दारू, बोटी और बिरयानी: यूपी प्रेस-क्‍लब में गुंडागर्दी

मोहम्मद कामरान

उत्तर प्रदेश वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन, प्रेस क्लब, लखनऊ,, धमकियाने, धमकियों का सिलसिला प्रारम्भ हुआ ,, सालों से प्रेस क्लब की आड़ में गोरखधंधे करने वालों की जैसे ही पोल खुलती नज़र आई उनके गुर्गे खुलेआम whatsapp पर धमकियाने लगे, कानून व्यवस्था का भी उन्हें कोई डर नहीं , प्रेस क्लब के पदों पर बने रहने की लालच के लिए वो कुछ भी कर सकते है, किसी भी हद तक गिर सकते हैं।

ये साफ़ साफ़ नज़र आने लगा है, बात सिर्फ प्रेस क्लब की आड़  में दो रोटी की नही हैं , बोटी के साथ बिरयानी की भी है , ऐसा लालच की व्यक्ति धर्म-अधर्म के बारे में भी नहीं सोचता। जिनका सम्मान बुजर्ग होने के नाते करते थे उनकी लालच और बदनीयती देखकर लगता है — बहुत किया सम्मान अब तो लेना होगा हिसाब, , पत्रकारों के नाम के संघठन की ये लूटपाट, इस संघठित गिरोह के द्वारा अपने युवाकाल से ही की जा रही है , अब कब्र में जाने का वक़्त है लेकिन इनकी लालच बढ़ती जा रही है।

4 मार्च 1983 के एक पत्र जिसको General Secretary, U.P. Working Journalist Union द्वारा नजूल अधिकारी को प्रेषित किया है उसमे चाइना गेट स्थित भवन की लीज़ 18 जून 1978 को समाप्त होने की बात स्वीकारी है, इस पत्र को जनाब रविन्द्र सिंह ने UPWJU के महासचिव पद पर हस्ताक्षरित किया है एवं मान्यवर हसीब सिद्दीकी ने सचिव यू, पी, प्रेस क्लब लखनऊ की हैसियत से हस्ताक्षर किया है।

उप्र प्रेस क्‍लब को लेकर यह सवाल कामरान ने उठाये हैं। खासबात यह है कि इस सवालों के उठते ही अब आग सी भड़कती दिखने लगी है।

लगभग 39 साल पहले हमारे ये दोनों बुज़ुर्ग सम्मानित पत्रकार, मिलजुलकर संस्था का नेतृत्व कर रहे थे, वर्तमान में बदलाव सिर्फ इतना है UPWJU का नेतृत्व मान्यवर हसीब सिद्दीकी के हाथ में और यू पी प्रेस क्लब जनाब रविन्द्र सिंह साहेब के हाथ में ,, गंगा जमुनी तहज़ीब की लखनऊ नागरी में ये मिसाल अपने आप में काबिले तारीफ है ,,  क्या है ये UPWJU ,, कितने बैंक खाते संचालित होते है, इन सबकी जानकारी सभी पत्रकार साथियों के लिए ज़रूरी है, 1983 से 2017 तक राज पाट के लगभग 39 साल हो गए है , अब इनका चालीसवां होगा, और एक कामरान ही क्यों अब तो पूरी पत्रकार बिरादरी हिसाब मांगेगी । हिसाब मांगने पर तो UPWJU के संरक्षक बड़े राव भी मुझपर भड़के थे, अब यू पी प्रैस क्लब की बारी है ,,,,,

 

अब होगा चालीसवां , ,,, यू पी प्रेस क्लब की दास्ताँ ,,

4 मार्च 1983 को जनाब रविन्द्र सिंह ने General Secretary, U.P. Working Journalist Union की हैसियत से नजूल अधिकारी लिखे पत्र में चाइना गेट स्थित भवन की लीज़, 18 जून 1978 को समाप्त होने की बात कही और इस पत्र पर मान्यवर हसीब सिद्दीकी ने सचिव यू, पी, प्रेस क्लब लखनऊ की हैसियत से हस्ताक्षर किया,, 39 साल से ये लोग पदों की अदला बदली करके न तो lease renewal करा पाये और न हीं प्रेस क्लब में पत्रकारों को सदस्यता दे पाएं, अपनी रोटी, बोटी, बिरयानी के जुगाड़ में ज़िन्दगी के 39 साल गुज़ार दिए। हैरत की बात यह है कि पत्रकारों के नाम के संघठन UPWJU की ये संघठित लूटपाट, इनके द्वारा अपने युवाकाल से ही की जा रही है , अब कब्र में जाने का वक़्त है लेकिन इनकी लालच बढ़ती जा रही हैं ,, लेकिन जैसे ही इनको अपनी लूटपाट के खुलासे का पता चला, धमकियों और लालचों का पिटारा लेकर मदारी के जमूरे भी मैदान में आ गए , सुल्तान से लेकर ठंडी पड़ी भट्टी के अंगारे सुलगने लगे, मदारी का खेल ख़त्म तो काहे की सल्तनत और कौन सुल्तान, फिर न तो भट्टी जलेगी और न बोटी सिकेगी, सबकी दुकानें जो प्रेस क्लब के नाम।पर चलती है और शाम होने पर प्रेस क्लब के आँगन में सजती है बंद हो जाएँगी ।। ऐसे में बौखलाहट और घबराहट होना स्वाभाविक है ,,

लेकिन अब ये अलग जो जली है ,, न बुझेगी और न ही किसी दबाव या लालच में बुझेगी, इन बुज़ुर्गों को खुद समझना होगा, अपनी इज़्ज़त अपने हाथ वरना बहुत किया सम्मान अब तो देना होगा हिसाब, ,, सुल्तान साहब आप अपनी निष्ठा बेशक हसीब जी के साथ जताएँ और आपको ऐसा करना भी चाहिए पर मेरे उठाए सवालों को गंभीरता से लेना आपके ईष्ट के लिए कानूनी तौर पर भी जरूरी है। चार दशक से बिना वैध आवंटन के यूपी प्रेस क्लब पर काबिज रहना। बेदखली का स्पष्ट आदेश, सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से दुकानें चला किराया वसूलना, प्रेस क्लब पत्रकारों के लिए दिया गया था न कि व्यावसायिक इस्तेमाल करते हुए २ घंटे का २५०० रुपये किराया वसूलने के लिए । समूह में मौजूद पत्रकार बता दें कि राजधानी में सरकारी जमीन पर ३० से ज्यादा सालों तक अवैध रूप से काबिज रहने, किराये का करोड़ों अदा न करने, सरकारी जमीन पर अवैध दुकानों चला किराया वसूलने पर क्या कार्रवाई का प्रावधान है। याद रखें कि प्रेस क्लब से संबंधित एलडीए की हर नोटिस जनाब हसीब सिद्दीकी को जारी हुई है

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