‘वैशाखनंदन’ वाले ट्वीट पर हर तरफ से घिरीं मृणाल पांडे ने कहा, ‘अपनी बात पर कायम हूं’
कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बर्थडे पर सोशल मीडिया पर उन्हें खूब बधाईयां व शुभकामनाएं मिली. कुछ लोगों ने उनकी तारीफ के साथ बर्थडे विश किया तो कुछ ने उन्हें ट्रॉल किया. लेकिन एक ट्वीट ऐसा भी हुआ जिसने पत्रकारिता जगत को भी भौचक्के में डाल दिया. ये ट्वीट किसी और ने नहीं बल्कि जानी मानी पत्रकार मृणाल पांडे ने किया था. उन्होंने ट्विटर पर एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा- #JumlaJayanti पर आनंदित, पुलकित, रोमांचित वैशाखनंदन. इस मैसेज के साथ उन्होंने जो तस्वीर पोस्ट की उसे लेकर काफी बवाल मचा हुआ है.
#JumlaJayanti पर आनंदित, पुलकित, रोमांचित वैशाखनंदन । pic.twitter.com/eSpNI4dZbx
— Mrinal Pande (@MrinalPande1) September 17, 2017
उनके इस ट्वीट की रवीश कुमार, अजीत अंजुम सहित तमाम पत्रकारों ने भी निंदा की है और कहा है कि वो इतनी बड़ी हस्ती हैं तो उन्हें सोशल मीडिया पर मर्यादित भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए.
रवीश कुमार ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है, ”कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी की भाषा और पत्रकार मृणाल पांडे का व्यंग्य दोनों बेहद ख़राब लगा. किसी के भी जन्मदिन के मौके पर पहले बधाई देने की उदारता होनी चाहिए, फिर किसी और मौक़े पर मज़ाक का अधिकार तो है ही. मृणाल रूक सकती थीं. सही है कि प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर और लोगों ने लतीफें बनाए और फेंकू दिवस बोलकर तंज किया. ये राजनीति के लोक का हिस्सा हो गया है जो मनमोहन सिंह के मज़ाक उड़ाने के दौर से शुरू होता है. लेकिन इसमें हर कोई शामिल हो जाए, यह और भी दुखद है. कहीं तो मानदंड बचा रहना चाहिए.”
उन्होंने आगे लिखा, ”मनीष तिवारी ने अफसोस प्रकट करने में बहुत देर कर दी. उनके पास उसी वक्त ऐसा करने का मौका था. जिन लोगों ने गाली गलौज की भाषा को संस्थागत रूप दिया है, उन्हें मौका देकर दोनों ने बड़ी ग़लती की है. गालियों के इस्तमाल में किसी हद तक जाने वालों की जमात अपनी बनाई कीचड़ में नैतिकता का परचम लहरा रही है, मगर उनकी बनाई कीचड़ में आप क्यों नाव चला रहे हैं. थोड़ा रूक जाने में कोई बुराई नहीं है. एक दिन नहीं बोलेंगे, उसी वक्त नहीं टोकेंगे तो नुक़सान नहीं हो जाएगा.”
जाने माने पत्रकार अजीत अंजुम ने सोशल मीडिया पर लिखा, ”मृणाल जी , आपने ये क्या कर दिया ? पीएम मोदी का जन्मदिन था . देश -दुनिया में उनके समर्थक /चाहने वाले /नेता/कार्यकर्ता /जनता /मंत्री /सासंद / विधायक जश्न मना रहे थे . उन्हें अपने -अपने ढंग से शुभकामनाएँ दे रहे थे . ये उन सबका हक़ है जो पीएम मोदी को मानते -चाहते हैं . ट्वीटर पर जन्मदिन की बधाई मैंने भी दी . ममता बनर्जी और राहुल गांधी से लेकर तमाम विरोधी नेताओं ने भी दी . आप न देना चाहें तो न दें , ये आपका हक़ है . भारत का संविधान आपको पीएम का जन्मदिन मनाने या शुभकामनाएँ देने के लिए बाध्य नहीं करता. आप जश्न के ऐसे माहौल से नाख़ुश हों , ये भी आपका हक़ है . लेकिन पीएम मोदी या उनके जन्मदिन पर जश्न मनाने वाले उनके समर्थकों के लिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल करें , ये क़तई ठीक नहीं.”
उन्होंने आगे लिखा, ”हम -आप लोकतंत्र की बात करते हैं . आलोचना और विरोध के लोकतांत्रिक अधिकारों की बात करते हैं ..लेकिन लोकतांत्रिक अधिकारों के इस्तेमाल के वक्त आप जैसी ज़हीन पत्रकार /लेखिका और संपादक अगर अपनी नाख़ुशी या नापसंदगी ज़ाहिर कहने के लिए ऐसे शब्दों और चित्रों का प्रयोग करेगा .. पीएम के समर्थकों की तुलना गधों से करेगा तो कल को दूसरा पक्ष भी मर्यादाओं की सारी सीमाएँ लाँघकर हमले करेगा तो उन्हें ग़लत किस मुँह से कहेंगे …सीमा टूटी तो टूटी . कितनी टूटी , इसे नापने का कोई इंची -टेप नहीं है …सोशल मीडिया पर हर रोज असहमत आवाजों या विरोधियों की खाल उतारने और मान मर्दन करने के लिए हज़ारों ट्रोल मौजूद हैं ..हर तरफ़ /हर खेमे में ऐसे ट्रोल हैं . ट्रोल और आपमें फ़र्क़ होना चाहिए . आप साप्ताहिक हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तान की संपादक रही हैं . हिन्दी और अंग्रेज़ी भाषा पर आपकी ज़बरदस्त पकड़ है . फिर अभिव्यक्ति के लिए ऐसी भाषा और ऐसे प्रतीक क्यों चुने आपने ? सवाल आपके आक्रोश या आपकी नाराज़गी का नहीं है .अभिव्यक्ति के तरीक़े पर है. ”
इसके बाद मृणाल पांडे ट्विटर पर अजीत अंजुम को ब्लॉक कर दिया.
मृणाल जी मुझे भी ब्लॉक कर दिया .इसका मतलब ये हुआ कि आप थोड़ी भी आलोचना नहीं सकती हैं..आप अपने लिखे /बोले को ही ब्रह्मवाक्य मानती हैं . pic.twitter.com/1NOhANteB0
— Ajit Anjum (@ajitanjum) September 18, 2017
मीडिया जगत के बड़े-बड़े पत्रकार भले ही मृणाल पांडे की आलोचना कर रहे हैं, लेकिन मृणाल पांडे अपने अपने ट्वीट पर कायम हैं. ABP न्यूज़ से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जिन्हें ज़बान नहीं आती, भाषा का लुत्फ उठाना नहीं आता, उन्हें इसमें आपत्ति दिखती है.
मृणाल पांडे का तर्क है कि संस्कृत में ‘वैशाखनंदन’ को देवानांप्रिय भी कहते हैं, जिसका अर्थ होता है कि हर हाल में खुश रहने वाला. इसलिए उन्होंने वैशाखनंदन शब्द का प्रयोग किया. जुमला शब्द के इस्तेमाल पर उनका कहना है कि जिन्होंने ये शब्द गढ़े, वो ही इसका जवाब दे सकते हैं. पत्रकार बिरादरी की तरफ से हो रही आलोचना पर मृणाल पांडे कहती हैं कि उन्होंने किसी से नहीं समर्थन मांगा है और न ही इसकी जरूरत है, वो अकेले काफी हैं.
आपको बता दें कि मृणाल पांडे पत्रकारिता की दुनिया का बहुत बड़ा नाम हैं. मृणाल पांडे हिंदुस्तान अखबार की संपादक रही चुकी हैं. वो प्रसार भारती के अध्यक्ष पद पर भी काम कर चुकी है. इसके अलावा दूरदर्शन के लिए भी उन्होंन काम किया है. मृणाल पांडे को 2006 में पद्म श्री से भी नवाजा जा चुका है.