जनसंदेश टाइम्‍स में सर्कुलेशन घोटाला, डीएवीपी को लगी भारी चपत

एनआरएचएम घोटाले की तर्ज पर जनसंदेश टाइम्‍स में दिन-प्रतिदिन धोखाधड़ी की एक-एक परतें खुलती जा रही हैं। ताजा मामला बनारस में फर्जी सर्कुलेशन दिखाकर डीएवीपी पंजीयन एवं अधिक दर पर विज्ञापन प्राप्‍त करने का है, जिसके सहारे अखबार प्रबंधन सरकारी एजेंसी को भारी चूना लगा चुका है। इसकी शिकायत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के साथ ही डीएवीपी के महानिदेशक तक पहुंची है। बनारस में अखबार सिर्फ पांच हजार प्रति ही अधिकतम छपता है, लेकिन डीएवीपी पंजीयन एवं विज्ञापन दर के लिए 45460 प्रति का गलत आंकड़ा डीएवीपी को दिया गया है। सबसे आश्‍चर्य की बात है कि जिस प्रिंट एवं मीडिया- मड़ौली में अखबार छपता है, वहां सहारा सहित कई अखबार छपते हैं। यदि सभी की घोषित प्रिंट प्रति जोड़ दी जाये तो वहां की मशीन अपनी क्षमता से अधिक इतने अखबार कैसे छाप देती है, यह किसी रहस्‍य से कम नहीं है। इस रहस्‍य का खुलासा डीएवीपी के अधिकारी अपनी जांच में करेंगे। यह खेल अन्‍य संस्‍करणों में भी किया जा रहा है, जिसका वा‍स्‍तविक विवरण सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों ने शिकायतकर्ता से देने को कहा है। इस नये घोटाले के सामने आने से जनसंदेश प्रबंधन की मुसीबतें बढ़ जायेंगी। डीएवीपी पंजीयन रद एवं विज्ञापन बंद होने के साथ ही जांचोपरांत वास्‍तविक प्रिंट संख्‍या से अधिक पर किये गये विज्ञापन भुगतान की वसूली एवं धोखाधड़ी की कानूनी कार्रवाई का खतरा मंड़राने लगा है। गौरतलब है कि अखबार प्रबंधन अपने द्वारा बुने गये धोखाधड़ी के जाल में इन दिनों बुरी तरह से घिर गया है। कर्मचारियों का पीएफ हड़पने एवं निर्धारित वेतनमान से कम बेसिक सेलरी निर्धारित कर पीएफ की कटौती करने के मामले में भविष्‍य निधि विभाग 7ए की कार्रवाई कर रहा है। कर्मचारियों का वेतन नहीं देने और उत्‍पीड़न करने के मामले में मानवाधिकार आयोग निर्देश पर जांच चल रही है, जिसमें शासन को कार्रवाई कर रिपोर्ट देनी है। इसके साथ ही प्रिंट लाइन में धोखाधड़ी मामले में पुलिसिया जांच तो चल ही रही, वहीं इस मामले में भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक ने भी जिलाधिकारी को आवश्‍यक कार्रवाई का निर्देश दिया है।

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