप सब शीर्ष पत्रकारों के सम्मानित संघ का नेतृत्व करते हैं। मेरे जैसे छोटे सदस्य की राय आपको भले ‘छोटा मुँह बड़ी बात’ लगे पर ये तमाशा बंद कीजिये और समिति के सम्मान का चीरहरण होने से रोकिये। वर्तमान माहौल में, जहाँ कभी पत्रकार जलाकर मारे जा रहे हैं तो कहीं अखबार के दफ्तरों पर हमले हो रहे हैं, ये हमे शोभा नहीं देता।

खैर मैं तो सिर्फ इतना ही कर सकता हूँ कि चुनाव के नाम पर हो रही जंग का हिस्सा न बनूं और मेरे जैसे पहली बार राज्य मुख्यालय पर पत्रकार का दर्जा प्राप्त मित्रों से भी अनुरोध करूँगा- “सुनो सबकी, करो अपने मन की”।

 

मनीष श्रीवास्तव

ब्यूरो चीफ

निष्पक्ष प्रतिदिन, लखनऊ

[email protected]

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