कैसे संभव है मान्यता समिति का निष्पक्ष चुनाव जब भोजपुरी फिल्मों के नायक निर्माता से लेकर मार्शल आर्ट के ट्रेनर भी है राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार

नमूने और खिलाड़ी तो पूरी सूची में भरे हैं जिसका जवाब सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक को उच्च न्यायालय लखनऊ के सम्मुख दाखिल जनहित याचिका में देना होगा लेकिन मार्शल ड्रैगन अकैडमी के कर्ताधर्ता और मुख्य ट्रेनर ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी को मान्यता दिया जाना एक अभूतपूर्व कार्य प्रतीत होता है, कम से कम पत्रकारों को उनके माध्यम से मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग भी प्राप्त होगी वही एसपी सिंह उर्फ शिशुपाल सिंह को राज मुख्यालय मान्यता दिया जाना अपने आप में एक बड़ा सवाल उत्पन्न करता है । सूत्रों की माने तो इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अनुबंध के तौर पर कार्य कर रहे हैं शिशुपाल सिंह के विरुद्ध प्रयागराज की धरती पर आपराधिक मुकदमे भी दर्ज होने की खबरें हैं जिसकी पुष्टि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा स्वयं की जा सकती है, फिलहाल उनकी पत्रकारिता अति सुरक्षित भवनों में प्रशासनिक अधिकारियों के यहां आने जाने पर देखी जाती है और विवादित खबरों से इनका गहरा नाता रहा है, अक्सर उन विवादित खबरों को या तो हटा दिया जाता है या कहीं ना कहीं समझौता करके दबा दिया जाता है

मार्शल ड्रैगन अकैडमी के कर्ताधर्ता और मुख्य ट्रेनर ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उत्तर प्रदेश के खेल निराले हैं, एक तरफ DAVP, भारत सरकार द्वारा समाचार पत्रों की प्रसार संख्या का निर्धारण भी नहीं किया गया है तो दूसरी तरफ सूचना विभाग द्वारा तथाकथित लोगों को मुख्यालय मान्यता नवीनीकरण कर दिसंबर 2025 तक पत्रकार का सर्वोच्च दर्जा देकर अति सुरक्षित भवनों में प्रवेश का लाइसेंस प्रदान कर दिया है, होली के मौके पर रुझान आने शुरू हो गए हैं और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सेल्फी डालने का कार्यक्रम सोशल मीडिया पर दिखाई देने लगा है यही सेल्फी आगे चलकर लोगों से धन उगाही का बड़ा स्रोत बनती है।

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सूचना निदेशक के चापलूसों की टोली का आलम यह है जो कोई भी दरवाजे पर आ जाए वो खाली हाथ न जाये, फिर चाहे पत्रिका का स्वामी हो लेकिन शायराना अंदाज और शायरों की महफिले सजाना जिस आसिफ जाफरी का काम हो उसको राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार बना देना चुटकियों का काम दिखाई देता है 🤗, ऐसे ऐसे पत्रकारों को राज्य मुख्यालय मान्यता दे दी गई है जिनकी उम्र ही 22-23 साल की है, ऐसे लगता है कि अभिमन्यु की तरह मां के पेट से पत्रकारिता का ककहरा सीख कर आए थे और सूचना विभाग द्वारा राज मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार को दिए जाने वाले अनुभव की श्रेणी में उनको किस आधार पर दर्ज कर लिया गया यह सूचना विभाग की अपनी कला का उत्कृष्ट नमूना है।
नमूने और खिलाड़ी तो पूरी सूची में भरे हैं जिसका जवाब सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक को उच्च न्यायालय लखनऊ के सम्मुख दाखिल जनहित याचिका में देना होगा लेकिन मार्शल ड्रैगन अकैडमी के कर्ताधर्ता और मुख्य ट्रेनर ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी को मान्यता दिया जाना एक अभूतपूर्व कार्य प्रतीत होता है, कम से कम पत्रकारों को उनके माध्यम से मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग भी प्राप्त होगी वही एसपी सिंह उर्फ शिशुपाल सिंह को राज मुख्यालय मान्यता दिया जाना अपने आप में एक बड़ा सवाल उत्पन्न करता है । सूत्रों की माने तो इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अनुबंध के तौर पर कार्य कर रहे हैं शिशुपाल सिंह के विरुद्ध प्रयागराज की धरती पर आपराधिक मुकदमे भी दर्ज होने की खबरें हैं जिसकी पुष्टि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा स्वयं की जा सकती है, फिलहाल उनकी पत्रकारिता अति सुरक्षित भवनों में प्रशासनिक अधिकारियों के यहां आने जाने पर देखी जाती है और विवादित खबरों से इनका गहरा नाता रहा है, अक्सर उन विवादित खबरों को या तो हटा दिया जाता है या कहीं ना कहीं समझौता करके दबा दिया जाता है,
मान्यता देने के लिए यहां तक तो गनीमत थी कि मार्शल आर्ट ट्रेनर और इलाहाबाद से जुड़े शिशुपाल सिंह को मान्यता दे दी गई लेकिन बिजनेस स्टैंडर्ड टाइम्स नामक अखबार के बिजनेस मैनेजर अमित कुमार सिंह, अनिल अवस्थी जिनका मुख्य काम बिजनेस स्टैंडर्ड के लिए विज्ञापन बटोरना है एवं मासिक मेहनताने पर बिजनेस स्टैंडर्ड समूह में कार्यरत है उनके द्वारा गलत सूचनाओं देकर दैनिक क्रिएटिव दर्पण लखनऊ से राज्य मुख्यालय की मान्यता कर कर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सभी नियमों को दरकिनार किया गया है, अनिल अवस्थी द्वारा कभी भी पत्रकारिता क्षेत्र में लेखन आदि क्षेत्र में किसी भी तरह का कोई कार्य नहीं किया गया है एवं केवल और केवल विज्ञापन का ही कार्य किया जाता है उनकी मान्यता की जांच किया जाना अति आवश्यक है।

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