बलात्कारी गुरुमीत तो जेल गया, NDTV वाले रवीश कुमार का ‘बलात्कारी भाई’ कब जायेगा जेल

लखनऊ। डेरा सच्चा सौदा के बाबा गुरमीत राम रहीम के बलात्कार के केस में दोषी ठहराए जाने के बाद ऐसे दूसरे मामलों में भी इंसाफ की उम्मीद जगी है। हालांकि बलात्कार के ऐसे कई हाईप्रोफाइल मामले हैं जिनमें रसूख का इस्तेमाल करके आरोपी अब तक कानून की पकड़ से दूर हैं। ऐसा ही मामला पत्रकार रवीश कुमार के कथित भाई ब्रजेश पांडेय का है। एक तरफ बाबा गुरमीत राम रहीम का केस अपने अंजाम तक पहुंच रहा था, ठीक उसी समय ब्रजेश पांडेय का मामला रफा-दफा होने की तरफ बढ़ रहा था। कोर्ट ने मुख्य आरोपी निखिल प्रियदर्शी को राहत दे दी। कोर्ट ने उसे 3 महीने का वक्त दिया है ताकि वो पीड़ित लड़की के साथ शादी कर ले। पीड़िता दलित जाति से ताल्लुक रखती है और अपराध के समय वो नाबालिग थी। उसने निखिल प्रियदर्शी और ब्रजेश पांडेय पर बलात्कार करने और सेक्स रैकेट चलाने का आरोप लगाया था।

केस रफा-दफा करने की तैयारी

दरअसल मुख्य आरोपी निखिल प्रियदर्शी को पटना हाई कोर्ट ने 23 अगस्त को यह कहते हुए तीन महीने की जमानत दे दी कि इस दौरान उसे पीड़ित लड़की से शादी करनी होगी। तीन महीने बाद आरोपी को फिर से कोर्ट में हाजिर होना होगा। इसके बाद पीड़िता का बयान दर्ज किया जाएगा। अगर उसका बयान सकारात्मक होता है तो आरोपी को स्थायी जमानत मिल जाएगी। न्यायाधीश विनोद कुमार सिन्हा की पीठ ने आरोपी की अर्जी पर ये फैसला दिया है। दरअसल बचाव पक्ष की दलील है कि ये जोर-जबर्दस्ती का नहीं, बल्कि आपसी सहमति से सेक्स का मामला है। जिसके आधार पर जज ने शादी करने की ये मोहलत दी है। सवाल ये है कि जब मुख्य आरोपी ही पीड़ित से शादी करके बच निकलेगा तो बाकी आरोपियों का क्या होगा? उनके लिए केस से छूटना बहुत आसान हो जाएगा।

पीड़ित लड़की पर है भारी दबाव

इस केस में निखिल के साथ उसके भाई और पिता को भी आरोपी बनाया गया है। अदालती कार्रवाई के दौरान पीड़िता ने खुलासा किया था कि निखिल के सेक्स रैकेट में तब के बिहार कांग्रेस उपाध्यक्ष ब्रजेश पांडेय, मृणाल किशोर और संजीत कुमार भी शामिल हैं। इन तीनों ने भी उसका यौन शोषण किया। लड़की ने अपने साथ बुरी तरह मारपीट का जिक्र भी अपनी शिकायत में किया है। लेकिन जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ा लड़की पर तरह-तरह के सामाजिक और राजनीतिक दबाव पड़ने लगे। यहां तक कि उसके पिता भी सुलह करने को कह रहे हैं। ऐसे में पीड़िता के लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ना आसान नहीं है। उसे न तो मीडिया, न ही सरकारी की तरफ से कोई खास मदद मिल रही है।

क्या बच जाएगा ब्रजेश पांडेय?

अभी पक्के तौर पर यह कहना संभव नहीं है। माना जा रहा है कि वो निखिल प्रियदर्शी के बरी होने तक कानून से बचने की कोशिश में है। अगर पीड़ित और आरोपी की शादी हो जाती है तो वो वह आराम से बच निकलेगा। हालांकि इस केस से जुड़े सरकारी वकील ने कहा था कि उस पर पॉक्सो के तहत केस चलाने का पर्याप्त आधार है। इसके बावजूद पुलिस ने बाकी आरोपियों के खिलाफ अब तक कुछ खास एक्शन नहीं लिया है। माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी और एक बड़े पत्रकार से जुड़ा मामला होने के कारण पुलिस इस केस में ढिलाई बरत रही है। जिसका फायदा आरोपी को मिलना तय है। न्यूज़लूज़ पर हमने जून में ही यह रिपोर्ट पब्लिश की थी, जो अब सच होती दिख रही है।

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