शुक्ला नाम है मेरा, DP Shukla! ये सुनते ही ख़बरदार हो जाते है, अपराध और कानून, ऐसा रसूखदार है इस कलमकार का रसूख़
मीडिया जगत में अपराध को लेकर सार्थक भूमिका निभाने के किये युवा वर्ग के पत्रकारों को किस तरह से अपराध की रिपोर्टिंग करनी चाहिए इस बारे में वक्त-वक्त पर शैक्षिक, व्यवहारिक, मानसिक प्रशिक्षण भी देते रहते हैं। उत्तर प्रदेश के पत्रकार या उनके परिवार पर जब भी कोई मुसीबत आई है तो स्पाइडर-मैन बन कर डीपी शुक्ला का मददगार हाथ उन तक जरूर पहुंचा है।
यह रसूख और ऐसा व्यक्तित्व किसी एक दिन की पहचान नहीं है, इस कामयाबी के पीछे कठिन संघर्ष, मुश्किल दौर, रात दिन का परिश्रम, लगन और कुछ कर गुजरने की एक लंबी दास्तान है।
ना मोबाइल का वह दौर था और न ही दो चकवा या चार चकवा वाहन का साथ, दो पहिया साइकिल पर सवार होकर पूरे लखनऊ के अपराधों की खबर करने का जुनून किसी गरीब नौजवान के सर पर सवार था। वो वक्त था जब अखबार में राजनीतिक और वाणिज्य की सुर्खियों का दौर था, अपराध या अपराधियों की खबर को अखबार में इतनी तवज्जो नहीं दी जाती थी लेकिन कुछ अलग कर गुजरने की चाह और अपराध को लेकर कुछ नया रिपोर्टिंग में करने का उत्साह लेकर, द्वारिका के नाम को साकार करने, अपराध जगत की खबरों से अपराध का खात्मा करने निकला तो अपने अंदाज़ से रिपोर्टिंग कर अपराध की घटनाओं को जनता के बीच जिस खूबसूरत अंदाज से परोसने का काम द्वारका प्रसाद ने किया, उससे बदलते वक्त के इस दौर में सिक्के दो विपरीत पहलुओं में अपना सिक्का जमा दिया और शुक्ला नाम है मेरा, डी पी शुक्ला का वर्चस्व कानून और अपराध की विपरीत धाराओं में दिखाई देने लगा जो आज तक क़ायम है।
मीडिया के फैलाव के साथ-साथ अपराध रिपोर्टिंग मीडिया की एक प्रमुख सूरत के रूप में सामने आई है, देखा जाए तो 24 घंटे के न्यूज़ चैनलों के आने के साथ ही अपराध जैसे विषय टीआरपी बढ़ाने की बड़ी वजह बन गए हैं जिसके चलते अपराध रिपोर्टिंग टीवी चैनल दोनों के लिए बड़ा योगदान करते हैं और पत्रकारिता जगत में अपराध एक प्रमुख बीट के रूप में दिखाई देती है ।
आज के युग में जिस तरह से अपराध के अंदाज मायने और तरीके बदल रहे है उसकी रोकथाम की गंभीरता को देखते हुए डी पी शुक्ला ने बेहद सार्थक भूमिका निभाई है और अपराध की कवरेज के जरिए कई बार समाज की खोखली होती जड़ों को टटोला है। अपराध की संयमित संतुलित रिपोर्टिंग करके समाज में युवा पीढ़ी पर अपराध और ग्लैमर की दुनिया की चिपक रही धूल को सफाई करने का अपनी कलम को एक उपकरण बनाकर जनता के सामने उदाहरण पेश किया है।
द्वारिका नरेश ने दुनिया मे फैल रहें अत्याचार को ख़त्म करने के लिए अवतार लिया था वहीं ऐसा प्रतीत होता है कि कलम की दुनिया के द्वारिका अपने शब्दों, अपनी वाणी, सूझबूझ और पत्रकारिता के जरिए समाज को एक बहुत बड़ा आयाम दे रहे हैं और अपराध की रोकथाम में अपना सहयोग कर रहे हैं, यहीं नही कानून की राह छोड़कर अपराधियों के साथ मिलकर अगर कोई कानून का रखवाला रास्ता भटक गया तो डीपी शुक्ला उन भटके हुए लोगों को सही रास्ता दिखाने का भी काम कर रहे हैं और उनको अपराध की ग्लैमर दुनिया से बाहर भी निकाल रहे है ।
मीडिया जगत में अपराध को लेकर सार्थक भूमिका निभाने के किये युवा वर्ग के पत्रकारों को किस तरह से अपराध की रिपोर्टिंग करनी चाहिए इस बारे में वक्त-वक्त पर शैक्षिक, व्यवहारिक, मानसिक प्रशिक्षण भी देते रहते हैं। उत्तर प्रदेश के पत्रकार या उनके परिवार पर जब भी कोई मुसीबत आई है तो स्पाइडर-मैन बन कर डीपी शुक्ला का मददगार हाथ उन तक जरूर पहुंचा है।
अपने इसी व्यक्तित्व, व्यवहार, सोच, आपसी भाईचारगी और दूसरों के लिए समर्पण की भावना के चलते आज उत्तर प्रदेश के पत्रकार इनको spider-man की भूमिका में देखते हैं। एक तरफ इनके हाथों के कलम से जो जाल बनता है उसमें अपराधी और अपराध दोनों का खुलासा हो जाता है और दूसरी तरफ कानून के रखवालों को एक बड़े मददगार के रूप में डीपी शुक्ला मिल जाते है। किसी भी पत्रकार साथी की मदद के लिए द्वारिका का साथ हर वक़्त मिलता है। ऐसा लगता है द्वारिकाधीश के नए अवतार स्पाइडर मैन की भूमिका में है अपने कलमकार द्वारका प्रसाद शुक्ला।।।
तारीखें पैदाइश की बहुत बहुत बधाई, वक़्त, हालात, ज़िंदगी सब बदल गयी लेकिन जज़्बात और अल्फ़ाज़ आज भी वही है।