सोशल मीडिया पर आईना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और निर्भीक पत्रकार अजय वर्मा ट्रेंड कर रहे है
अजय वर्मा अपने जीवन शैली के लिहाज से तो फक्कड़ इंसान हैं लेकिन इस दौर में भी मूल्यपरक पत्रकारिता को एक आयाम देने के साथ ही पक्षधर पत्रकारिता के प्रमुख पैरोकार भी है।
ऑल इंडिया न्यूज़ पेपर एसोसिएशन, आईना, के राष्ट्रीय अध्यक्ष, अजय वर्मा के जन्मदिन के मौके पर देश की जानी-मानी शख्सियतों ने अजय वर्मा को बधाई संदेश भेजें है जिससे सोशल मीडिया पर देश विदेश में अचानक अजय वर्मा नाम ट्रेंड कर रहा है।
फेसबुक, टि्वटर हैंडल, व्हाट्सएप बधाई संदेशों से वैसे ही भरा पड़ा है जैसे अजय वर्मा की जिंदगी अपने आत्मीय संबंधों से पूरी तरह लबरेज हैं, संवाद पालिका के ऐसे अमिट हस्ताक्षर हैं जो अपने चिंतन का अनुभव तो करते ही हैं अपनी अनुभूति का भी चिंतन कर सकते हैं और यही अजय वर्मा की सबसे बड़ी ताकत, पहचान है।
उत्तर प्रदेश की पत्रकारिता की दुनिया में ऐसे ध्रुवतारा है जिससे न जाने कितने लोग रोशन होते हैं और कितनों की शोहरतें अजय वर्मा की शागिर्दी का नतीजा है।
दोस्तों के दोस्त, मुसीबत के वक्त सबसे पहले पहुंचने वाले अजय वर्मा अपने जीवन शैली के लिहाज से तो फक्कड़ इंसान हैं लेकिन इस दौर में भी मूल्यपरक पत्रकारिता को एक आयाम देने के साथ ही पक्षधर पत्रकारिता के प्रमुख पैरोकार भी है।
आज के दौर की पत्रकारिता में अखबारों का वजन तो बढ़ता जा रहा है लेकिन उसकी आत्मा खत्म होती जा रही है, खबरों के नाम पर अखबार में विज्ञापन नजर आने लगे हैं लेकिन अजय वर्मा की खबरों में आज भी दिलचस्प रिपोर्टिंग देखने को मिलती है और इस मामले में अजय वर्मा का अलग दिखने का अंदाज़ कुछ ऐसा है,,
आज भी बनते तो है वही अखबार,
जो लेकर एक भी अच्छी खबर नहीं आते,
अजय वर्मा को सलीका है तहज़ीबे गम समझने का,
उनकी खबरों से सजते है अखबार आज भी ज़माने के,
अजय वर्मा का अंदाज ए बयां, खबर लिखने की कला, अनुपम संवाद कला से लोगों के दिलों दिमाग तक पहुंचना उनके सरल व्यक्तित्व, कुशल नेतृत्व को तो दर्शाता ही है उसके साथ ही समाचार की संप्रेषण नीतियां व प्रस्तुति की गुणवत्ता को लेकर उनके द्वारा कभी समझौता न करना उनकी पत्रकारिता के कौशल को दिखता है।
मीडिया जगत की इस निर्भीक, साहसिक, पत्रकार साहित्य वेता, सुहृद व्यवहारकुशल, मित्र व अनुकरणीय इंसान के व्यक्तित्व को अल्फाजों में नही बंधा जा सकता, उनकी यौमे पैदाइश पर आत्मिक बधाइयों के साथ उनके मुकम्मल शख्सियत को किसी शायर के अल्फाजों में बयान करने की एक छोटी सी कोशिश है हमारी,,
उसूलों पर जहां जांच आंच आए टकराना जरूरी है जो जिंदा हो तो फिर जिंदा नजर आना जरूरी है।।