राजदीप का व्यवहार गुंडों जैसा
राजदीप सरदेसाई ने जो किया वह किसी भी पत्रकार के लिए शर्म का विषय है। किसी भी परिस्थिति में पत्रकार उतनी गंदी गालियां दें, मारपीट पर उतारु हो जाए यह स्वीकार्य नहीं हो सकता। एसहोल का शाब्दिक अर्थ ऐसा है जिसे लिखना तक मुश्किल हो रहा है। मलद्वार के छिद्र के भाग को ऐसहोल मान लिया जाए तो कह रहे थे कि तुम्हारे गांड के छेद पर मारुंगा। मैं जीवन में पहली बार यह शब्द लिख रहा हूं। लिखते हुए शर्मींदगी हो रही है। जीवन में कभी बोला भी नहीं। उसके बाद उन्होने जो कहा उसका अर्थ यही था कि तुमने धन कमा लिये लेकिन रहे गंवार के गंवार। फिर गुस्से में धकेलना….। ये तो गुंडागर्दी सदृश कार्य है।
पत्रकारिता कर्म में हमने न जाने कितनी बार लोगों के गुस्से झेले हैं, गालियां सुनी हैं, विरोध का सामना किया है। पर कभी आपा नहीं खोया। कई बार लोगों को शालीन तरीके से हैण्डल करना पड़ता है। रैलियों में ऐसा होता है, पर हम कभी ऐसा नहीं करते। नरेन्द्र मोदी को लेकर उत्साहित समूह कई बार ज्यादा विरोध और अभद्र हरकत कर बैठता है, पर उससे निपटने का तरीका ये नहीं है। हंसते हुए बात करंे तो उनका सहयोग भी मिलता है। वहां तो केवल उनके कुछ प्रश्न पर मोदी समर्थकों ने आपत्ति उठाई थी कि आप ऐसा क्यों कर रहे हो? जब वे न माने तो मोदी मोदी का नारा लगने लगा। उस समय बचने की आवश्यकता थी। कोई जरुरी था कि आप 2002 के दंगे, वीजा का मामला, कोर्ट का सम्मन, वहां होने वाले एनजीओ के तथाकथित विरोध पर वहीं प्रश्न पूछे हीं? अमेरिका की धरती पर वहां के किसी प्रवासी भारतीय को गांड पर मारने की बात करते हैं और दूसरे को सभ्य नहीं होने की का प्रमाण पत्र देते हैं। असभ्य तो आप है। आखिर इससे बड़ी असभ्यता क्या हो सकती है? यह गुंडागर्दी ही कहा जाएगा। क्षमा करना दोस्तों मुझे स्पष्ट करने के लिए एक अश्लील शब्द प्रयोग करना पड़ा जो न मैं करता हूं न किसी को अपने वाल पर अनुमति देता हूं।
Awadhesh Kumar के फेसबुक वाल से
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