‘दिल्ली हिन्दू विरोधी दंगे’ को भड़काने वाली ‘पिंजरा तोड़’ की एक्टिविस्ट निकली ‘द वायर’ और ‘न्यूज़लॉन्ड्री’ की कॉलम‌निस्‍ट‌

नई दिल्ली। कल दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने नताशा नरवाल और देवांगना कलिता नाम की दो महिलाओं को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के मामले में गिरफ्तार किया था। दोनों महिलाएँ लेफ्ट एक्टिविस्ट ग्रुप पिंजरा तोड़ की सदस्य हैं।

पिंजरा तोड़ के सदस्यों ने 22 फरवरी की शाम को नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए स्थानीय निवासियों को भड़काया और उन्हें जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर इकट्ठा होने के लिए कहा। जानकारी के अनुसार “22 फरवरी की रात 10 बजे मेट्रो स्टेशन पर सीएए के खिलाफ विरोध करने वाले प्रदर्शनकारी एकत्र हुए। हमने सोचा कि वे सीलमपुर सर्विस लेन पर पुरानी साइट पर इकट्ठा होंगे, जो लगभग एक किलोमीटर दूर है।”

अब यह पता चला है कि दिल्ली के दंगों को भड़काने के लिए गिरफ्तार की गई दोनों महिलाएँ लेफ्ट ग्रुप पिंजरा तोड़ की संस्थापक सदस्य थीं जिसे 2015 में स्थापित किया गया था। पिंजरा तोड़ को मुख्य रूप से दिल्ली के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में हॉस्टल कर्फ्यू के विरोध में शुरू किया गया था, हालाँकि, इस संगठन का मक़सद असल में अपनी लेफ्टिस्ट विचारधारा को आगे बढ़ाना है।

पिंजरा तोड़ के सह-संस्थापक “नताशा नरवाल” जिसे दिल्ली के हिंदू-विरोधी दंगों को उकसाने के लिए गिरफ्तार किया गया है, वो पहले कई वामपंथी झुकाव वाले ऑनलाइन पोर्टल्स की कॉलम‌निस्‍ट‌ भी रह चुकी है।

नताशा नरवाल ने वामपंथी प्रोपेगेंडा पोर्टल ‘द वायर’ के लिए तीन लेख लिखे थे।

नफरत से भरी और हिंदूपोबिया की शिकार, नताशा नरवाल ने फिल्म पैडमैन की रिलीज के दौरान न्यूज़लॉन्ड्री के लिए भी लेख लिखा था।

अपनी नफरत को दिखाते हुए, नताशा नरवाल ने अपने ‘न्यूज़लॉन्ड्री’ के लेख में पैडमैन के लॉन्च से ठीक पहले एबीवीपी द्वारा आयोजित मैराथन के बारे में लिखा था जिसे अक्षय कुमार ने हरी झंडी दिखाई थी। कथित तौर पर इस मैराथन में भारत सरकार से सैनिटरी पैड पर जीएसटी को हटाने की माँग की गई थी।

अपने लेख में, अपनी अज्ञानता को बढ़ा-चढ़ाकर प्रदर्शित करते हुए, नताशा ने लिखा था:

“सशक्तीकरण के लिए आरएसएस से जुड़े संगठन का कदम हिंदू राष्ट्र की अपनी कल्पनाओं के साथ है, जिसमें एक महिला की भूमिका उसके सदस्यों (“बेटों”) के बायोलॉजिकल रिप्रोडूसर तक सीमित हो जाती है; सुरक्षा की आवश्यकता में माताओं / पत्नियों / बहनों तक सीमित; सांस्कृतिक भूमिकाओं में शामिल हैं जो सांस्कृतिक सीमाओं / मतभेदों के मार्कर और रिप्रोडूसर हैं; और उन आकृतियों में मूर्तिमान है जिनकी बहादुरी को आत्म-बलिदान के माध्यम से महसूस किया जाता है। राष्ट्र की इस कल्पना में, महिलाएँ हर दिन अपना बोझ ढोती हैं, विभिन्न प्रकार के नियमों और प्रतिबंधों में बंधी होती हैं जो उन्हें उनकी स्वायत्तता और स्वतंत्रता को शासन में बांधती और पिंजरे में रखती हैं, उसे इन चीज़ों का विरोध करना पड़ता है, और यहाँ तक ​​कि हर दिन खुद से कई समझौते करने पड़ते हैं।”

दिलचस्प बात यह है कि नताशा अपनी दोनों लेख में हिंदुओं और उनकी परंपराओं के प्रति काफी घृणा प्रदर्शित करती हैं, यहाँ तक ​​कि हिंदू समाज में महिलाओं का स्थान को लेकर गलत बयानबाजी और झूठ बोलती है। उसके लेखों से ऐसा लगता है कि वे इस्लाम और मुस्लिम समुदाय में महिलाओं के साथ क्या होता है इस बारे में नहीं जानती है।

दिल्ली पुलिस ने भेजा नोटिस

इससे पहले, दिल्ली पुलिस के विशेष सेल ने जामिया कोऑर्डिनेशन कमिटी के 50 सदस्यों, छात्र संघ के कॉन्ग्रेस के पूर्व पदाधिकारियों, नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया, वामपंथी संगठन पिंजरा तोड़ को दंगाई और आपराधिक षड़यंत्र के साथ उनके कथित संबंधों के लिए नोटिस जारी किया था। गौरतलब है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों में 53 लोगों की जान चली गई थी और 400 से अधिक घायल हो गए थे।

पिछले रिपोर्ट में यह बताया गया था कि पुलिस का कहना ​​है कि पिंजरा तोड़ के कार्यकर्ता 22 फरवरी की शाम सीलमपुर-जाफराबाद इलाके में मौजूद थे और धरना स्थल पर सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को भड़काया कि वे अपने इस विरोध प्रदर्शन में जाफराबाद मेट्रो स्टेशन रोड को ब्लॉक करके और अधिक अधिक प्रभावशाली बना दें। रिपोर्ट के अनुसार, यह वही घटना थी जिसकी वजह से दूसरी तरफ से भी शक्ति प्रदर्शन की बात कही गई थी। जिसके बाद ही दिल्ली में दंगे भड़के थे।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में, पुलिस अधिकारी ने बताया कि जफराबाद के छोटे धरने से एन्टी सीएए महिला प्रदर्शनकारियों को शिफ़्ट करने के पीछे दो कारण हो सकते हैं। एक शाहीन बाग में धरना समाप्त करने के लिए उच्चतम न्यायालय के आने की आशंका में एक वैकल्पिक विरोध स्थल बनाने का प्रयास और दूसरा अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत दौरे में भारत की नकारात्मक छवि बनाने के लिए।

पुलिस को यह भी लगता है कि पिंजरा तोड़ के कार्यकर्ता न केवल प्रदर्शनकारी महिलाओं के साथ एकजुटता व्यक्त करने में शामिल थे, बल्कि विरोध प्रदर्शन को भड़काने और आगे बढ़ाने में भी बढ़-चढ़कर शामिल थे। पुलिस सूत्रों ने यह भी कहा है कि पिजरा तोड़ के इन कार्यकर्ताओं के उस तनावपूर्ण स्थिति में इनकी पहले से भागीदारी को संदेह के रूप में देखा जा रहा है और इस संदर्भ में आगे की जाँच की जा रही है।

द वायर का कॉलम‌निस्‍ट‌ शरजील इमाम

गौरतलब है कि इससे पहले, द वायर के साथ एक अन्य ˈकॉलम‌निस्‍ट, शरजील इमाम द्वारा लोगों को ‘हिंदू विरोधी दिल्ली दंगों’ के लिए उकसाया गया था। दिल्ली में दंगे भड़काने से पहले शरजील इमाम ने द वायर में अपने जहरीले इस्लामिक कट्टरवाद के बारे में लिखा था। जहाँ उसने द वायर के लिए अपने लेख में जिन्ना की प्रशंसा की थी।

Loading...
loading...

Related Articles

Back to top button