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योगी आदित्यनाथ ने माफियाओं और भूमाफियों पर बुलडोज़र चलाकर खूब लोकप्रियता हासिल की, लेकिन बीबीडी ग्रुप जैसे रसूखदार संस्थानों पर कार्रवाई से अब तक परहेज़

पूरा मामला श्रीमती अलका दास गुप्ता और उनके पुत्र द्वारा एक दलित व्यक्ति सुमन नयन के नाम का दुरुपयोग कर ज़मीनों की खरीद-फरोख्त से जुड़ा है। यह मामला सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार अधिनियम, 1950 की धारा 157-ए का उल्लंघन करता है, जिसके तहत इस तरह की ज़मीन किसी को बेची नहीं जा सकती।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे क्षेत्रों में एक बड़े ज़मीन घोटाले का खुलासा हुआ है जिसमें बीबीडी ग्रुप (BBD Group) पर फर्जी दस्तावेजों, बेनामी संपत्ति और अफसर-नेता गठजोड़ के गंभीर आरोप लगे हैं।

पूरा मामला श्रीमती अलका दास गुप्ता और उनके पुत्र द्वारा एक दलित व्यक्ति सुमन नयन के नाम का दुरुपयोग कर ज़मीनों की खरीद-फरोख्त से जुड़ा है। यह मामला सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार अधिनियम, 1950 की धारा 157-ए का उल्लंघन करता है, जिसके तहत इस तरह की ज़मीन किसी को बेची नहीं जा सकती।

क्या हुआ था?

  1. साजिश की शुरुआत:
    बीबीडी ग्रुप से जुड़े लोग पहले एक दलित व्यक्ति सुमन नयन को अपने यहां सफाई कर्मचारी के रूप में रखते हैं। फिर सुमन के नाम से फर्जी तरीके से आधार कार्ड, पैन कार्ड, और बैंक अकाउंट बनाए जाते हैं। यह अकाउंट उनके निजी नौकर सुधर्मा सिंह के पते से खोले जाते हैं, और चेकबुक मालिक के पास ही रहती है।
  2. बेनामी ज़मीन की खरीद:
    सुमन नयन के नाम से 450 से 500 करोड़ रुपये की ज़मीनें खरीदी जाती हैं। इन सौदों में सारा पैसा कालेधन से दिया जाता है। फिर कागजों पर भुगतान दिखाकर, नकद वापस निकाल लिया जाता है—यानी लेन-देन केवल दिखावे के लिए।
  3. फर्जी बीमारी और इलाज का नाटक:
    सुमन नयन को सरकारी अस्पताल की मिलीभगत से किडनी का मरीज घोषित कर दिया जाता है। इलाज का खर्च 80 लाख रुपये दिखाया जाता है ताकि “इलाज के लिए ज़मीन बेचने की मजबूरी” का आधार बन सके। इस आधार पर SDM से झूठे हलफनामे और रिपोर्टों के ज़रिये ज़मीन बेचने की अनुमति ली जाती है।
  4. सरकारी मिलीभगत:
    LDA के लेखपाल और SDM द्वारा झूठे दस्तावेजों को मान्यता दी जाती है। उन्हें बताया जाता है कि सुमन नयन के पास केवल एक ज़मीन है और इलाज न होने की स्थिति में उनकी मृत्यु संभव है। जबकि हकीकत ये है कि सुमन नयन ने 2017, 2020 और 2021 में भी कई ज़मीनें बेचीं।
  5. कानून का मज़ाक:
    तीसरी और चौथी ज़मीन की बिक्री के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई। सब कुछ रिश्वत और राजनीतिक संरक्षण की छतरी के नीचे किया गया। बेनामी संपत्ति के खिलाफ सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति इस मामले में कागज़ों तक ही सीमित रही।

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सवालों के घेरे में उप्र सरकार

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माफियाओं और भूमाफियों पर बुलडोज़र चलाकर खूब लोकप्रियता हासिल की, लेकिन बीबीडी ग्रुप जैसे रसूखदार संस्थानों पर कार्रवाई से अब तक परहेज़ किया गया है।

यह मामला सिर्फ ज़मीन का नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र की मिलीभगत और दलित उत्पीड़न, फर्जी दस्तावेज़ों, बेनामी संपत्ति, और भ्रष्टाचार के नेटवर्क का आईना है।

अब सोशल मीडिया और कई जनप्रतिनिधि यह सवाल पूछ रहे हैं:

  • क्या योगी सरकार इस पर भी बुलडोज़र चलाएगी?
  • क्या दोषियों पर FIR, ED, CBI जांच होगी?
  • क्या जमीनें ज़ब्त होंगी?
  • या फिर सब कुछ चंदे और रसूख के नीचे दब जाएगा?

कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन

  • उत्तर प्रदेश भूमि सुधार अधिनियम की धारा 157-ए का उल्लंघन।
  • फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर ज़मीन बिक्री की अनुमति लेना।
  • बेनामी संपत्ति लेन-देन का उल्लंघन।
  • आयकर नियमों और कालेधन कानूनों की अवहेलना।

 

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