हद हो गयी है ! हरे प्रकाश के बाद अब विनायक राजहंस हुए सुभाष राय और विनीत मौर्या के शिकार
जनसंदेश टाइम्स, लखनऊ मेरा बकाया दो महीने (जुलाई-अगस्त-2014) का वेतन नहीं दे रहा है. सम्बंधित अधिकारियों से बात करता हूँ तो वे सिर्फ आश्वासन देते हैं. प्रधान संपादक सुभाष राय कहते हैं कि वेतन देने का काम प्रबंधन का है मेरा नहीं. वहीं महाप्रबंधक विनीत मौर्या कहते हैं और कहते जा रहे हैं कि आपका बकाया वेतन आपको बजरिये चेक आपके घर भिजवा दिया जायेगा….लेकिन कब ? क्या ये इंतजार कर रहे हैं कि मैं आजिज़ आकर अपना पैसा माँगना बंद कर दूँ. मैंने तो सुभाष राय और विनीत मौर्या के कथनानुसार संस्थान छोड़ने से पहले दस दिन की नोटिस भी दी थी. तब मुझे आश्वासन दिया गया था कि जाते-जाते आपका पूरा वेतन दे दिया जायेगा. लेकिन आज तक नहीं मिला है. मैंने जनसंदेश टाइम्स को ५ सितम्बर, २०१४ को अलविदा कहा था. इसके पहले २६ अगस्त, २०१४ को प्रबंधन के कहने पर १० दिन की नोटिस दी थी. सब कुछ जनसंदेश टाइम्स के नियम के मुताबिक़ किया, लेकिन मेरा वेतन मुझे नियम के मुताबिक़ नहीं दिया जा रहा है. आप सब मित्रजन बताएं हम क्या करें !
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