कमलकांत उपमन्‍यु सिर्फ एक मुखौटा है और उसके पीछे एक-दो नहीं, तमाम चेहरे छिपे हैं

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कमलकांत उपमन्‍यु पर बलात्‍कार के आरोप की पुष्‍टि एक लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद संभव है, और इस प्रक्रिया का हिस्‍सा चाहे-अनचाहे पीड़िता को भी बनना होगा। जाहिर है कि इस प्रक्रिया के पूरे होने में समय भी अच्‍छा-खासा जाया होगा किंतु इस बीच एक  बात जरूर खुलकर सामने आ गई कि कमलकांत उपमन्‍यु सिर्फ एक मुखौटा है और उसके पीछे एक-दो नहीं, तमाम चेहरे छिपे हैं। वो चेहरे जिनका सच यदि सामने आ गया तो कमलकांत उपमन्‍यु के अनेक संस्‍करण सामने खड़े दिखाई देंगे।

यही कारण है कि अब ये चेहरे कमलकांत उपमन्‍यु को बचाने के लिए ऐड़ी से चोटी तक का जोर लगा रहे हैं, बिना यह सोचे-समझे कि जिस समाज का वह हिस्‍सा हैं वही समाज उन पर थूक रहा है।
इनमें से कोई बिना उद्योग के उद्योगपति का तमगा प्राप्‍त है तो कोई लगभग अंगूठा टेक होते हुए शिक्षाविद् है, कोई पत्रकारिता की आड़ में मीडिया माफिया है तो कोई राजनीति के चोले में प्रतिष्‍ठा प्राप्‍त गुण्‍डा है। जो सब-कुछ होते हुए कुछ नहीं हैं लिहाजा समाजसेवी का तमगा लगाकर चलते हैं, वो भी इसमें शामिल हैं। पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारी हैं, बिल्‍डर हैं, सत्‍ता के दलाल हैं, भूमाफिया हैं, धर्म की दुकान चलाने वाले तथाकथित साधु-संतों से लेकर कथावाचक तक हैं, और जुडीशियरी को अपनी जेब में रखकर चलने का दावा करने वाले सफेदपोश लाइजनर भी हैं। बहुत लंबी लिस्‍ट है ऐसे लोगों की। यह लिस्‍ट कितनी लंबी हो सकती है, इसका अंदाज उन फोटोग्राफ्स को देखकर लगाया जा सकता है जिन्‍हें कमलकांत उपमन्‍यु ने अपने कार्यालय और सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक व गूगल प्‍लस की वॉल पर सजा रखा है।
नि:संदेह इनमें से कई चेहरे ऐसे भी हैं जिन्‍हें कमलकांत उपमन्‍यु ने अपने साथ खड़ा करके फोटो खिंचवाने पर बाध्‍य कर दिया और कई चेहरे ऐसे भी हैं जिनके लिए उसके साथ फोटो खिंचवाना मजबूरी था परंतु अधिकांश चेहरे उस कॉकस का हिस्‍सा हैं जिसका खुद कमलकांत एक मुखौटा था, या यूं कहें कि एक इकाई भर है।
कमलकांत उपमन्‍यु तो अपनी ही उस हवस का शिकार बन गया जिसे उसने महत्‍वाकांक्षाओं को पूरा करने का माध्‍यम बनाया था। अन्‍यथा वह अकेला नहीं है, एक पूरा रैकेट है जो बहुत लंबे समय से अपने काम को बखूबी अंजाम दे रहा है।
बेशक इस रैकेट के अपने तर्क हैं और इसमें शामिल तत्‍व यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि कमलकांत उपमन्‍यु को साजिश का शिकार बनाया जा रहा है किंतु ऐसे बेहिसाब तर्क हर उस शख्‍स के पास होते हैं जो कानून के शिकंजे में फंस जाता है।
आसाराम बापू हो या कथित संत रामपाल, नित्‍यानंद हो या पत्रकार तरुण तेजपाल…सबके पास अपने पक्ष में कहने को काफी कुछ होता है। यहां तक कि आतंकवादी और नक्‍सली भी अपने पक्ष में अनगिनित तर्क गढ़ लेते हैं और खुद को जायज ठहराने का पूरा प्रयास करते हैं परंतु सच्‍चाई को छिपा पाना संभव नहीं होता।
साम, दाम, दण्‍ड तथा भेद से अपने कर्मों पर पर्दा डालने की कोशिश अंत तक हर आरोपी करता है और यही उपमन्‍यु के मामले में भी किया जा रहा है।
वर्षों से एकत्र ताकत के बल पर यह कोशिश कितने दिन और जारी रहती है, इसका पता तो बाद में ही लगेगा किंतु नजीता बदल पाना अब संभव शायद ही हो क्‍योंकि कानूनी प्रक्रिया एक ठोस मुकाम हासिल कर चुकी है।
ये बात दीगर है कि दुराचार के मामले में 164 के बयान दो दिन पहले ही पूरे हो जाने के बाद आज उनकी नकल आईओ को लेनी थी लेकिन समाचार लिखे जाने तक आईओ नकल लेने कोर्ट नहीं पहुंची जबकि इस बावत प्रार्थना पत्र उसने शुक्रवार के दिन ही लगा दिया था।
पीड़िता के अधिवक्‍ता प्रदीप राजपूत ने बताया कि जब आईओ रीना से ऐसा किये जाने की वजह जानना चाही तो उसने यह कहकर फोन काट दिया कि मैं कुछ कहने अथवा बताने की स्‍थिति में नहीं हूं।
प्रदीप राजपूत ने कहा कि पुलिस का यह व्‍यवहार अप्रत्‍याशित है और वह इसके खिलाफ कोर्ट में अलग से आज शाम को ही प्रार्थना पत्र देंगे ताकि कोर्ट अपने स्‍तर से कार्यवाही आगे बढ़ा सके। बताया जाता है पीड़िता के अधिवक्‍ता का सख्‍त रुख देखते हुए आईओ रीना ने शाम करीब 4 बजे जाकर कोर्ट से 164 के बयानों की नकल हासिल कर ली। उधर सूत्रों से प्राप्‍त जानकारी के अनुसार पीड़ित युवती ने कोर्ट में 164 के तहत दिये गये बयानों में कमलकांत उपमन्‍यु द्वारा अपने साथ लगातार किये गये दुराचार की पुष्‍टि की है और वही बयान दिया है जो उसने पुलिस को दिया था।
पूरे घटनाक्रम पर प्रदीप राजपूत का भी यही कहना है कि यदि इस मामले की जांच किसी निष्‍पक्ष एजेंसी से कराई जाए तो ऐसे-ऐसे चेहरे बेनकाब होंगे जिन्‍हें अब तक समाज में प्रतिष्‍ठा प्राप्‍त है और जो सभ्रांत होने का लबादा ओढ़े घूम रहे हैं। जो शेर की खाल में भेड़िये तो हैं ही, साथ ही एक कमलकांत उपमन्‍यु के फंसने पर अनेक कमलकांत उपमन्‍यु पैदा करने का माद्दा रखते हैं क्‍योंकि उन्‍हें अपने धंधे को सुचारू रुप से चलाने के लिए किसी न किसी कमलकांत उपमन्‍यु की दरकार हमेशा रहती है।

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