संपादक प्रंजॉय के बाद निखिल वागले का इस्तीफा कहा बीजेपी के खिलाफ बोलने की मिली सज़ा

अंग्रेजी के प्रतिष्ठित संपादक प्रंजॉय गुहा ठाकुरता के इस्तीफे के बाद अब मुंबई के लोकप्रिय मराठी संपादक निखिल वागले ने भी कथित राजनैतिक दबाव के चलते टीवी 9 चैनल छोड़ दिया है. वागले का प्राइम टाइम शो मराठी में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला शो था. टीवी -9 के स्टूडियो से निकलने के बाद वागले ने कहा कि कई दिन से प्रबंधन उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ ख़बरें ना करने के लिए दबाव  बना रहा था और आखिरकार उन्हें इस्तीफे के लिए कह दिया गया.

इससे पहले इकनोमिक एंड पोलटिकल वीकली के संपादक प्रंजॉय गुहा को उनकी पत्रिका के प्रबंधन ट्रस्ट ने इस्तीफे के लिए कहा था. वामपंथी विचारों से प्रेरित खोजी पत्रकार प्रंजॉय गुहा ठाकुरता ने मोदी के करीबी कहे जाने वाले गुजरात के उद्योगपति गौतम अडानी के खिलाफ कई ख़बरें की थी. ऐसी ही एक इस खबर पर जब पत्रिका के प्रबंधन को नोटिस दिया गया तो आखिर में संपादक की बलि चढ़ा दी गयी. मोदी के मुखालिफ पत्रकारों ने इन दोनों सम्पदाको के एक के बाद एक इस्तीफे को अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला बताया है. कुछ दिन पहले इंडिया टुडे के एंकर करन थापर को भी अपने कॉन्ट्रैक्ट से हाथ धोना पड़ा था. करन थापर भी अपने मोदी विरोधी अभियान के लिए जाने गए. इधर निखिल वागले के इस्तीफे के बाद अंग्रेजी के मशहूर पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने अचानक हुए इस फेरबदल पर आश्चर्य व्यक्त किया है. बीजेपी सरकार में एनडीटीवी की नौकरी छोड़ने वाली एंकर बरखा दत्त ने वागले के टीवी -9 से किनारे किये जाने पर कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि स्टूडियो से बाहर आने के बाद वे और भी ज्यादा मज़बूत होंगे.

उधर केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि सरकार की तरफ से ऐसा कोई दबाव टीवी-9 पर नहीं था. ऐसे आरोप बिलकुल बेबुनियाद हैं. वागले और उनके टीवी प्रबंधन के बीच  विवाद पर सरकार कुछ भी कहना नहीं चाहती. इस अधिकारी ने कहा कि कई वेबसाइट खुलकर सरकार की नीतियों की आलोचना कर रही हैं. इसी तरह इंडियन एक्सप्रेस और कई अखबार  एवं पत्रिकाए भी खोज खबर कर रही हैं. ये कहना कि सरकार अभिव्यक्ति की स्वंत्रता पर अंकुश लगा रही है  उचित नहीं होगा.

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