जनसंदेश में पांड़ेजी की ‘दबंगई’ जारी, अब मौर्या बंधुओं से लिया मोर्चा

jansandeshजनसंदेश टाइम्स गोरखपुर में एक पांड़ेजी है। वे दैनिक जागरण से संपादक शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी के खासमखास हैं और उनके ही साथ जनसंदेश आए थे। पांड़ेजी का आजकल ओदहा बढ़ा हुआ है। वे बड़े पद पर हैं। डीएनई हैं। किसी को कुछ नहीं समझते। दबंग हैं, लेकिन उनके चेले-चपाड़े उन्हें कई नामों से बुलाते हैं।
जनसंदेश गोरखपुर में चल रही चर्चाओं के मुताबिक पांड़ेजी की दबंगई का आलम यह है कि पिछले वर्ष 2012 से लेकर अब तक आफिस में शायद ही कोई प्रमुख पद पर बैठा व्यक्ति हो, जो पांड़ेजी की ‘दबंगई’ का शिकार नहीं हुआ हो। उनके साथ काम करने वाले उनके चेले ही अब चटकारे लेकर उन्हें शाबाशी दे रहे हैं कि उन्होंने जीएम से भी पंगा ले लिया। किसी दूसरे में इतनी हिम्मत कहा है जो इस तरह दबंगई दिखा सके।
सूत्रों का कहना है कि पांड़ेजी ने सबसे पहले यहां संपादकीय विभाग में बड़े पद नियुक्त हुए संजय तिवारी से झगडा किया। उसके धीरे-धीरे यतीन्द्र मिश्र, तनुश्री, बसंत पांड़े, अतुल कुशवाहा, राजीव तिवारी, रजनीश पांड, सुनील पांड़े, मनोज पांड़े, आशुतोष, सुजित, सुरज, नीरज, विजय, गंदाधर आदि से बहस करते रहे और कर चुके हैं। संपादक शैलेन्द्र मणि से महीने में दो-चार बार लड़ लिया करते थे। चूंकि शैलेन्द्र मणि व्यवहारिक हैं इसलिए वे पांड़ेजी को हमेशा माफ करते रहे। लेकिन लगता है कि अब कहानी उलटी पड़ने वाली है।
जनसंदेश में कार्यरत लोगों का कहना है कि उक्त लोगों ने लिहाज और सम्मान में पांड़ेजी का जवाब नहीं दिया। शायद इसी से उनका मनोबल बढ़ता चला गया। पिछले दिनों हुई एक घटना ने जनसंदेश के शीर्ष प्रबंधन को भी उनके बारे में सोचने पर विवश कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि अपनी आदतों के मुताबिक पांड़ेजी गोरखपुर में बतौर जीएम बैठ रहे विनय मौर्या से भी किसी बात को लेकर उलझ गए। इस मामले में बनारस मुख्यालय तक को हस्तक्षेप करना पड़ा है। वैसे इसमें कितनी सच्चाई है ये तो वे लोग ही जानते होंगे। लेकिन जनसंदेश से जुड़े सूत्र तो कुछ और ही बता रहे हैं।
पांड़ेजी के चेले-चपाड़ों का कहना है कि शायद बनारस का शीर्ष प्रबंधन भी पांड़ेजी से डर रहा है। इसी वजह से इतना सब करने के बाद भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बारे में नहीं सोचा जा रहा है। जबकि यहां स्थितियां दूसरी हैं। बनारस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जनसंदेश मुख्यालय बनारस पांड़ेजी के बारे में गंभीरता से विचार कर रहा है। कहा जा रहा है कि मौर्या परिवार बहुत ही शालीन, सभ्य और संभ्रांत हैं। उस परिवार का कोई भी व्यक्ति किसी से बदतमीजी नहीं करता है। वे लोग हर किसी से सज्जनता से पेश आते हैं। यानी पांड़ेजी के बारे में कोई फैसला आ जाए तो इसे अप्रत्याशित नहीं मानना चाहिए। वैसे आगे क्या होगा, ये तो बाद में पता चलेगा लेकिन इतना जरूर है कि पांड़ेजी की दबंगई की चर्चा आजकल गोरखपुर से लेकर बनारस, लखनऊ, इलाहाबाद, कानपुर तक में भी है। कानपुर में जनसंदेश से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि पांड़ेजी ने तो गोरखपुर में हिला रखा है। पांड़ेजी के सामने तो डायरेक्टर और जीएम भी कुछ नहीं है। संपादक किसी खेत की मुली है। -गोरखपुर से आई एक पत्रकार की रिपोर्ट पर आधारित

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