क्या भारत अपनी जमीन पर भी अपनी सुरक्षा नहीं कर सकता? (साभार : आजतक)

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पुंछ में भारतीय सैनिकों पर हुए हमले को लेकर आर्मी की प्रेस नोट में लिखा है, जम्‍मू-कश्‍मीर के पुंछ सेक्‍टर में एलओसी के करीब भारतीय सेना के क नॉन कमीशंड ऑफिसर और 5 अन्‍य रैंक के सैनिकों पर पाकिस्‍तान की बॉर्डर एक्‍शन टीम 6 अगस्‍त 2013 को हमला किया. फायरिंग में भारत के 5 सैनिक शहीद हो गए. यह हमला पाकिस्‍तानी सैनिकों के साथ मिलकर करीब 20 भारी हथियारबंद आतंकवादियों ने किया. ये प्रेस नोट 6 अगस्‍त को जारी हुआ.

जो ग्रउंड जीरो से रिपोर्ट आई उसने बताया कि एलओसी पर पाकिस्तानी सेना ने हमला किया और जो ग्रउंड जीरो से हजार किलोमिटर दूर संसद में सरकार ने कहा उसमें पाकिस्तानी सेना की वर्दी थी. पाकिस्तानी सेना गायब थी.

तो पाकिस्तान की जमीन से लाइन ऑफ कन्ट्रोल पर हुये हमले में पहली बार भारत सरकार ने पाकिस्तान को क्लीन चीट दे दी. यानी इससे पहले पाकिस्तान की जमीन का इस्तेमाल करने वाले आंतकवादियों को लेकर जो सरकार पाकिस्तान को कटघरे में खड़ा करने से नहीं हिचकती थी उसने पहली बार देश के पांच जवानों के मारे जाने पर पाकिस्तान को कटघरे में खड़ा करने की जगह अपने आप को ही कटघरे में खड़ा कर लिया. क्योंकि तीन सवाल अब हर जगह गूंज रहे है.
– क्या भारत अपनी जमीन पर भी अपनी सुरक्षा नहीं कर सकता?
– क्या एलओसी पर तैनात भारतीय सेना पर हथियारबंद आंतकवादी भारी पड़ रहे हैं?
– क्या पाकिस्तान सीजफायर का उल्लंघन नहीं कर रहा है?

यह तीनों सवाल इसलिये बड़े होते जा रहे हैं क्योकि इस घटना के 36 घंटे के भीतर जो पहली बातचीत एलओसी पर बढ़ते तनाव को लेकर भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ यानी डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन के बीच हुई उसमें पाकिस्तान के डीजीएमओ मेजर जनरल अशफाक नदीम ने भारत के डीजीएमओ से कहा
– जब आपकी सरकार मान रही है कि पाकिस्तान की सेना का कोई हाथ नहीं है तो फिर सीजफायर उल्लंघन का सवाल ही कहां उठता है.
– इस घटना के बाद एलओसी पर सेना की तैनाती बढ़ने का मतलब है बेवजह तनाव बढ़ाना.

वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भी एलओसी पर मारे गये भारतीय सैनिकों के आरोप को आधारहीन बताने के लिये रक्षा मंत्री एंटनी के संसद में दिये बयान को ही आधार बना लिया. इतना ही नहीं पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने भी बयान दिया कि पाकिस्तानी ट्रूप ने सीमा पार नहीं की और ना ही बिना उकसाये किसी तरह की कोई फायरिंग की.

जबकि इसके उलट भारतीय सेना के पहले बयान में ही पाकिस्तानी सैनिक कार्रवाई का जिक्र किया गया. तो अब सवाल है कि क्या भारतीय सेना के हाथ इसलिये बंधे हैं क्योकि पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर मनमोहन सरकार का रोड मैप कुछ और है. या फिर पाकिस्तानी सेना भारत के शांति बहाल करने वाले रोडमैप का लाभ उठा रही है.

क्‍या रिश्‍ते सुधारने के नाम पर शरीफ से बात करेंगे मनमोहन
महीने भर बाद ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ की मुलाकात होनी तय है. यह मुलाकात न्यूयार्क में होगी. लेकिन एलओसी की घटना के बाद नया सवाल यह है कि क्या मनमोहन सिंह रिश्तों को सुधारने के लिये नवाज शरीफ से बातचीत भी करेंगे. या फिर एक वक्त जिस तरह सार्क बैठक के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने मुशर्रफ की तरफ नजर तक नहीं उठायी थी और मुशर्फ उसके बाद भी वाजपेयी से हाथ मिलाने पहुंच गये थे. और उसी दौर में वाजपेयी ने एलओसी पर सेना की तैनातगी बढ़ाकर पाकिस्तान पर ऐसा दवाब बनाया था जिसके बाद मुशर्रफ को कश्मीर राग छोड़ना पड़ा था.

लेकिन इस बार हालात लगता है एकदाम उलट हैं. पीएम मनमोहन सिंह एकदम खामोश हैं. संसद में हंगामा होता रहा. अंगुली रक्षा मंत्री को लेकर उठी. मनमोहन सिंह खामोश रहे. और अब यह आवाज उठ रही है कि न्यूयार्क में नवाज शरीफ से कोई बातचीत नहीं करनी चाहिये तो भी प्रधानमंत्री खामोश हैं.

इसके उलट एलओसी पर 5 सैनिकों के मारे जाने के बावजूद पाकिस्तान ने दावा किया है कि सितंबर में मनमोहन सिंह नवाज शरीफ से बातचीत करेंगे और यह बातचीत कश्मीर समेत दोनों देशों के बीच संबंधों को आगे बढ़ाने के लिये होगी. नवाज शरीफ के सलाहकार सरताज अजीज ने भारत के अखबार आनलाईन को दिये इटरव्यू में कहा, ‘भारत बिना शर्त पाकिस्तान के साथ कंपोजिट डायलग के लिये तैयार है.’ इटरव्यू में सरताज अजीज ने दावा किया कि भारत की तरफ से कहा गया है कि नवाज शरीफ के साथ बातचीत में मुंबई हमलों का जिक्र नहीं होगा. यानी मुबंई हमलों को लेकर जांच कहां तक पहुंची इसपर कोई चर्चा नहीं होगी. खास बात है कि सरताज अजीज ने इंटरव्यू में कहा कि मनमोहन सिंह से बातचीत में नवाज शरीफ पाकिस्तानी सीमा में भारत के ड्रोन हमले के मुद्दे को उठायेगें. लेकिन सरताज अजीज ने पाकिस्तान की तरफ से लगातार सीजफायर के उल्लंघन का जिक्र कहीं नहीं किया.

जाहिर है अब गेंद मनमोहन सिंह के पाले में है कि क्या वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से उनकी शर्तों पर बात करेंगे या फिर एलओसी पर जिस तरह पाकिस्तानी सेना और आंतकवादी मिल कर काम कर रहे हैं उससे यह सवाल भी उठाएंगे कि
– पाकिस्तान अब भी भारत के खिलाफ आंतकवादियों को अपनी जमीन का इस्तेमाल करने दे रहा है जबकि उसने शरमअल शेख में वादा किया था कि आंतकवादियों को अब पाकिस्तान की जमीन का इस्तेमाल करने नहीं दिया जायेगा.
– भारतीय सैनिकों के सिर काटे जाने से लेकर जिस तरह गश्त करने वाले 5 जवानों को मारा गया है उसपर जवाब भी मांगेंगे?

मुश्किल यह है कि 2003 में सीजफायर के बाद से भारत ने कंपोजिट डायलग में कभी पाकिस्तान को कटघरे में खड़ा किया नहीं. और पाकिस्तान ने हर बार कश्मीर, सियाचीन और सरक्रिक का मामला उठा कर भारत को ही घेरने की कोशिश की है. जबकि पीओके में चलते लश्‍कर और जैश के कैंप से लेकर बलूचिस्तान के मामले पर भारत हर बार खामोश हो जाता है. अब सवाल है सितबंर के तीसरे हफ्ते की मुलाकात चूंकि न्यूयार्क में हो रही है तो क्या अमेरिकी एंजेडे के तहत मनमोहन सिंह नवाज शरीफ से कंपोजिट डायलाग करेंगे. या भारत में बढ़ते आक्रोष को लेकर नवाज शरीफ को चेतावनी देंगे. इंतजार करना होगा क्योंकि पीएम तो लगातार खामोश हैं.               साभार : आजतक

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