कल्पतरु एक्सप्रेस का मामला: पत्रकारिता की आड़ में प्रबन्धक का खेल
लखनऊ। एक ओर जहां उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सरकारी आवास की चाहत रखने वाले पत्रकारों की प्रतीक्षा सूची लगातार लम्बी होती जा रही है और प्रदेश शासन ने वर्षों से ऐसे आवासों पर कब्जों की जाँच करते हुए कई आवासों को खाली कराने की काररवाई भी की है वहीं दूसरी ओर अखबारों में काम करने वाले कई गैर पत्रकारों द्वारा भी खुद को पत्रकार बताकर ऐसे सरकारी आवास हथियाने का मामला प्रकाश में आया है। राजधानी से कुछ ही समय पहले शुरू हुए कल्पतरु एक्सप्रेस के शिवसरन सिंह का मामला कुछ ऐसा ही है। शिवसरन सिंह अखबार में सहायक महाप्रबन्धक पद पर कार्यरत है लेकिन रहता है राज्य सम्पत्ति विभाग द्वारा पत्रकारों के कोटे में आवण्टित सरकारी मकान में। मूल रूप से जिले के माल क्षेत्र के अमोली गांव के रहने वाले शिवसरन सिंह के नाम राजधानी के पॉश इलाके अलीगंज के सेक्टर ई में एमआईजी फ्लैट नम्बर 27 आवण्टित है, जहां राजधानी के कई प्रमुख पत्रकार रहते हैं। गौरतलब है कि लखनऊ के कई पत्रकार लम्बे समय से सरकारी आवासों के लिए चक्कर लगा रहे हैं और ऐसे आवासों के खाली होने का इन्तजार कर रहे वहीं प्रबन्धक जैसे पदों पर कार्य करने वाले और मोटी पगार उठाने वाले शिवसरन सिंह जैसे लोग सरकारी आवासों का सुख भोग रहे हैं। वैसे, शिवसरन सिंह को करीब से जानने वाले बताते हैं कि वह बहुधंधी है और लम्बे समय से मीडिया हलके में घुसपैठ के जरिए गोरखधन्धा फैलाए हुए है। बताया यह भी जाता है कि शिवसरन सिंह ने कई अखबारों का पंजीकरण करा रखा है और कल्पतरु एक्सप्रेस में काम करने के बावजूद उन अखबारों के लिए सरकारी विज्ञापनों का खेल जारी रखे हुए है। आरएनआई के आंकड़ों के अनुसार, शिवसरन सिंह के आवास के पते से गांव देश नामक तीन समाचार पत्र निकलते हैं। इनमें मासिक का पंजीकरण 2002 में, साप्ताहिक का 2003 में और दैनिक का 2009 में कराया गया है। दैनिक में खुद शिवसरन सिंह का नाम जाता है जबकि साप्ताहिक और मासिक में किन्हीं रामानन्द शाóी का नाम दिया गया है। यह भी बताते हैं कि पत्रकारिता की आड़ में शिवसरन सिंह प्रदेश के एक कबीना मंत्री का दरबारी भी बन चुका है और विज्ञापनों, सरकारी कार्यालयों में काम कराने के लिए मंत्री के नाम का फायदा भी उठाता है। बताते हैं कि कई बार उसे सत्ता के गलियारों में काम कराने के एवज में सौदेबाजी करते भी देखा गया है। विडम्बना यह है कि बड़ी परियोजना के साथ आगरा और मथुरा से कल्पतरु एक्सप्रेस शुरू करने वाले और लखनऊ में कदम बढ़ाने वाले केबीसीएल इण्डिया लिमिटेड के सीएमडी कल्पतरु एक्सप्रेस के प्रधान सम्पादक जयकृष्ण सिंह राणा और कल्पतरु एक्सप्रेस के समूह सम्पादक पंकज सिंह ने शिवसरन सिंह की हरकतों पर आँखें मूंद रखी हैं जबकि शिवसरन सिंह कल्पतरु की आड़ में खुद अपना भला करने में लगा है। वैसे निवेशकों को उनके पैसे से भूखण्ड खरीदकर धनराशि को दोगुने से साढ़े तीनगुना करने का स्वप्न दिखाने वाली इस कम्पनी के सीएमडी के खिलाफ भी मध्यप्रदेश में वारण्ट जारी हो चुका है। ऐसे में लगता है कि यह अखबार शिवसरन सिंह जैसे मीडिया दलालों के लिए शरणगाह ही साबित होगी।