काशी पत्रकार संघ योगेश गुप्ता की जेब में, नौकरी करते हैं सतना में फिर भी हैं मानद सदस्य

वाराणसी। आगामी 28 सितंबर 2014 को होने जा रहे काशी पत्रकार संघ का चुनाव मनमानी की भेंट चढ़ने जा रहा है। सालों से संघ पर कब्जा जमाये बैठे योगेश गुप्ता और उनका गिरोह किस तरह हावी है इसे संघ की मतदाता सूची में देखा जा सकता है। पूर्व अध्यक्ष योगेश गुप्ता पप्पू सतना के मध्यप्रदेश जनसंदेश में कार्यरत हैं। इनकी उम्र भी इतनी नहीं कि मानद सदस्य बन सकें। लेकिन संघ का संविधान इनके और इनके गिरोह के लोगों की जेब में है। इसलिए वह जनसंदेश टाइम्स वाराणसी के नाम पर मानद सदस्य बन बैठे हैं।

योगेश गुप्ता दो बार काशी पत्रकार संघ का अध्यक्ष और दो बार महामंत्री रह चुके हैं। इन्होंने जोड़-तोड़कर संघ का कानून इस तरह से बना लिया है कि वह और उनके गिरोह के लोग ही हर समय संघ के विभिन्न पदों पर काबिज रहें। योगेश गुप्ता ने अपने कार्यकाल में तमाम ऐसे लोगों को जोड़ा जो वर्किंग जर्नलिस्ट की श्रेणी में ही नहीं आते। काशी पत्रकार संघ के संविधान में यह स्पष्ट है कि इस संस्था का वही सदस्य रह सकता है जिसका कार्यक्षेत्र वाराणसी हो। साथ ही जिसके आय का मुख्य स्रोत पत्रकारिता (श्रमजीवी) हो। गैर राज्य में नौकरी करते हुए योगेश गुप्ता संघ में किसी तरह का सदस्य नहीं रह सकते। फिर वह मानद सदस्य कैसे बन गये? यह सवाल काशी के पत्रकारों के लिये यक्ष प्रश्न बन गया है। 28 सितंबर को काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष, महामंत्री, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, मंत्री और दस कार्यकारिणी सदस्य पदों के लिए चुनाव हो रहा है। योगेश गुप्ता और इनका गिरोह गुट बनाकर चुनाव लड़ा रहा है। इससे काशी के पत्रकारों में नाराजगी बढ़ गई है। चुनाव में इस कदर गुटबाजी बढ़ गई है कि चुनाव लड़ने वाले एक दूसरे को दुश्मन की तरह देखने और मानने लगे हैं। नामांकन के दिन योगेश गुप्ता सतना से यहां आये और अपने गिरोह को लामबंद कर पर्चा भरवाया। योगेश गुप्ता के कार्यकाल में कई नई परंपरायें डाली गईं जो न सिर्फ शर्मनाक हैं, बल्कि काशी की पत्रकारिता के इतिहास को कलंकित करने वाली हैं।  काशी पत्रकार संघ का सालाना जलसा 26 जनवरी को होता है। इस दिन खेल प्रतियोगिता के प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया जाता है। योगेश गुप्ता और इनके गिरोह ने इससे इतर शहर के धनपशुओं और नेताओं को खुश करने के लिए 25 जनवरी को दावत देने की नई परंपरा डाली है। इस कार्यक्रम में गुप्ता के अलावा इनके गिरोह के सदस्य तरह-तरह के (शाकाहारी-मांसाहारी) व्यंजन का लुफ्त उठाते हैं। अगले दिन 26 जनवरी को संघ के सदस्यों को सतही भोजन खिलाया जाता है। कुछ साल पहले तक इस तरह की व्यवस्था नहीं थी। भेदभाव की नीति के चलते साधारण सभा की बैठक में संघ के अधिसंख्य सम्मानित सदस्य शामिल होने से कतराते हैं। यही वजह है कि संघ की बैठक में अब कभी कोरम पूरा नहीं होता। काशी पत्रकार संघ के सदस्यों को पहले साल के शुरू में ही डायरी बंट जाती थी। पिछले कुछ सालों से डायरी का प्रकाशन तब होता है जब साल बीतने लगता है और डायरी का कोई औचित्य नहीं रहता। काशी पत्रकार संघ कब तक भ्रष्टाचारियों और मनमानी करने वाले चंद पत्रकारों के खेल का अखाड़ा बना रहेगा? यह कह पाना कठिन है।

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                                                                                                                                                                       काशी पत्रकार संघ के एक सदस्य के पत्र पर आधारित रिपोर्ट. 

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