हरीश रावत जी आप खुद 12 चुनाव हार गए अब तेरहवीं का क्या होगा, ये तो समय ही बताएगा?…….समय समय पर हरीश रावत जी को मेरे द्वारा 2016 किए गए ऑपरेशन का दर्द शुरू हो जाता है: उमेश कुमार

मुझे श्री उमेश की सारी कलाओं के विषय में जानकारी नहीं थी और उन्होंने किस तरीके से भाजपा में खेल दिखाया है और कौन उनके खेल के पीछे पहले खड़ा था, आज खड़ा है, अब तो थोड़ा समझने लग गया हूं। लेकिन उस समय मुझे यह सब बातें ज्ञात नहीं थी। मैंने उनसे कहा कि मुझे कहीं पर भी दल-बदल करके दूसरी तरफ गए हुए विधायकों की वापसी की आवश्यकता ही नहीं थी, क्योंकि हम उनके निष्कासन की प्रक्रिया को प्रारंभ करवा चुके थे और हमें पूरा भरोसा था कि कानून हमारे साथ है और यह सब अयोग्य घोषित होंगे, जो हुए भी बल्कि माननीय हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें शायद महापापी तक कहा।

हरीश रावत-

2016 में किस तरीके से दल-बदल की प्लॉटिंग हुई, षड्यंत्र रचा गया, कैसे उसको एग्जीक्यूट किया गया, कैसे मेरे स्टिंग को एग्जीक्यूट किया गया? कौन लोग उस सबके पीछे थे और उसका क्या प्रभाव हमारी कांग्रेस की राजनीति में पड़ा तथा उसका क्या प्रभाव राज्य के विकास पर पड़ा? यह एक ऐसा अध्याय है जिस पर मुझको कुछ न कुछ कहना चाहिये।

कम से कम समय और सत्यता, दोनों मुझे यह अपेक्षा करती हैं कि मैं अपनी जानकारी के तथ्यों को लोगों के सामने रखूं। एक बहुत वरिष्ठ पत्रकार ने मुझसे अपने एक लोकल टीवी कार्यक्रम में बातचीत की और उस दौरान उन्होंने मुझसे पूछा, और बड़ा सरल सा व बहुत सही सवाल पूछा कि आप श्री उमेश के विषय में सब कुछ जानते थे और आप उसके बाद भी उसके चंगुल में कैसे आ गए! तो मैंने उनका दोनों तथ्य बताए।

पहला तथ्य यह बताया कि मुझे श्री उमेश की सारी कलाओं के विषय में जानकारी नहीं थी और उन्होंने किस तरीके से भाजपा में खेल दिखाया है और कौन उनके खेल के पीछे पहले खड़ा था, आज खड़ा है, अब तो थोड़ा समझने लग गया हूं। लेकिन उस समय मुझे यह सब बातें ज्ञात नहीं थी। मैंने उनसे कहा कि मुझे कहीं पर भी दल-बदल करके दूसरी तरफ गए हुए विधायकों की वापसी की आवश्यकता ही नहीं थी, क्योंकि हम उनके निष्कासन की प्रक्रिया को प्रारंभ करवा चुके थे और हमें पूरा भरोसा था कि कानून हमारे साथ है और यह सब अयोग्य घोषित होंगे, जो हुए भी बल्कि माननीय हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें शायद महापापी तक कहा।

मगर एक वातावरण दिल्ली में बनाया गया, जिस वातावरण में हमारे कुछ वरिष्ठ नेतागणों को यह बात समझ में आई कि मैं क्यों वापस नहीं लेना चाहता, जब कुछ लोग वापस आना चाहते हैं। खैर मैं उन वरिष्ठ नेताओं के नाम जिनका मुझे टेलीफोन आया, मैं वह नाम नहीं बताऊंगा। लेकिन अपने एक सहयोगी का नाम जरुर बताऊंगा, श्री हरिपाल रावत जी मेरे सलाहकार थे उन्होंने मुझसे बार-बार दबाव डाला कि आप उनसे बात करें। आप एक बार कहेंगे तो श्री हरक सिंह रावत जी वापस आ जाएंगे।

सुबह 7 बजे एक सम्मानित आदरणीय महिला मेरे पास आई और मेरे सुरक्षा अधिकारी ने मुझे बताया कि साहब वह रो रही हैं, रोते हुए आई हैं तो मैंने सोचा कि कोई पीड़ित महिला है तो मैंने उस बहन को अपने पास बुला लिया। उस बहन ने बताया कि वह किसी अर्ध सरकारी विभाग में कार्यरत है, नाम मुझे याद नहीं है। वह लगातार रोती जा रही थी और बोल रही थी कि वह निर्दोष है, भोला है, बहुत सारी चीज़ें कह रही थी।

जब मैंने पूछा कौन है वह भोला, कौन है वह निर्दोष? तो उन्होंने एक जो नाम लिया। मैंने एक सीधा सवाल किया कि आपका उनसे क्या संबंध है? तो उन्होंने कहा मैं उनकी मित्र हूं, अंग्रेजी में महिला मित्र को गर्लफ्रेंड ही कहा जायेगा।

लेकिन मैंने यह कहते हुए कि किस तरीके से भूमिका बनी, एक नहीं तीन-तीन महिलाओं ने किस प्रकार से मेरे सामने रुदन किया। बल्कि एक महिला का तो मैं नाम ही भूल गया था। अब समझ में आया है जब उन्होंने कुछ अप्रत्यक्ष तौर पर मेरे पास धमकी भेजी है कि शायद मित्र के रूप में मैंने उनके नाम का उल्लेख नहीं किया था और मैंने किसी बुरे अर्थ में महिला मित्र कहा भी नहीं और कोई नाम भी नहीं लिया। लेकिन फिर भी यदि इस शब्द से मेरी किसी बहन को, क्योंकि किसी की भी किसी तरीके से किसी से भी मित्रता हो सकती है तो किसी की भावना को ठेस लगी हो तो मैं क्षमा चाहता हूं। लेकिन मेरा उद्देश्य किसी को आहत करना नहीं था और न मैंने नाम लिया।

हां एक नाम मैंने जरूर लिया श्रीमती सोनिया आनंद जी का, क्योंकि वह घोषित रूप से जो बात बाहर कहती हैं, वह सत्यता है तो उसको छुपाने की भी कोई जरूरत नहीं थी और मैं समझता हूं कि वह एक भद्र महिला है, वह अपने इस भाई के साथ न्याय करेंगी, जिसको कभी-कभी वह राखी बांधने भी आती हैं कि उन्होंने भी मेरे साथ किस तरीके से रुदन और आग्रह, दोनों को मिलाकर के और मुझे, कुल मिलाकर भावनात्मक रूप से इस तरीके से तैयार कर लिया गया और उसके बाद फिर एक ऐसे क्षेत्र में, जहां कोई सामान्य व्यक्ति नहीं आ सकता वहां मुझको श्री उमेश कुमार जी के दर्शन हुए।

खैर वह दर्शन और सब बातचीत पर मैंने कुछ बातें कही हैं, कुछ और बातें मुझे लगता है समय अपेक्षा कर रहा है, मैं उन बातों को भी कालांतर में कहूंगा। फिर भी यदि किसी भी महिला का दुःख या उसके मान पर चोट लगी हो तो उसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं।
लेखक हरीश रावत उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हैं और कांग्रेस के बड़े नेता हैं।

उमेश कुमार-

हरीश रावत जी के नाम “खुला पत्र”

समय समय पर हरीश रावत जी को मेरे द्वारा 2016 किए गए ऑपरेशन का दर्द शुरू हो जाता है। उस ऑपरेशन के बाद ही जनता ने हरीश रावत का असली चेहरा देखा जो आंख बंद करके उत्तराखंड की सौदेबाजी कर रहे थे।

हरीश रावत जी आपका ये दर्द और मनोदशा भी समझ सकता हूं। उत्तराखंड में कांग्रेस को आपने अपनी इन्हीं करतूतों की वजह से आज खत्म कर दिया। आप खुद 12 चुनाव हार गए अब तेरहवीं का क्या होगा? ये तो समय ही बताएगा? आने आज मेरे बारे में फिर जिक्र किया तो उसका जवाब भी जरूरी है.

आपने हरक सिंह जी का जिक्र करते हुए उनकी निजी जिन्दगी के बारे में लिखा है। ऐसा सार्वजनिक मंच पर लिखना उचित है क्या? आप कैसे किसी की बेटी को गर्लफ्रेंड लिख रहे हो…? आपकी भी तो बेटी है? आपको शर्म नहीं आती ऐसी अमर्यादित भाषा लिखते हुए? जब आप मुख्यमंत्री थे किसी की बेटी आपके पास अपनी पीड़ा बताने आई होगी, आप खुद ही लिख रहे हैं कि रोई भी थी और आप बेशर्मों की तरह व्यवहार कर रहे हो। आप किसी बेटी के लिए गर्लफ्रेंड जैसा शब्द लिख रहे हो।

यानि कि हरीश रावत में अब कोई मर्यादा ही नहीं बची… और जिनकी मर्यादा खत्म हो जाती है उनके साथ जैसे को तैसा वाला व्यवहार अपनाना पड़ता है यही जिंदगी का वसूल भी है।

अच्छा एक चीज बताइए…? कुछ ही समय पहले आपके बेटे का जो उसकी गर्लफ्रेंड के साथ ऑडियो वायरल हुआ था उसको भी जरा सुन लेना… या मैं डाल दूं? जिनके घर शीशे के बने होते हैं… वाली कहावत तो आपने सुनी ही होगी? अच्छा ये बताओ हमारे उत्तराखंड में एक बहुत बड़े नेता हैं जो अक्सर क़ौदा झँगोरा की बात करते हैं उनके कुछ बच्चे तो पहली पत्नी से है और कुछ बच्चे दूसरी पत्नी से हैं, हिंदू धर्म में दो पत्नी हो नहीं सकती तो दूसरी तो गर्लफ्रेंड ही हुई ना? उनसे पैदा बच्चे गर्लफ्रेंड के बच्चे नहीं हुए? जिनके घर शीशे के होते है वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते। वो बड़े नेता कौन हैं इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ लें।

हमने तो देखा है हरक सिंह रावत पीछे से वार नहीं करता और वो फीनिक्स जैसा पक्षी है जो कभी खत्म नहीं होता।

राजनीति में वक्त बदलता रहता है। इस समय इस देश को चलाने वाले नंबर टू के व्यक्ति को जब तड़ीपार कहा गया था प्रताड़नाएँ दी गई, लोग मिलने से भी डरते थे… कई तरीकों से परेशान किया गया था… आज देखिए देश में नंबर टू की पोजिशन में हैं, लोग दरबार में माथा टेकने को तरसते है, यानि कि वक्त बदलता जरूर है।

स्मरण कीजिए वो हरक सिंह रावत ही तो थे जिनकी वजह से आपके बच्चों की राजनीति में इंट्री हुई। ये भी सच है कि हरक सिंह रावत जी ने अधिकतर सबकी मदद की होगी।

हरीश रावत जी आप खुद पर ईमानदारी का टैग नहीं लगा सकते। आपके ही कार्यकाल में डेनिस से लेकर खनन तक के चर्चे सुर्खियों में रहे। आज उत्तराखंड में कांग्रेस का बंटाधार करने का श्रेय भी आपको ही जाता है। आपको लगता है कि आप कोई अवतारी पुरुष हैं… लेकिन सच तो यही है कि हरीश रावत जी, ढोंग, स्वांग और षड्यंत्र जैसी विद्याओं में पीएचडी हैं।

इस राज्य को अस्थिर करने के सबसे बड़े षड्यंत्रकारी तो आप ही हो। पूर्व सीएम दिवंगत नारायण दत्त तिवाड़ी जी तो आपके गुरु थे इसलिए उन पर आपकी ये तंत्र और षड्यंत्र जैसी विद्याएं नहीं चल पाई लेकिन 2013 में जहां एक तरफ हजारों लाखों लोग केदारनाथ त्रासदी में प्रभावित हो गए थे वहीं आप इस आपदा में अपने लिए राजनीतिक अवसर बना रहे थे। राजनीति में ऐसा नेता पहली बार देखा… जो आपदाओं में भी अपने लिए अवसर ढूंढता हो..!

हरीश रावत सिर्फ गाड़, गदेरे और गीठि की मीठी-मीठी बात करके ही जनता को भरमाने का काम करते आए हैं। आजतक के राजनीति जीवन में हरीश रावत जी की कोई उपलब्धि नहीं रही? लेकिन ऊट-पटांग काम खूब रहे जिनकी वजह से कांग्रेस को ही नुकसान हुआ।

आपके बारे में एक कहावत है कि जिसके कंधे पर आपने हाथ रखा उसे कई महीनों बाद पता चलता है कि उसके कंधे पर ज़ख्म हो गया।

सर्दियों का मौसम अपने चरम पर है ऐसे में ज्यादा ठंड बढ़ने की वजह से लगता है हरीश रावत जी को ऑपरेशन का दर्द फिर से शुरू हो गया है…! हरीश रावत जी इस दर्द का कोई इलाज नहीं है… ये ऑपरेशन ही ऐसा था जिसका दर्द आपको आजीवन होता ही रहेगा क्योंकि उस ऑपरेशन का डॉक्टर भी तो मैं ही हूं…।

उसी ऑपरेशन की वजह से जनता को भी पता चला कि हरीश रावत का असली चेहरा क्या है? जो उत्तराखंड को बेचने की बात कर रहा हो, आंखे बंद करके लूटने की बात कर रहा हो..।

हरीश रावत को उत्तराखंड की जनता कभी माफ नहीं करेगी।

लेखक उमेश कुमार पहले मीडिया में थे, अभी उत्तराखंड के विधायक हैं.

 

Loading...
loading...

Related Articles

Back to top button