शाइन सिटी का फंडा : दिखेगा तो फंसेगा

दृष्टांत न्यूज 64 हजार करोड़ के उत्तर प्रदेश के इस सबसे बड़े घोटाले के पीड़ित को इंसाफ दिलाने के लिए शातिर नटवर लाल के खिलाफ सीरीज चलाएगा।

बड़े-बड़े इनवेस्टर को एग्रीमेंट के पेपर दिखाकर जमीन में इनवेस्ट कर रकम को दो साल में ही डबल करने का सब्जबाग सीधे 64000 करोड़ का घोटालेबाज शाइन सिटी का एमडी राशिद नसीम दिखाता था या कंपनी के डायरेक्टर टाइप के बड़े अधिकारी। छोटे-बड़े निवेशकों की संख्या कुल 69000 के आसपास बताई जा रही है।

अनूप गुप्ता 

साल में एक एकड़ में कितने का गेहूं पैदा करते हो और कितने का धान, 50 हजार का…? एग्रीमेंट करो एक लाख रुपए सालाना दूंगा और घर बैठो, कुछ करने की जरूरत नहीं। पैसा खाते में पहुंच जाएगा। इस तरह सैकड़ों बीघे (पचासों एकड़) की झंडी और झंडे से सजी आधा दर्जन से अधिक साइट दिखाकर एक और जहां कम पैसे वालों को एजेंट के जरिए ठगा जाता था, वहीं बड़े-बड़े इनवेस्टर को एग्रीमेंट के पेपर दिखाकर जमीन में इनवेस्ट कर रकम को दो साल में ही डबल करने का सब्जबाग सीधे 64000 करोड़ का घोटालेबाज शाइन सिटी का एमडी राशिद नसीम दिखाता था या कंपनी के डायरेक्टर टाइप के बड़े अधिकारी। छोटे-बड़े निवेशकों की संख्या कुल 69000 के आसपास बताई जा रही है।

पहले ही दिन से वह दिमाग से खेल रहा था और आठ आंखें रखने का दावा करने वाले भी उसे पढ़ नहीं पाए। वह रोजाना चाल पर चाल चलता था, पर हमेशा खुद पीछे रहकर वजीर, सेनापति, हाथी, घोड़े, ऊंट व पैदल (बाइकर एजेंट को कार का लाभ देकर) को आगे (फ्रंट पर) रखता था। मन में इरादे साफ होते ही वह एग्रीमेंट भी लोकल एजेंट के नाम से कराने लगा था। इसी का नतीजा है कि राजधानी के हर वर्ग के हर नामचीन आदमी के साथ उसके फोटो वायरल होते रहे हैं। पहले वह खुद वायरल करता था और अब पीड़ित या उनके मददगार कर रहे हैं।

सियासी दल इसलिए अपेक्षाकृत शांत रहे क्योंकि उसके हमाम में सब नंगे थे। लोग दुनिया से निकल लेते हैं, पर किसी शीर्षस्थ के साथ एक फोटो नहीं खिंचा पाते उम्र भर, उसने जिसके साथ चाहा, उसको बुके देते हुए या स्वागत करते हुए न सिर्फ फोटो खिंचाया, बल्कि आंखों में धूल झोककर दिनदहाड़े डकैती डालने में उन फोटो व उन नामों का इस्तेमाल भी किया। पूरा दिमाग लगाकर खेल करने के क्रम में नई जेल रोड, निगोहां, गोसाईगंज एवं किसान पथ पर नाममात्र जमीन खरीदी थी, उसमें शानदार गेट, डिवाइडर व निवेशकों-खरीददारों को आकर्षित करने के लिए जो भी जरूरी था, वह सब करवाने में काफी रकम गलाई क्योंकि उसका साफतौर पर मानना था कि दिखेगा तो बिकेगा नहीं, बल्कि फंसेगा।

इसी झांसे में जहां निम्न मध्यम व मध्यम वर्ग के लोग फंसे, वहीं उच्च वर्ग के लोगों से भी जमकर इनवेस्ट कराया और बाद में सबका लेकर भगोड़ा बनकर दुबई में बैठा है। शुरू में जिसने भी संपर्क करने की कोशिश की, उन्हें नई-नई तारीखें देता रहा, फिर बाद में वीडियों जारी कर अन्य भगोड़ों का हथकंडा अपनाया। फलां के साथ क्या हुआ, फलां के साथ क्या हुआ, सरकार सख्त है और जान को खतरा हो सकता है आदि की बातें करने की खबर मिली है? इस दरम्यान सैकड़ों छोटे व बड़े लोगों को चेक भी जारी किए गए, लेकिन कंगाल बैंक के होने के कारण वे सब बाउंस हो गए। शुरू में तो किसान भी समझ नहीं पाए, पर बाद में कोई झंडी उखाड़ने पहुंचा तो पीटा गया, कोई जुताई करने पहुंचा तो पीटा गया और कोई एग्रीमेंट का बकाया मांगने पहुंचा तो पीटा गया।

गुंडई चरम पर थी। अगर किसी खरीददार ने जल्द रजिस्ट्री कराने की बात कही और गलती से गोमतीनगर आफिस या साइट पर पहुंच गया तो इतना पीटा गया कि फिर कभी पैसे मांगने ही नहीं आया। इस क्रम में जो दबाव बनाने में सफल रहे, उन्हें शुरू में खरीदे गए खेत में से प्लॉट दे दिए गए थे। आखिर में जेल गए बीच वाले, जो किसान व शैतान के बीच ब्रिज का काम कर रहे थे। वे जिन्हें कार पर जल्दी चढ़ने, जल्दी आगे बढ़ने व समाज में बड़ा दिखने की बहुत जल्दी थी। माता-पिता व बीवी-बच्चों की जरूरतें पूरी हो रही थीं तो घर से भी दिन-रात भागने की पूरी छूट थी इन बेरोजगारों की। इनमें कई छोटे-मोटे काम कर रहे थे तो कई छोटी-मोटी नौकरी। वे सब कुछ छोड़कर कंपनी के एक इशारे पर किसी से भी भिड़ने व किसी से भी जूझने के लिए हर पल तैयार रहते थे। यह वह वर्ग था, जिसने अपने व पराये में भेद ही खत्म कर दिया था।

बाद में क्या हुआ? इस खेल में सभी को जेल मिली, कुछ को बेल मिली। बाकी के घरवाले चक्कर लगा रहे हैं। ठप्पा अलग से लग गया कि ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको ठगा नहीं। दृष्टांत न्यूज 64 हजार करोड़ के उत्तर प्रदेश के इस सबसे बड़े घोटाले के पीड़िटन को इंसाफ दिलाने के लिए शातिर नटवर लाल के खिलाफ सीरीज चलाएगा।

दृष्टांत के कार्यक्रम में आए शाइन सिटी प्राइवेट लिमिटेड व राशिद नसीम की पूरी कुंडली खंगालने वाले हाईकोर्ट के वरिष्ट अधिवक्ता सत्येंद्र नाथ श्रीवास्तव के साथ सवालों के एनकाउंटर में उसके प्रत्यर्पण की भी बात पुरजोर तरीके से रखी गई। सरगना राशिद घोटालेबाज राशिद नसीम कैसे बना, इसकी सिलसिलेवार परतें दृष्टांत न्यूज उधेड़ेगा।

भगोड़ा राशिद नसीम

राशिद जब पैदा हुआ होगा तो उसके मां-बाप की खुशी का ठिकाना नहीं होगा। साथ ही सपना देखा होगा कि बेटा पढ़-लिख कर संसार में ख्यात होगा। 140 करोड़ देशवासियों की सेवा करेगा, पर यह क्या? वह सेवा के बजाय अमीरों व गरीबों की हजारों करोड़ की मेवा लेकर भाग गया और एजेंसियां हाथ पर हाथ धरे बैठी रहीं। विख्यात के बजाय उसकी नजर हमेशा से ही कुख्यात बनने पर रही। जैसे-जैसे वह इस रास्ते पर आगे बढ़ता गया, लूट के इरादे पुख्ता व खतरनाक होते चले गए। बड़ा आदमी बनने का सपना देखने के क्रम में भू माफिया व दूसरे गलत क्षेत्रों से कम समय में धन कमाने वाले लोगों का कारवां जुड़ता चला गया।

अब जब उसे देश का सबसे बड़ा भगोड़ा अपराधी घोषित किया जा चुका है तो बाकी दो नंबर वाले छिपे-छिपे घूम रहे हैं। इतना ही नहीं, कोई ऐसा दौलत व कलेजे वाला माई का लाल नहीं मिला, जो यह कह सके कि राशिद उसका इतने करोड़ लेकर भाग गया है। आज उस मां को भी लज्जा आती होगी। बेटा कहने से शर्म के मारे इंकार करती होगी। शायद इसी कारण उन्होंने संपत्ति से बेदखल कर दिया है। समाज में दोनों ही तरह के उदाहरण मौजूद हैं, जब माता-पिता ने बेटे की करतूत से परेशान होकर अतीत में हजारों बेटों को बेदखल किया है। हालांकि इस बेदखली को कई जानकार रणनीति का हिस्सा करार देते हैं। उस पर जब पैसा वापसी का दबाव बनने लगा तो निश्चित तौर पर भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के कुछ बड़े-बड़े नेताओं के संरक्षण के कारण वह देश छोड़ने में सफल रहा।

अब दुबई में वह भगोड़ा के बजाय एक संत व रॉबिनहुड की इमेज बनाने की कोशिश में लगा रहता है। कानूनी प्रक्रिया के तहत देश लाकर उसे सलाखों के अंदर डालने की कोशिश में लगे अधिवक्ता श्रीवास्तव ने लगातार मोर्चा खोल रखा है। उसे एक दिन भारत आना होगा, आना होगा, आना होगा और सलाखों के अंदर जाना होगा, जाना होगा और जाना होगा। यूएई से प्रत्यर्पण संधि न होने से ज्यादा सालता है सियासी दलों का चाल, चरित्र, चेहरा और कथनी-करनी में फर्क, जिसके कारण ही वह भागने में सफल रहा था व इसके ही कारण उसे लाने की दिशा में सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

श्रीवास्तव बताते हैं कि साल 2014 में कानपुर में एक कंपनी रजिस्टर होती है। नाम रखा गया साइन सिटी इंफ्रा प्राइवेट प्रोजेक्ट लिमिटेड। कंपनी ने सपने बेचने शुरू किए कि हम रेजीडेंसियल व कॉमर्सियल प्लॉट और फ्लैट देंगे। फ्लैट किसे बनाने थे तो नाममात्र रकम से नाममात्र की जमीन खरीद कर प्लाट के नाम पर गेम शुरू किया। कालांतर में पर्दे के पीछे राजनीति व व्यापार के बहुत बड़े-बड़े खिलाड़ी जुड़ते गए। उनकी काली कमाई को नसीम ने इसमें लगाने का ढोंग किया था।

बिना बड़े इनवेस्टमेंट के इतना बड़ा न तो कोई भू माफिया बन सकता है और न ही घोटाला हो सकता है। ठगी का मास्टर प्रिंट तैयार किया गया। कुछ जमीनों का एग्रीमेंट कराया गया, कुछ खरीदी गईं और एक विस्तृत क्षेत्रफल दिखाकर निवेशकों से कहा गया कि सारा प्रोजेक्ट हमारा है। इसमें पैसा लगाइए जल्द डबल होगा। शुरू में 51 परसेंट शेयर होल्डिंग जारा नसीम के पास थी तो बाकी उसके भाई आसिफ नसीम के पास। आगे कंपनी ग्रो करती गई और मोटी रकम लेकर आने वाले करीब दर्जन भर लोगों को असिस्टेंट डायरेक्टर के नाम पर प्रवेश कराया गया।

छुटभैया नौकर कैसे बना नटवर लाल : इससे पहले वह एक साधारण आदमी था और स्पीक एशिया, रामसर्वे कंपनी के लिए काम करता था। बाद में बजाज एलियांज की फ्रेंचाइजी ली थी। कूटरचित कागजों के जरिए वहां इसने प्रीमियम के पैसे डकारने से शुरुआत की थी। साल 2013 में राजधानी के एक अखबार ने फ्रॉड के बारे में बाकायदा छापा था, फिर भी जो राजनेता व आईएएस-आईपीएस उसके इतिहास के बारे में नहीं जानते थे, वे उसकी बातों में आकर फंसते चले गए।

लखनऊ की पहली साइट चालू की थी पैराडाइज गार्डेन। इनिशियली जब आप शुरुआत करते हैं किसी भी काम की तो ईमानदारी दिखानी पड़ती ही है। सभी भगौड़ों का ऐसा ही इतिहास रहा है। इसने भी किसानों से बाकायदा रजिस्ट्री कराई शाइन सिटी कंपनी के नाम। रजिस्ट्री एग्जीक्यूट होती है कुछ बीघे की। इसके बाद सैकड़ों किसानों को ज्यादा कमाई का लालच देकर एग्रीमेंट कराया जाता है, उन्हें जुताई-बुआई करने से रोक दिया जाता है। इसके लिए साम, दाम, दंड और भेद की नीति पर चलकर जमीन पर झंडे लगाने के लिए 50000 महीने तक रकम अदा की गई या जो नहीं मान रहे थे, उन्हें पार्टनर बना लिया गया। किसी जो जब कुछ देना ही नहीं था तो अपना पूरा कारोबार उन्हीं का बताने-दिखाने में हर्ज क्या था? गांव या क्षेत्र के बिचौलिए के कारण लालच में आए किसान यदि समय से जाग जाते तो प्रदेश के नागरिकों का इतना बड़ा नुकसान हो ही नहीं पाता।

सस्ते प्लॉट के विज्ञापन, निवेश और कार्रवाई के बारे में वह कहते हैं कि 2023 में एनफोर्समेंट व ईओडब्लू ने एक जांच करवाई उस समय एसपी स्वप्निल ममगईं थे। उन्होंने अपनी निगरानी में एक जांच कमेटी बनाई तो चार-पांच लोगों के नाम पता चले। उन्होंने तीन बैंकों के 35 अकाउंट की जांच कराई तो दो लाख 19 हजार लोगों से पैसे लेने के सुबूत मिले थे। इसमें कुछ बड़े पेमेंट थे तो बाकी धन जीडीबीसी से आया था, जो इनीशियल प्रोजेक्ट (खुदरा स्कीम) था। इसमें हजार से 3000 रुपए प्रति माह लोग जमा करते थे। हाईकोर्ट में रिट में जो डिटेलिंग आई है, उसमें 45 बैंकों के 121 अकाउंट के बारे में बताया गया है। अभी सारे बैंकों के डिटेल नहीं आए हैं, जिस दिन सारे डिटेल आ जाएंगे, तब पीड़ितों की संख्या तीन लाख से भी ऊपर पहुंच जाएगी और तभी पता चलेगा कि वस्तुतः कितने हजार करोड़ का ये घोटाला है।

प्रारंभिक तौर पर इसे 64-65000 करोड़ का जरूर बताया जा रहा है। इनवेस्टर किस श्रेणी के थे, के सवाल पर वह कहते हैं कि दोनों तरह के थे। खुदरा खरीदार भी थे और बड़ी मछलियां भी। सही मायने में बड़े-बड़े आईपीएस-आईएएस को ही इनवेस्टर कहना ठीक रहेगा क्योंकि बड़ी मात्रा में ब्लैक मनी खपाई गई थी। इनवेस्टर टॉप टू बॉटम हर तरीके की श्रेणी के थे। देहात के बेरोजगारों को जोड़ने के लिए फ्रिज व वाशिंग मशीन जीतने का विज्ञापन दिया गया था। उसने कई टीम बनाई थी, जो फ्रंट पर काम करती थीं और वह पर्दे के पीछे रहता था और बड़े-बड़े खिलाड़ियों को भी पर्दे के पीछे ही रखता था। जैसे- चैंपियंस टीम, स्पार्टन टीम और कोहिनूर आदि। उसने गोमतीनगर सीओ, कोतवाल और चौकी इंचार्ज तक को मैनेज कर रखा था और क्रमशः पांच, तीन व डेढ़ लाख रुपए प्रति माह पहुंचाए जाते थे। उसने पूरे सिस्टम को बूना बनाकर रख दिया था। इस आशय की ऑडियो रिकॉर्डिंग को कोर्ट में भी पेश किया गया है।

 

ज्ञात हो कि उसका कॉर्पोरेट ऑफिस गोमतीनगर थाने के ही तहत आता था। कोई जब जांच एजेंसी को ही खरीद लेता है हर माह तो लोगों की सुनवाई कहां होगी और कोई जांच करके अपने ही पैर पर भला क्यों कुल्हाड़ी मारेगा?

आपके कथन के अनुसार साफ है कि राशिद पहले से ही तय कर चुका था कि निवेशकों का पैसा लेकर भागना है। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद क्लेम फाइल करना शुरू कराने पर पता चला है 2014 की रजिस्ट्री लिए लोग टहल रहे हैं और दस साल से कब्जा नहीं मिला है तो साफ है कि डे वन से ही उसके इरादे साफ थे और अगर कोई नहीं समझ पाया तो समझदार होने का दावा करने वाले पढ़े-लिखे लोग। रजिस्ट्री पर उसके हस्ताक्षर हैं। उसको संजीवनी कहां से मिल रही है, के सवाल पर बोले कि हर बड़े राजनेता के साथ उसके फोटोग्राफ हैं। हम दशकों तक कार्यकर्ता रहे एक सियासी दल के, पर किसी ने मौका नहीं दिया फोटो खिंचाने का। इसके विपरीत जिस पर कई एफआईआर हो और पीएमएलए में अभियुक्त हो, उसके साथ राम नाईक, रीता बहुगुणा जोशी, उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक व केशव प्रसाद मौर्य, जगदीश मुखी आदि फोटो खिंचाते थे।

पूर्व मुख्यमंत्री से लेकर कई मंत्रियों ने भी उसे संरक्षण दिया हुआ था। उनके चित्रों के साथ राजधानी में बड़े-बड़े होर्डिंग लगते थे। इस तरह उसने पूरे के पूरे सिस्टम को ही हैक कर लिया था। उसके ऑफिस में सेल्स टैक्स और इनकम टैक्स का छापा पड़ा, इस बात का प्रमाण है क्योंकि दोनों बार में ही उसका कोई बाल बांका नहीं कर पाया। कई बार विभागों ने पेनाल्टी इंपोज की, पर कहीं कुछ नहीं।

वह सिस्टम के सिर पर चढ़कर पेशाब कर रहा था। 2013 से मीडिया लिख रहा है कि यह आदमी ठग है, चोर है और इस पर दर्जनों मुकदमे पंजीकृत हैं, फिर भी लोग न जाने किस लालच में बेशर्मी से उसके साथ फोटो खिंचा रहे हैं। 2017 से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुखिया हैं। हर बड़े प्लेटफार्म और मंच से वह भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं। ऐसे में उन्हें चाहिए कि इतने सुबूत हाथ में होने के बाद पार्लियामेंट्री रिपोर्ट बनवा कर गरीबोंके अरमानों के हत्यारे को दंडित करवाने में मदद करें और जब तक उस पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक दृष्टांत न्यूज की मुहिम जारी रहेगी।

 

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4000 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं
अब तक शाइन सिटी कंपनी और उसके एमडी राशिद नसीम, उसके भाई आसिफ नसीम के साथ ही कंपनी के 40 से अधिक अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ लखनऊ समेत प्रदेश के कई जिलों साथ ही दिल्ली, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुवाहाटी जैसे राज्यों में धोखाधड़ी के हजारों मामले दर्ज हो चुके हैं. देश में शाइन सिटी कम्पनी की ठगी के शिकार लोगों की संख्या 10 लाख से भी अधिक है. महाठग राशिद नसीम और उसके भाई आसिफ नसीम पर उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में 4000 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं. सिर्फ लखनऊ के गोमतीनगर थाने में ही 238 केस दर्ज हैं. 

पुलिस ने घोषित कर रखा है इनाम 
लखनऊ पुलिस ने दोनों भाइयों पर पर 50-50 हजार और वाराणसी पुलिस ने 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है. इसके अलावा ईडी ने भी दोनों महाठग भाइयों समेत शाइन सिटी कंपनी के छह अफसरों के खिलाफ मनी लॉड्रिंग एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है. तो चलिए हम आपको बताते हैं महाठग राशिद नसीम की पूरी कहानी.

प्रयागराज का रहने वाला है राशिद नसीम
राशिद नसीम मूलरूप से प्रयागराज करेली के जीटीबी नगर का रहने वाला है. बताते हैं कि करीब 20 साल पहले वो मल्टी लेवल मार्केटिंग कंपनी स्पीक एशिया का एक मामूली एजेंट था. कंपनी की ठगी की योजनाएं समझने के बाद उसने नौकरी छोड़ दी और लखनऊ आ गया. यहां उसने हजरतगंज के डालीबाग इलाके में स्थित ग्रैंड न्यू अपार्टमेंट में एक पेंट हाउस खरीदा. जनवरी 2013 में उसने शाइन सिटी इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड के नाम से रियल स्टेट कंपनी शुरू की. कम्पनी का ऑफिस गोमतीनगर के आर स्क्वायर मॉल में बनाया. सस्ते दाम में प्लाट का झांसा देकर उसने ठगी का मायाजाल फैलाना शुरू किया. महाठग राशिद नसीम के पास एक इंच भी जमीन नहीं थी लेकिन उसने राजधानी लखनऊ की सीमा से सटे इलाकों में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट का प्रचार प्रसार शुरू किया. शातिर राशिद ने किसानों से उनके खेत में अपनी कंपनी के प्रोजेक्ट के होर्डिंग लगाने के लिए संपर्क किया. वो किसानों को एक होर्डिंग लगाने के एवज में हर महीने 20 से 25 हजार रुपये किराया देता था. सिर्फ एक होर्डिंग लगाने के इतने रुपए मिलने पर किसान आसानी से राजी हो जाते थे. इस तरह उसने जगह-जगह खेतों में अपनी हाउसिंग स्कीमों के होर्डिंग लगाकर लोगों को अपनी प्रेजेक्ट साइट बताकर विजिट करा कर रुपया जुटाना शुरु कर दिया. राशिद ने पूरे प्रदेश और फिर देश के कई राज्यों में नेटवर्क फैलाया. आकर्षक कमीशन का लालच देकर उसने छोटे-छोटे जिलों और शहरों में अपने एजेंट तैयार किए. इन एजेंट के जरिए उसने लोगों से निवेश में मुनाफा, प्लॉट और मकान देने के नाम पर सैकड़ों करोड़ रुपया इकट्ठा किया. 

भाग गया दुबई 
राशिद ने रियल स्टेट और निवेश की जो स्कीमें शुरू की थीं, उनमें सालभर के बाद निवेशकों को लाभ मिलने थे. शुरुआत में स्कीमों की अवधि पूरी होने पर राशिद ने अपने निवेशकों को लाभांश दिया. लेकिन, निवेशकों को मुनाफा देने का उसका ये फैसला ठगी की बड़ी साजिश का हिस्सा था. राशिद ने जब निवेशकों को मुनाफा दिया तो लोगों का उसकी कंपनी पर भरोसा बढ़ने लगा. लोगों ने अलग-अलग नामों से और अपने परिवार के सदस्यों के नामों से उसकी कंपनी में लाखों रुपए निवेश करने शुरू कर दिए. 2 साल बाद ही राशिद नसीम ने अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया. उसने धीरे धीरे निवेशकों को मुनाफा देना बंद कर दिया. निवेशक उससे संपर्क करते या दफ्तरों के चक्कर काटते तो वो उन्हें जल्द पैसा देने का वादा करके टरका देता. निवेशकों के पैसे फंसे तो उन्होंने दबाव बनाना शुरू कर दिया, उसके कार्यालय का घेराव किया. धरना-प्रदर्शन किया गया. पुलिस से शिकायतें शुरू की. कंपनी के एजेंटों पर दबाव बनाया. कंपनी के एजेंट और कर्मचारियों पर भी जालसाजी के आरोप लगने लगे तो उन्होंने भी नौकरियां छोड़नी शुरू कर दीं. इस बीच राशिद नसीम और उसके भाई आसिफ नसीम ने दफ्तर आना बंद कर दिया. करीब 3 साल पहले राशिद ने शाइन सिटी कंपनी का ऑफिस बंद कर दिया और दुबई भाग गया. ठगे गए लोगों ने कई बार कंपनी के कार्यालय में धरना प्रदर्शन करने के साथ ही तोड़फोड़ भी की.

कम्पनियों की भरमार 
उधर, राशिद नसीम ने दुबई से ही कई नई कम्पनियां शुरू कीं. उसने शाइन सिटी इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड, शाइन सिटी बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड, शाइन सिटी इरेक्टर्स प्राइवेट लिमिटेड, शाइन सिटी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड, शाइन सिटी डवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, शाइन सिटी कॉलोनाइजर्स प्राइवेट लिमिटेड, शाइन सिटी रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड, शाइन सिटी रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड, शाइन सिटी चैरटीयर्स ऑफ रिलायबल सर्विसेजज प्राइवेट लिमिटेड, शाइन सिटी फूड्स एंड मीडिया प्राइवेट लिमिटेड, शाइन जॉइन ज्वेलरी ट्रेडिंग  प्राइवेट लिमिटेड, शाइन सिटी एयरवेज प्राइवेट लिमिटेड, क्लिक फॉर लाइफ यात्रा प्राइवेट लिमिटेड, शाइन ऐमार इंश्योरेंस मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड, शाइन केम्फलो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, गीत ज्वेलरी प्राइवेट लिमिटेड, शाइन सिटी अकेडमी ऑफ एविएशन एंड हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड, अराइज इंफ्रा प्रॉपर्टीज मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड के अलावा इलेक्ट्रॉनिक अप्लायंसेस, इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस, पर्सनल केयर उत्पादों की कम्पनियां और वर्चुअल करेंसी एसवीसी का धंधा भी शुरू किया.

टारगेट पूरा करने पर टीम को देता था लग्जरी कारें 
राशिद अपनी टीम के लोगों और निवेशकों से संपर्क कर लगातार उनकी रकम वापस देने का भरोसा दिलाता रहा. साथ ही और निवेश के लिए प्रोत्साहित करता रहा. टीम के सदस्यों के लिए उसने आकर्षक स्कीमें भी लांच की. कम्पनी के वाइस प्रेसिडेंट और अन्य अफसरों के लिए 75 लाख का टारगेट पूरा करने पर एक एसयूवी और दुबई में दो रातों और तीन दिन का पैकेज देता था. इसी तरह 50 लाख के टारगेट पर लग्जरी कार, 25 लाख के टारगेट पर सामान्य कार और फॉरेन टूर के अलावा 15 लाख रुपये के टारगेट पर सिर्फ फॉरेन टूर देता था.

दुबई जाकर कई देशों में शुरू किया गोरखधंधा
महाठग राशिद नसीम ने दुबई जाकर खुद को ग्लोबल ब्रांड घोषित कर दिया. साल 2018 में उसने यूएसए, लंडन, न्यूजीलैंड, कनाडा, डेनमार्क, स्वीडन, आयरलैंड, हांगकांग, सिंगापुर, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, फिनलैंड, मलेशिया, जॉर्जिया देशों में अपनी कम्पनियां शुरू करने का एलान किया. महाठग राशिद नसीम ने रियल एस्टेट में ग्रुप हाउसिंग, फ्लैट, कामर्शियल प्रॉपर्टी, आवासीय और व्यावसायिक प्लॉट, रो हाउसिंग के प्रोजेक्ट बनाए. इलेक्ट्रॉनिक्स में उसने एलईडी टीवी, रेफ्रिजरेटर, माइक्रोवेव ओवन, मिक्सर-ग्राइंडर, पंखे समेत अन्य घरेलू उत्पाद लांच किए.  

देशभर में चलाईं थीं ये हाउसिंग स्कीमें
लखनऊ में सीतापुर रोड पर पैराडाइज गार्डन, मोहनलालगंज में नगराम रोड पर शाइन वैली, न्यू जेल किसान पथ पर सॉलिटेयर सिटी, न्यू जेल रोड पर ही जेवियर सिटी, नगराम रोड पर समृद्धि गुल्लक, किसान पथ पर नेचर वैली, निगोहा में रायबरेली रोड पर रॉयल रेजिडेंसी, बिजनौर रोड पर वेलवेट सिटी, रायबरेली रोड पर टोल प्लाजा के पास वैदिक विहार और रॉयल रेजिडेंसी, वाराणसी में काशियाना फेज वन, काशियाना फेज 2, काशियाना फेज थ्री, कुटुंब काशियाना, चंदौली इंडस्ट्रियल एरिया में चंद्रलोक काशियाना और चंद्रलोक काशियाना फेस 2, रोहनिया में अराइज वेलवेट के अलावा एलीट काशियाना, मिर्जापुर में माउंट हैवन, विंध्यांचल में विंध्य आंगन, गोरखपुर में शुभालय 1, शुभालय 2, शुभालय 3,  रायबरेली में शाइन रामनीया, प्रतापगढ़ में करंट अर्बन, सुल्तानपुर में सॉलिटेयर, कानपुर के चौबेपुर में गैलेक्सी 1 गैलेक्सी 2, पोल स्टार सिटी 1, पोल स्टार सिटी 2, पोल स्टार 3, समृद्धि गुल्लक, प्रयागराज में गौहनिया चौराहा पर जायर स्पार्कले, समृद्धि गुल्लक फेस 1, झांसी में सारस, बिहार के पटना में ताशी, ओमना, सिवान में बहुलिया सिवान, राजगीर में निसर्ग, सासाराम में रिवर माउंट, गया में स्वर्ग भूमि, रायपुर में दक्ष, दुर्ग में नक्श, कोलकाता में टाटा कैंसर अस्पताल के पास शाइन ग्रीन पैराडाइज, धनबाद में समृद्धि निवास और दरसी, हजारीबाग में मंधन, गोवाहटी में शाइन वैली. 

आशियाने का ख़्वाब दिखाकर ठगे करोड़ों रुपये
शातिर राशिद ने लोगों को घर बनाने का झांसा देकर मोटी रकम जुटाई. उसने 200 रूपये प्रति स्क्वायर फुट से 1000 रुपये प्रति स्क्वायर फुट के प्लाट दो लाख से 10 लाख रुपये में बेचने की स्कीमें लांच की. अलग-अलग साइज के प्लाट के लिए 20 हजार से एक लाख रुपये तक बुकिंग अमाउंट वसूला और 3000 से 2 लाख रुपये तक की न्यूनतम मासिक किस्त में तय कर दीं. ये किस्तें मामूली होती थीं इसलिए ज्यादा से ज्यादा लोग उससे जुड़ते गए. उसने लोगों को लुभाने के लिए प्लॉट की बाउंड्री वाल के निर्माण पर 50 प्रतिशत और निर्माण कार्य पर 20 प्रतिशत छूट का ऑफर भी दिया था. 

पीआईपी यानि प्रोजेक्ट इन्वेस्टमेंट प्लान
इस प्लान में 2 लाख रुपये का न्यूनतम निवेश करने पर 12 महीने बाद मूलधन यानि दो लाख रुपये की वापसी और 15 महीने बाद 30 हज़ार रुपये का लाभ और साथ में 800 स्क्वायर फीट का प्लॉट देने की बात कही गई थी. 15 महीने बाद प्लॉट खुद या किसी दूसरे व्यक्ति के नाम से रजिस्ट्री करा सकते हैं या अपनी मनचाही कीमत पर किसी अन्य को बेच सकते थे. 15 महीने के बाद कंपनी को ही दो लाख रुपये में प्लाट बेच सकते थे. यानि कंपनी 15 महीने बाद निवेशकों को दो लाख रुपये मूलधन के साथ 30 हज़ार रुपये का लाभांश और दो लाख का प्लाट या उसकी कीमत अर्थात कुल लाभ 4,30,000 रुपया कमाने का लालच देती थी. 

गीत ज्वैलरी कम्पनी खोलकर शुरू किया हीरों का कारोबार
राशिद ने गुजरात के एक कारोबारी के साथ मिलकर साल 2017 में हीरों का कारोबार शुरू किया. उसने गीत ज्वैलरी का नाम से कम्पनी शुरू की. उसके ज्यादातर क्लाइंट कम्पनी के ही अधिकारी-कर्मचारी और एजेंट थे. राशिद सबको उनकी परफार्मेंस के आधार पर प्वाइंट्स देता था और फिर ज्वैलरी खरीदने पर प्वाइंट्स रिडीम कराता था. इससे जहां लोगों को ज्वैलरी काफी कम दामों में मिल जाती थी. वहीं, राशिद को खूब बिजनेस मिलता था. 

50 प्रतिशत रेट पर लग्जरी कारों की स्कीम
राशिद ने कम्पनी से जुड़े लोगों के लिए 50 परसेंट रेट पर लग्जरी कारों की स्कीम शुरू की थी. उसकी ये स्कीम भी नेटवर्क मार्केटिंग का हिस्सा थी. कम्पनी के अधिकारियों-कर्मचारियों को इन्वेस्टमेंट के टारगेट पूरे करने पर उन्हें प्वाइंट्स मिलते थे. लग्जरी कार लेने वालों को वो प्वाइंट्स रिडीम करने पर कार की कीमत में 50 परसेंट छूट देता था. आधे दाम पर लग्जरी कार पाने के लिए कम्पनी के लोगों ने उसे खूब बिजनेस दिलाया. 

अल्कलाइन वाटर बनाने वाली केम्फलो कम्पनी लांच की
राशिद नसीम ने बढ़ती उम्र को रोकने के लिए जल क्रांति के स्लोगन के साथ अल्कलाइन वाटर कम्पनी केम्फलो भी लांच की. शाइन केम्फलो नाम की ये कम्पनी अल्कलाइन वाटर प्योरिफायर सिस्टम और मशीन के अलावा अल्कलाइन वाटर पॉट्स, अल्कलाइन वाटर जग, बॉटल, स्टिक बनाती थी. काफी महंगी मशीन वो सिर्फ 1650 रुपये में बेचता था. ये ऑफर सिर्फ बिजनेस टारगेट के साथ ही मिलता था. 

बिटकॉइन की तरह अपनी वर्चुअल करेंसी शाइन वी कॉइन (एसवीसी) शुरू की
शातिर राशिद नसीम ने वर्चुअल करेंसी की तेजी से बढ़ती दुनिया में भी कदम रखा. उसने अपनी वर्चुअल करेंसी एसवीसी शुरू की. चूंकि, राशिद के पास 10 लाख से ज्यादा कंज्यूमर पॉवर थी इसलिए उसने एसवीसी से खूब मोटी कमाई की. अपनी वर्चुअल करेंसी एसवीसी की शुरुआत उसने ढाई से तीन रुपये से की थी. कुछ ही हफ्तों में उसका रेट 125 से 130 तक पहुंच गया. उसने कम्पनी के अधिकारियों-कर्मचारियों को टारगेट पूरा करने पर प्वाइंट्स के बदले एसवीसी देना शुरू किया. बाद में वही लोग एसवीसी में रुपया लगाने लगे जिससे इस वर्चुअल करेंसी का रेट बढ़ने लगा. 

अफसरों की काली कमाई के निवेश और पुलिस से सेटिंग करके फलता-फूलता रहा महाठग
राशिद नसीम पर पुलिस महकमे की खासी मेहरबानी रही. उसने कई आईएएस और आईपीएस अफसरों की काली कमाई भी अपने प्रोजेक्ट्स में निवेश कर रखी थी. इसके अलावा उसने कुछ नेताओं से भी नजदीकियां बना ली थीं. यही वजह है कि ठगी के आरोपों में घिरने के बाद भी काफी समय तक उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. गोमतीनगर पुलिस और एसआरएस मॉल चौकी की पुलिस तो जैसे उसके इशारों पर काम करती थी. शाइन सिटी कम्पनी की ठगी के शिकार लोगों को पुलिस थाना-चौकी से ही टरका देती थी. पुलिस की राशिद और उसके गुर्गों से सांठगांठ थी. कम्पनी के खिलाफ कोई भी शिकायत लेकर आता तो उसकी सूचना तत्काल राशिद तक पहुंच जाती थी. राशिद शिकायतकर्ता को मैनेज कर लेता था। इसके बदले राशिद हर महीने पुलिस को मोटी रकम देता था. राशिद के कई ऑडियो वायरल हुए जिसमें उसने अपने खास पुलिसकर्मियों के नाम लिए हैं. ऐसे कुछ पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई थी.

जॉर्जिया की नागरिकता लेने की कर रहा कोशिश
राशिद के फिलवक्त दुबई में होने की जानकारी मिल रही है. देश से भागने के बाद वो किसी अन्य देश की नागरिकता लेने की कोशिश कर रहा है. दुबई नागरिकता नहीं देता इसलिए राशिद ने इसके लिए जॉर्जिया में आवेदन किया है. 

शाइन की डायरेक्ट मार्केटिंग टीम के अध्यक्ष उपाध्यक्ष बीडीएम एसोसिएट और एजेंट के नाम
डॉ अमिताभ श्रीवास्तव सिंघम टीम, रवि तिवारी विक्रांत टीम, ज्ञान प्रकाश उपाध्याय, मनीष जयसवाल, ओमकार, विवेक किंग ऑफ स्पाइडर, दिनेश कुमार मौर्य टाइम चैंपियन का प्रेसिडेंट, विनीत पांडे वाइस प्रेसिडेंट, नवीन पांडे बीडीएम स्पार्टा टीम, नूरुल वाराणसी, अभिषेक ठाकुर पैंथर टीम, नितिन ,आशीष सिंह, संजय वर्मा जगुआर टीम, नितिन जयसवाल और रोहित शर्मा टीम अटल, अजीत यादव टीम शाइन, मोहम्मद जावेद, शोभनाथ शर्मा डोमिनेटर टीम, अभिषेक अवस्थी और संदीप पांडे कोहिनूर टीम, मोहम्मद तारिक शाइन विक्टर टीम, संदीप राठौर राइजिंग स्टार टीम, अभिनव दीप यूथ इंडियन टीम का रिया शेख और नाजिम शेख, शाइन अमन टीम का संजीव श्रीवास्तव जैसे सैकड़ों लोग राशिद की टीम का हिस्सा थे. 

अमिताभ श्रीवास्तव शाइन सिटी का खास आदमी था. वो सिंघम टीम का अध्यक्ष था जो इस समय जेल में है. उसे वाराणसी पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार किया था. वाराणसी में वो अपनी कम्पनी किंग्सटन बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड चलाता था. मूलरूप से बिहार के सिवान का रहने वाला अमिताभ यहां वाराणसी में दशाश्वमेध घाट रोड पर एक अपार्टमेंट में रह रहा था. वो शाइन केमफ्लो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, वर्धमान बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड, शाइन सिटी बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड, शाइन जॉइन ज्वेलरी ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड, शाइन सिटी एयरवेज प्राइवेट लिमिटेड, क्लिक फॉर लाइफ यात्रा प्राइवेट लिमिटेड, शाइन ऐमर इंश्योरेंस मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड, माइलस्टोन रियलकॉन लिमिटेड, शाइन सिटी इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड, शाइन जॉइन प्राइवेट लिमिटेड, क्विक डील ऑनलाइन ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड, ऑलमाइटी कैरियर एंड कंसलटेंसी प्राइवेट लिमिटेड, गीत ज्वैलरी प्राइवेट लिमिटेड, शाइन सिटी अकैडमी आफ एवियशन एंड हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा था.

चालाक राशिद ने खुद को बचाया, सिर्फ मोहरे गिरफ्तार
राशिद नसीम जानता था कि ठगी के बाद उसे देश छोड़कर भागना है इसलिए किसी कानूनी पचड़े में नहीं फंसना चाहता था. इसके लिए उसने ऐसी चाल चली कि कोई समझ ही नहीं पाया. शातिर राशिद ने अच्छा बिजनेस लाने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को कम्पनी के वाइस प्रेसिडेंट और मैनेजर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर बैठाना शुरू किया. प्लॉट की रजिस्ट्री पर इन्हीं अफसरों के दस्तखत होते थे. बाद में प्लॉट नहीं मिलता तो एफआईआर में दस्तखत करने वाले ही फंसते थे. राशिद ने अपने सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को मोहरा बनाया और अरबों रुपया डकारकर दुबई भाग गया. यहां पुलिस ने कार्रवाई शुरू की तो राशिद के तैयार किए मोहरे फंसते गए. पुलिस अब तक कम्पनी के वाइजस प्रेजिडेंट अमिताभ श्रीवास्तव, ज्ञान प्रकाश के अलावा उत्तमा अग्रवाल, दीपक भारती, वशिष्ठ कुमार, विनय चौधरी समेत कई लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है.

नेपाल में गिरफ्तार हुआ था, छूटने के बाद से है अंडरग्राउंड
महाठग राशिद नसीम बीते साल नेपाल में गिरफ्तार हुआ था. पुलिस सूत्र बताते हैं कि राशिद ने नेपाल में मल्टी लेवल मार्केटिंग नेटवर्क से जुड़ी स्कीमों को लेकर एक आयोजन किया था. नेपाल में इस तरह की स्कीमों को अवैध घोषित किया गया है इसलिए वहां की पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. बताते हैं कि राशिद 43 दिन नेपाल की जेल में रहा. वहां से जमानत पर छूटने के बाद से वो अंडरग्राउंड है. लखनऊ समेत देश के कई राज्यों की पुलिस उसे तलाश कर रही है. लखनऊ पुलिस ने उसके दुबई में होने की आशंका पर विदेश मंत्रालय से संपर्क भी किया है. इस सिलसिले में लखनऊ पुलिस लगातार विदेश मंत्रालय से पत्राचार कर रही है. राशिद और उसके भाई आसिफ के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी है. इसी साल जनवरी में ईडी ने राशिद और आसिफ समेत शाइन कम्पनी के छह लोगों पर अवैध तरीके से 36.54 करोड़ रुपये देश से बाहर भेजने के आरोप में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है. 

कम्पनी के चक्कर में कई ने दी जान तो कुछ की संदिग्ध हालात में हुई मौत
शाइन सिटी कम्पनी के चक्कर में कई लोगों ने खुदकुशी कर ली तो कुछ की संदिग्ध हालात में मौत हो गई. उन्नाव में रहने वाले 27 साल के मनीष निषाद ने बतौर एजेंट कम्पनी में काफी लोगों की रकम निवेश कराई थी. निवेश की निर्धारित अवधि बीतने के बाद जब लोगों को रुपये वापस नहीं मिले तो उन्होंने मनीष से संपर्क किया. मनीष ने राशिद और कम्पनी के अन्य अफसरों से सम्पर्क साधा लेकिन सब उसे टरकाते रहे. उधर, निवेशकों ने मनीष पर दबाव बनाना शुरू कर दिया. परेशान मनीष ने 20 जून 2020 को राशिद नसीम को व्हाट्सअप पर मैसेज भेजकर लोगों की रकम वापस दिलाने की गुहार लगाई. राशिद ने उस पर ध्यान नहीं दिया अंत में भारी दबाव के चलते 22 जून 2020 को मनीष ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली. 

उन्नाव के ही सहायक शिक्षक प्रदीप कुमार शुक्ला निवेशकों के दबाव से इतने तनाव ग्रस्त हो गए कि बेहोश होकर आग में गिर पड़े. उनका चेहरा झुलस गया और एक आंख खराब हो गई. लखनऊ के गुडम्बा कुर्सी रोड निवासी शाहिद हुदा को तनाव के कारण ब्रेन स्ट्रोक आ गया, उनकी याददाश्त खो चुकी है.

महिला ने की खुदकुशी 
इसी तरह बिहार के रहने वाले कुंदन की संदिग्ध हालात में मौत हो गई. कुंदन के भाई किशन ने बताया कि उसे 21 सितंबर 2020 को कई गाड़ियों ने टक्कर मारी थी जिसमें उसकी मौत हो गई. किशन के मुताबिक उसका भाई शाइन सिटी कम्पनी में था और लोगों का रुपया कम्पनी में लगवाया था. कम्पनी रुपया वापस नहीं कर रही थी जिस पर वो दबाव बना रहा था. इसी दौरान उसके भाई की रहस्यमय हालात में मौत हो गई. 

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