सफेदपोश नटवरलाल!

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1912 से लेकर 1996 तक 8 राज्यों के उद्योगपतियों के लिए चुनौती बने मिथलेश कुमार श्रीवास्तव उर्फ नटवरलाल अपने ठगी के कारनामों से जो शोहरत हासिल की थी, उस राह पर अब उत्तर प्रदेश का एक सफेदपोश नटवरलाल चल रहा है। इस सफेदपोश नटवरलाल ने अपनी ठगी के कौशल के बल पर जहां सरकारी संस्थाओं को करोड़ों रुपए का चूना लगाया वहीं आजादी की पहली किरण का साक्षी दैनिक समाचार पत्र स्वतंत्र भारत के पूर्व और वर्तमान कर्मचारियों को दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर कर दिया है। इस सफेदपोश नटवरलाल के खिलाफ सरकारी धन को हड़पने के कई मामले चल रहे हैं, लेकिन कुछ आईएएस अफसर और राजनीतिक आकों के संरक्षण के कारण कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है।

उल्लेखनीय है कि एग्रो पेपर मोल्डस लिमिटेड जगदीशपुर, एग्रो फाइबर जगदीशपुर, एग्रो पेपर एंड पल्प, एग्रो फाइनेंस एवं प्राइवेट लिमिटेड और स्वतंत्र भारत समाचार पत्र के मालिक कौशल किशोर श्रीवास्तव ने इन कम्पनियों के नाम पर सरकारी संस्थाओं और प्राइवेट उद्योगपतियों से वर्ष 1994 से लेकर अगस्त 2013 तक जमकर धोखाधड़ी की है। जगदीशपुर में एग्रो पेपर मोल्डस और एग्रो फाइबर फैक्ट्री स्थापित करने के लिए पिकप से करोड़ों रुपए का ऋण लिया था। पिकप द्वारा जारी डिफाल्टरों की सूची के मुताबिक एग्रो पेपर मोल्डस फैक्ट्री के नाम पर 249.57 लाख रुपए लिया था, जो 31 मार्च 2013 तक बढ़कर 2323.58 लाख रुपए हो गया है। इसी तरह एग्रो फाइनेंस एवं इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर 87.40 लाख रुपए लिए थे, जो अब बढ़कर 2487.17 लाख रुपए हो गया है। पिकप का कुल इन दो कम्पनियों पर 4810.75 लाख रुपए बाकी है। इस ऋण को हासिल करने के लिए कम्पनी के निदेशक कौशल किशोर श्रीवास्तव ने जमकर हेराफेरी की। इस हेराफेरी में पिकप के कुछ आला अफसरों ने भी साथ दिया था। जिससे आज तक पिकप कौशल किशोर श्रीवास्तव से बकाया ऋण वसूल नहीं सका है। पिकप ने ऋण वसूली के लिए कई बार नोटिस जारी किया। साथ ही ऋण वसूली के लिए स्वतंत्र भारत की मशीन की नीलामी के लिए अखबारों में नोटिस जारी किया। लेकिन जर्जर हो चुकी स्वतंत्र भारत की मशीन 4810.75 लाख रुपए में खरीदने के लिए कोई भी सामने नहीं आया। सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि पिकप के अफसरों की मिलीभगत के कारण ऋण की वसूली नहीं हो पा रही है। इसकी मुख्य वजह यह है कि पिकप हमेशा स्वतंत्र भारत की मशीन की नीलामी करने का स्वांग करता है। पिकप कभी भी स्वतंत्र भारत के टाइल की नीलामी के लिए कोई प्रक्रिया नहीं शुरू किया। जबकि स्वतंत्र भारत का टाइटल आज भी करोड़ों रुपए की वैल्यू रखता है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि पिकप के कुछ अफसर इस मामले को दबाए रखने के लिए प्रतिमाह स्वतंत्र भारत से 10 हजार रुपए नकद वसूल रहे हैं। इसके साथ ही कुछ नौकरशाह और ताकतवर नेता पिकप की वसूली में रोड़ा डाल रहे हैं।  इस संबंध में  एग्रो पेपर मोल्डस लिमिटेड के डिफाल्टर घोषित के.के. श्रीवास्तव से सम्पर्क किए जाने पर प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई।
                                                                                                                                                                          ( साभार : निष्पक्ष दिव्या सन्देश )                                       (क्रमश:)

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