कुसुमलता के साथ है मायावती के भाई, उनकी पत्नी विचित्र लता का आर्थिक गठजोड़

yadav singh

नोएडा और ग्रेटर नोएडा के निलंबित चीफ इंजीनियर यादव सिंह की काली कमाई के गठजोड़ में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के भाई और भाभी की कंपनियां भी संलिप्त थीं। यह आरोप शुक्रवार को मौलिक भारत संस्था के कैप्टन विकास गुप्ता ने लखनऊ में एक प्रेस कांफ्रेंस लगाया। उन्होंने खुलासे का दावा करते हुए कहा कि यादव सिंह ने पांच कंपनियों के जरिये करोड़ों की काली कमाई को सफेद करने की कोशिश की। हालांकि, इस बारे में कैप्टन विकास कोई ठोस दस्तावेज नहीं दे सके।
उन्होंने कहा कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा के जीएम फाइनेंस रहे ललित विक्रम बसंतवानी ही पूरी काली कमाई का मास्टर माइंड है। उन्होंने कहा कि बसंतवानी की पत्नी अलका विक्रम की कंपनी उन्नति इंफ्राटेक लि., डीकेडी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि., आशीष कंस्ट्रक्शन प्रा. लि., एडेप्ट रियलकॉन प्रा. लि, नवीन इंफ्राडेवलपरस एंड इंजीनियरिंग प्रा. लि और एग्रोहा सेविंग लिमिटेड कंपनियों में यादव सिंह की पत्नी कुसुमलता के साथ ही मायावती के भाई आनंद कुमार, उनकी पत्नी विचित्र लता का आर्थिक गठजोड़ था। उन्होंने कहा कि इन कंपनियों की शुरुआती पूंजी तो बहुत कम थी लेकिन इनमें करोड़ों के लेन देन हुए। विकास गुप्ता और उनके साथी अनुज अग्रवाल ने आरोप लगाए कि इन कंपनियों में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे अथारिटी के जरिये लूटी गई अरबों की काली कमाई को सफेद किया गया। उन्होंने कहा कि यह ऐसा खुलासा है जिसकी जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशन में अलग से एसआईटी बननी चाहिए। साथ ही इस पर संसद के सत्र में चर्चा हो और यूपी में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए। कारण है कि जनता की गाढ़ी कमाई मंत्री, नेता और ठेकेदार व आईएएस साठगांठ कर लूट रहे हैं। उन्होंने 25 कंपनियों के नाम उजागर करते हुए दावा किया कि नोएडा ग्रेटर नोएडा में इन कंपनियों के जरिये ही लूट-घसोट की गई। यहां तक कि उन्नति इंफ्राटेक को नोएडा के सबसे बेशकीमती और महत्वपूर्ण प्लाट दिए गए।

खाते में जमा कराए गए 147 करोड़
मौलिक भारत ने दावा किया कि नोएडा में की गई काली कमाई के रुपए 147 करोड़ को किसी मिस्टर जैन के खाते से निकाला गया और शिवानंद रियल स्टेट प्रा. लिमिटेड के खाते में जमा कराया गया। उन्होंने दावा किया कि यह रकम काली कमाई की थी ? यह कहां से आई? किसने कमाई? इसकी जांच एजेंसियों को करनी चाहिए।

मारीशस भेजी गई रकम
इसी तरह इंडियाना नाम की कंपनी ने एक लाख की पूंजी से काम शुरू किया। हैरत तो यह कि इस कंपनी ने एक लाख रुपये से अरबों का धंधा करने का मंसूबा पाल रखा था। आखिर कैसे? फिर इसके जरिये मारीशस में रकम भेजी गई। इस कंपनी द्वारा विश्व के किसी भी हिस्से में नए पुराने हवाई जहाज बनाने, खरीदने मरम्मत करने के लिए बनाने का दावा किया गया था।

अनसिक्योर्ड ऋण के जरिये लिए 67 करोड़
मायावती के भाई आनंद कुमार व भाभी विचित्रलता की अंशधारक कंपनियों के खाते में अनसिक्योर्ड ऋण के जरिये 67 करोड़ रुपए जमा होने का दावा है। यह रकम कहां से आई? इसका कुछ पता नहीं? इस सवाल पर कि हो सकता है जमा राशि पर वाजिब टैक्स दिया गया हो, उन्होंने कहा कि आखिर यह रकम आई कहां से? यह काली कमाई थी? इसकी तो जांच होनी चाहिए।

पोंटी चड्ढा की कंपनी से भी साठगांठ
आरोप हैं कि यादव सिंह और उसके साथ गठजोड़ करने वालों में वेब सिटी के पोंटी चड्ढा की कंपनियां भी शामिल रही हैं। उनकी कंपनियों पर यादव सिंह ने मेहरबानी कर करोड़ों के प्लाट कौड़ियों के दाम दिए हैं। उन्होंने मांग की कि पोंटी चड्ढा की कई और कंपनियों की जांच होनी चाहिए।

बसंतवानी के कहने पर ही मिलते थे टेंडर फार्म
उन्होंने कहा कि विक्रम बसंतवानी पहले यूनियन बैंक की उसी शाखा में अधिकारी था, जहां ग्रेटर नोएडा अथारिटी के फार्म आदि मिलते थे। बाद में वह नोएडा में जीएम फाइनेंस हो गया। नौबत यह थी कि उसके इशारे पर ही यूनियन बैंक से टेंडर फार्म या अन्य ब्राशर आदि मिलते थे।

कौन है दीपक कुमार बंसल
संस्था ने नोएडा की डीकेबी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. के बारे में खुलासा करते हुए कहा कि इसके कर्ताधर्ता दीपक कुमार बंसल हैं। उनकी पत्नी अलका विक्रम की यादव सिंह की पत्नी कुसुमलता से निकटता थी।

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