जनसंदेश जीएम की गुंडागर्दी, पीएफ का पैसा मांगने पर पुलिस से दिलवा रहा धमकी

vineet2वैसे तो जनसंदेश टाइम्स शुरू से विवादों में रहा है। यहां तक कि अखबार के संपादक से लेकर समय-समय पर बदलते रहे मैनेजर तक सबके सब एक के बाद एक विवादों को जन्म देते रहे हैं। इधर कुछ समय से लगातार विनीत मौर्या जीएम की कुर्सी पर जमे हुए हैं। विनीत मौर्या ने अपने संस्थान में कार्यरत कर्मचारियों का शोषण करने का एक नया कीर्तिमान बनाया है। सैलरी कभी समय से न देना या चार-चार महीने, तीन-तीन महीने पर आधी सैलरी देना जनसंदेश की नियति बन गई है। इसी से तंग आकर साठ प्रतिशत कर्मचारियों ने नया ठिकाना ढूंढ लिया। बाकी जो किन्हीं कारणों से कहीं नहीं जा सकते उनका जीएम विनीत मौर्या जमकर शोषण कर रहे हैं। जिन कर्मचारियों ने लिखित तौर पर जनसंदेश को छोड़ा उनकी सैलरी को विनीत मौर्या ने रोक लिया था। आए दिन संस्थान में रोज जमकर गाली-गलौज होता रहता था और विनीत मौर्या या तो संस्थान नहीं आते थे या आकर भी किसी और कमरे में छुपकर बैठ जाते थे ताकि लोगों का सामना न करना पड़े। नया मामला पीएफ के पैसे को लेकर है। वैसे तो यह मामला भी बहुत पुराना है लेकिन जीएम की कुर्सी पर कुंडली मारे बैठे विनीत मौर्या ने संस्थान के सभी कर्मचारियों का पीएफ का पैसा अभी तक विभाग में जमा नहीं कराया है। इतना ही नहीं जब कोई कर्मचारी पीएफ कार्यालय जाता है तो वहां उसे यह कहकर वापस भेज दिया जाता है कि पहले आप लोग फॉर्म भरकर उस पर संस्थान के जीएम का सिग्नेचर और मोहर लगवाकर लाइए तभी वह फॉर्म स्वीकार किया जाएगा। वैसे जनसंदेश ने अभी तक अपने पीएफ एकाउंट में एक भी पैसा नहीं जमा किया है तो हम आपको कैसे दें। इसी मार्फत जब एक कर्मचारी अपना फॉर्म फिलअप करके जनसंदेश के कार्यालय पहुंचा ताकि उसके फॉर्म जीएम विनीत मौर्या हस्ताक्षर कर दें क्योंकि उसे उस फॉर्म को जमा करना था पीएफ कार्यालय में लेकिन फॉर्म पर सिग्नेचर करने के बजाय जीएम विनीत मौर्या बार-बार आफिस में रहते हुए यह कहकर वापस करा दे रहे थे कि वह कार्यालय में नहीं हैं। इतना ही नहीं अब तो उन्होंने उस कर्मचारी को पुलिस से धमकी भी दिलवाने का काम शुरू कर दिया है। जीएम के इस रवैये से संस्थान के उन सभी कर्मचारियों में जबरदस्त रोष है जिनका पीएफ का पैसा वह नहीं जमा कर रहे। अब इतना तो तय है कि जब उन्होंने पीएफ का पैसा मांगने पर पुलिस से धमकी दिलवाया है और लगातार दिलवा रहे हैं तो आगे यह लड़ाई बड़ी लंबी चलेगी और हर वह कर्मचारी जिसका पीएफ का पैसा नहीं मिल रहा है वह जीएम विनीत मौर्या से कानूनी तौर पर जंग लडऩे को तैयार है। इंतजार कीजिए आने वाले समय में अब रोज ही जनसंदेश के नए-नए कारनामे आप तक पहुंचेंगे।

नोट: मित्रों इस खबर को पढऩे के बाद सिर्फ पढ़कर न छोड़ें अंतत: अपना कीमती विचार भी दें क्योंकि यह लड़ाई जनसंदेश की ही नहीं हम सबकी है।

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