आखिर क्यों NDTV भारत और मोदीजी के विरुद्ध इतना जहर उगलता है, जानिए NDTV के काले कारनामें

एनडीटीवी के संस्थापक प्रणव रॉय का जन्म कोलकाता के एक बंगाली परिवार में हुआ था। प्रणव के पिता भारत में ब्रिटिश कंपनी के मुख्य कार्यदर्शी के रूप में काम करते थे और उनकी मां आयरलैंड की रहने वाली थी और एक स्कूल में टीचर थी। प्रणव रॉय की स्कूली शिक्षा प्रसिद्ध दून स्कूल में हुई थी और उसके बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने ब्रिटेन चले गये। लंदन से सीए की पढ़ाई करने के बाद प्रणव रॉय ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में पीएचडी भी की। प्रनव रॉय के तार लंडन से बहुत पहले से ही जुड़ते है। रॉय का रुझान पहले से ही ब्रिटिशों की उपनिवेशी मनशा के तरफ़ झुका हुआ प्रतीत होता है। शायद इसी वजह से उन्हे भारत और हिन्दुत्व के प्रति लगाव कम है।

उच्च शिक्षा पाने के बाद रॉय ने दूरदर्शन और बीबीसी वर्ल्ड न्यूस दोनों में काम करना शुरू किया। शायद लंदन में पढ़े नेहरू के जैसे रॉय को भी भारत और भारतीयता से परहेज़ था। भारत द्वेशी रॉय पर 1998 में सीबीआई ने एफ़आईआर भी दर्ज करवाया था। उन पर आरॊप था की उन्होंने दूरदर्शन के डीजी रहते समय 5 करोड़ रूपयों की हेरा फेरी की थी। रॉय ने 1988 में ही एनडीटीवी नाम के प्रोडक्शन हाउस की स्थापना की थी। सीबीआई ने रॉय के साथ अन्य पांच डीजीयों पर भी चार्ज शीट दायर की थी की दूरदर्शन की ओर से एनडीटीवी को 3.5  करोड़ रूपयों का  ‘अनुचित एहसान’ किया गया है। दूरदर्शन से एनडीटीवी को कार्यक्रमों का ‘विशॆष’ प्रसारण हक भी दिया जाता था।

रॉय की छवी पहले से ही खराब रही है। दूरदर्शन में घपले के बाद उन पर कांग्रेसी मंत्रियों के साथ मिलकर काले धन को सफेद करने में सहायता करने का भी आरॊप है। इस मामलें में एक आरएस अफसर संजय कुमार श्रीवास्तव ने उनकी पोल खोल दी थी। 2010 में नीरा राडिया टेप कांड ने बरखा समेत सबकी पॊल खॊल दी थी। राडिया टेप विवाद व्यापारिक घरानों के भ्रष्टाचार को उजागर करने वाला एक टेलीफोन पर बातचीत का टेप था। जिसमें नीरा राडिया नामक दलाल का कई राजनेताओं, पत्रकारों एवं व्यावसायिक घरानों के महत्वपूर्ण व्यक्तियों से टेलीफोन पर हुई बातचीत रिकार्ड हुई थी जिसे भारत के आयकर विभाग ने 2008-2009 में रिकार्ड किया था। इसमें एनडीटीवी की मशहूर पत्रकर्ता बरखा दत्त और राडिया के बीच हुई बातचीत भी रिकार्ड हुई थी।

बरखा दत्त ने राडिया के साथ मिलकर 2g स्पेक्टरम घॊटाले में ए राजा की ताजपॊशी गुलाब नबी आज़ाद से मदद लेकर करवाई थी। बालू और मारन को हटाने के लिए करुणानिधी और उनकी बेटी का इस्तेमाल भी किया था। अक्सर यह देखा गया है की एनडीटीवी और उसके पत्रकार देश के संवेदनशील मुद्दे और सुरक्षा से जुड़े हुए विषयों को अपने चैनल पर लाईव दिखाकर देश की सुरक्षा से खिलवाड़  करते हैं। पठान कॊट हमले के वक्त इस चानल ने क्या किया था सबको पता है। देश के टुकड़े करनेवाले आतंकवादियों और देश द्रोहियों के साथ खड़े होकर उनकी पैरवी करना इस चैनल की एक और घटिया हरकत है। देश में आतंक मचानेवाले आतंकियों को भटका हुआ मासूम लड़का बताकर उनको सही और देश के जवानों को गलत ठहराने का काम भी यह चैनल बहुत अच्छी तरह से करता  है।

एनडीटीवी चैनल और उसके मालिकों पर मनी लांड्रिग का केस भी लग चुका है। इस विषय में प्रवर्तन निदेशालय जांच कर रही है। एनडीटीवी लि. कंपनी का ब्रिटेन में वहां बनाई सबसिडरी कंपनी एनएनपीएलसी को पब्लिक इश्यू से फंड जुटाने और उसे ग्रुप कंपनी को जस का तस भेजने की एफआईपीबी की अनुमति से जुड़ा हुआ है। आरोप है कि जो अनुमति पब्लिक आफरिंग की थी उसके बजाय कंपनी ने विदेशी कर्ज, बांड्स जैसे अलग तरीके से फंड जुटाया। यह एफआईपीबी की मंजूरी की शर्त और फेमा कानून की धारा का उल्लंघन था।

मार्च 2007 से अक्टूबर 2010 के बीच विदेश में कोई 170 मिलियन डालर सबसिडरी कंपनी एनएनपीएलसी से एनडीटीवी ने जुटाए हैं। इसमें से 725 करोड़ भारत की ग्रुप कंपनियों को ट्रांसफर हुआ है। रिजर्व बैंक ने इसे फेमा की धाराओं का उल्लंघन बताया है। इसके अलावा एनडीटीवी लि. की भारतीय कंपनियों में 83 करोड़ 90 लाख 9 हजार 977 व 21,972 डालर की रकम एनडीटीवी की मारिशस कंपनियों से एफडीआई के नाम पर आई है।

रिजर्व बैक के नीती के अनुसार विदेशी सबसिडरी से ऐसे पैसा आना गैर कानूनी है। अनुमान है की 1113 करोड़ फेमा कानून का उल्लंघन करते हुए गैर कानूनी रूप से आए हैं। एनडीटीवी लि. ने एनएनपीएलसी को जो कॉरपोरेट गारंटी दी और जो कर्ज लिया वह बिना रिजर्व बैंक के मंजूरी के था जो की फेमा की धाराओं का उल्लंघन है। एनडीटीवी स्टूडियो लि. का अमेरिकी कर्ज के संदर्भ में 200 करोड़ की बैंक डिपाजिट भी फेमा उल्लंघन का मामला माना जा रहा है। एनडीटीवी लि. ने ग्रुप कंपनीज का ट्रांसफर हुए शेयरों को 296 करोड़ की कीमत पर एनएनपीएलसी से लेना भी फेमा की धाराओं का उल्लंघन है।

अब सॊचिए इतने बड़े रकम जो गैर कानूनी रूप से इस कंपनी ने कमाए हैं तो यह चैनल देश प्रेम की बात तो नहीं करेगा। एक घॊटालेबाज़ पार्टी की मुखवाणी और दलाल की तरह काम करनेवाली एनडीटीवी उस पार्टी की आकाओं की ही तरह देश्द्रोही गतिविधियां करते हुए ही पाई जायेगी जैसे उसके आका भारत विरॊधी और हिन्दू विरोधी नितियों को अपनाते हैं वैसे ही उनकी मुखवाणी बनी यह चैनल भी उन्हीं का राग आलापेगी। भारत-भाजपा और मॊदी जी का विरोध करना ही इन्होने इनका एजेंडा बनाया हुआ है।

2014 के बाद इस चैनल को गहरा सद्मा पड़ा है। क्यों की जनता ने सत्ता को उनकी आकाओं के हाथ से छीन कर एक सच्चे देशप्रेमी मोदी जी के हाथ में थमा दिया। जिस मोदी को 2002 से ही वे प्रताड़ित कर रहे थे वह दिल्ली की गद्दी पर बैठ गये। तब से ही इन का सीना ज़ोर ज़ोर से धडकने लगा था। क्यों की चोरों का जेल में जाना निश्चित था।इसीलिए वह मोदीजी के खिलाफ जहर उगल रहें हैं । इतने वर्षों से झूठी कहानी रच कर सच को तोड़ मरोड़ कर पेश करने का इनके झूठ के पकड़े जाने का डर था। आज उनकी चॊरी और झूठ का पर्दाफाश भी हुआ है। एनडीटीवी सहित सभी दलाल मीडिया अब अपना अंतिम समय गिन रहे हैं क्यूंकि उनकी आकाओं की पार्टी ही अब अपनी अंतिम साँसे ले रही है। जनता तो क्या अब इनको भगवान भी नहीं बचा सकता। इनका पाप का घड़ा भर चुका है। देश के साथ गद्दारी करके बहुत कमा लिया अब हिसाब चुकाने की बारी है। गुजरात और हिमाचल के चुनावी नतीजों से यह साफ हो गया है कि अब इनकी उलटी गिनती शुरु हो चुकी है।

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