वरिष्ठ पत्रकार पं. गिरीश चंद्र मिश्र अब हमारे बीच नहीं रहे

white roseवरिष्ठ पत्रकार पं. गिरीश चंद्र मिश्र आज चिरनिद्रालीन हो गये। सीतापुर में विवेकानंदपुरी स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली। हिंदी पत्रकारिता में राष्ट्रवादी विचारधारा को प्रचारित करने में दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी और पं. गिरीश चंद्र मिश्र की त्रयी में अब अटल जी ही हमारे बीच हैं। गिरीश जी ग्वालियर के मूल निवासी थे। संघ प्रचारक के रूप में दशकों तक उन्होंने समाजसेवा की। लखनऊ से जब पांचजन्य प्रकाशन का निर्णय हुआ तो दीनदयाल जी उन्हें लखनऊ ले आए। वहां पंडित जी और अटल बिहारी वाजपेयी के साथ पांचजन्य के संपादकीय विभाग से जुड़े। बाद में स्व. बचनेश त्रिपाठी भी इसी टोली में शामिल हुए। एनडीए सरकार के समय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने इस संपादकीय सहयोगी को निचिकेता पुरूष्कार से सम्मानित किया। पांचजन्य से अलग होने के बाद उन्होंने सीतापुर के खैराबाद में इंटर कालेज के अंगरेजी प्रवक्ता के रूप में कार्य किया। इस दौरान भी हिंदी पत्रकारिता में उनकी सक्रियता बनी रही। लखनऊ से प्रकाशित तरूण भारत के लिए समाचार प्रेषित करते रहे। स्व. राजेंद्र माथुर के समय जब नवभारत टाइम्स का लखनऊ संस्करण शुरू हुआ तो उसके प्रथम संपादक स्व. रामपाल सिंह ने उन्हें सीतापुर संवाददाता के रूप में अपनी टीम में शामिल किया। आपातकाल में उन्हें मीसा में गिरफ्तार किया गया। लगभग डेढ़ वर्ष जेल में रहे। देश के कई महापुरूषों के व्यक्तित्व व कृतित्व पर आधारित उन्होंने कई लघु पुस्तकें भी लिखी। पत्रकारिता के प्रारंभिक दिनों में मुझे उनका प्रत्यक्ष सक्रिय मार्गदर्शन पाने का सौभाग्य मिला। हिंदी पत्रकारिता की इस महान आदर्श आत्मा को नमन। श्रद्धांजलि।


                                                                                                                                                                                                                           जितेंद्र दीक्षित के फेसबुक वाल से 

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