जनसंदेश प्रबंधन पर अब कसेगा पुलिस का शिकंजा, पीएफ विभाग ने थाने में दी तहरीर
एनआरएचएम घोटाले में जेल की हवा खा रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के कृपा पात्र अखबार जनसंदेश टाइम्स के प्रबंधन पर बनारस में प्रशासन का शिकंजा दिन-प्रतिदिन कसता चला जा रहा है। कर्मचारियों के वेतन, पीएफ आदि से संबंधित भारी गोलमाल का मामला अब पुलिस तक पहुंच गया है।
वेतन से कटौती के बावजूद पीएफ नहीं जमा करने के मामले में उच्चाधिकारियों के निर्देश पर भविष्य निधि विभाग के क्षेत्रीय निरीक्षक ने इस मामले में आईपीसी की धारा 406 और 409 के तहत जनसंदेश प्रबंधन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए थाने में तहरीर दे दी है। हालांकि एफआईआर की कार्यवाही की भनक लगते ही जनसंदेश प्रबंधन ने आनन-फानन में बकाये के भुगतान का चेक भविष्य निधि कार्यालय में जमा कर दिया। इसके बावजूद पीएफ कटौती के बाद भी उसे सरकारी कोष में नहीं जमा कर उसका व्यवसायिक उपयोग करने के मामले में जनसंदेश प्रबंधन घिरता नजर आ रहा है। वहीं मजिठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के अनुसार निर्धारित वेतनमान के अनुसार पीएफ कटौती न करने के मामले में भी प्रबंधन के खिलाफ धारा 7ए की कार्रवाई शुरू कर दी गयी, जिसके चलते आने वाले दिनों में जनसंदेश प्रबंधन और गंभीर संकट से घिर सकता है। पीएफ कार्यालय के सूत्रों के अनुसार केन्द्रीय श्रम मंत्रालय के सख्त निर्देश्ा के चलते स्थानीय अधिकारी फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। हर उस बिन्दु की जांच की जा रही है, जहां किसी प्रकार की गड़बड़ी की आशंका है, जिससे विभाग पर कार्रवाई में जनसंदेश प्रबंधन का बचाव करने का आरोप न लग सके। मामला दिल्ली से जुड़ा होने के चलते कोई भी अधिकारी इस मामले में मुंह खोलने को तैयार नहीं है। गौरतलब है कि प्रदेश के चर्चित एनआरएचएम घोटाले की तरह जनसंदेश टाइम्स अखबार में कदम-कदम पर नियमों को ताक पर रख प्रबंधन ने मनमानी की। वेज बोर्ड के नियमों की धज्जी उड़ाते हुए सभी कर्मचारियों की अपनी मनमर्जी से सेलरी निर्धारित की गयी। जिस कर्मचारी को जब चाहा तब उसे आफिस आने से मना कर दिया गया। उसके किये गये के कार्य के भुगतान की चिंता नहीं की गयी। महीनों का वेतन बकाया होने के बावजूद कई कर्मचारियों को बाहर करने के लिए नियम विपरीत तबादला लेटर थमा दिया गया। प्रिंट लाइन में भी धोखाधड़ी की गयी। इन मामलों की जांच शुरू होने पर धोखाधड़ी के कई अन्य चौकाने वाले मामले सामने आये, जिसे करना सिर्फ जनसंदेश प्रबंधन के लिए ही संभव है। कर्मचारियों के उत्पीड़न मामले में केन्द्रीय मानवाधिकार आयोग भी कार्रवाई का निर्देश दे चुका है। साथ ही केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश के प्रमुख सचिव श्रम को कार्रवाई कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। चूंकि प्रेस के मामलों में उप या सहायक श्रमायुक्त को ही नियमानुसार कार्रवाई का अधिकार है। बनारस में कोई सहायक श्रमायुक्त नहीं है और उप श्रमायुक्त 20 दिसम्बर तक अवकाश पर हैं, इसलिए कार्रवाई लंबित है। उप श्रमायुक्त के अवकाश से लौटने के बाद इन मामलों के भी जोर पकड़ने की उम्मीद है, जो जनसंदेश प्रबंधन के लिए भारी पड़ सकता है।