दायित्वों को अंजाम देने के दौरान इस वर्ष 66 पत्रकारों ने गवाई जान

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बर्लिन। दुनिया भर में अपने दायित्वों को अंजाम देने के दौरान इस वर्ष कुल 66 पत्रकार मारे गए हैं। प्रेस की स्वतंत्रता पर नजर रखने वाली पेरिस की संस्था रिपोटर्स विदआउट बॉर्डर (आरडब्ल्यूबी) ने अपनी एक रिपोर्ट में मंगलवार को यह जानकारी दी।
लगातार दूसरे वर्ष सीरिया पत्रकारों के काम करने के लिए सबसे खतरनाक जगहों में शीर्ष पर रहा, जहां 15 पत्रकार मारे जा चुके हैं। मध्यपूर्व संघर्ष के कवरेज के दौरान सात पत्रकार मारे जा चुके हैं, जबकि छह अन्य यूक्रेन तथा चार-चार इराक तथा लीबिया में मारे गए हैं। रपट के मुताबिक, भारत में इस वर्ष मई में एक पत्रकार तरुण कुमार मारे गए और पाकिस्तान में दो पत्रकार -इर्शाद मोहम्मद तथा अब्दुल रसूल -अगस्त में मारे गए। वर्ष 2013 की अपेक्षा इस वर्ष मृतकों की संख्या में सात फीसदी की कमी देखी गई है। पिछले वर्ष 71 पत्रकार मारे गए थे। इसी बीच, पत्रकारों के अपहरण की घटनाओं में इजाफा हुआ है। पूरी दुनिया में इस वर्ष 119 पत्रकारों को अगवा किया गया है। सर्वाधिक यूक्रेन (33), लीबिया (29), सीरिया (27) तथा इराक में 20 पत्रकारों को अगवा किया गया है। पिछले वर्ष की तुलना में ये आंकड़े 37 फीसदी अधिक हैं। पिछले वर्ष 87 पत्रकारों को अगवा किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि 178 पत्रकारों को उनके पेशेवर गतिविधियों के लिए 2014 में सजा दी गई है. चीन में 29, एरिट्रिया में 28, ईरान में 19, मिस्र में 16 जबकि सीरिया में 13 पत्रकार जेल में सजा भुगत रहे हैं।

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