संजय जी…. लापरवाह तंत्र का ही नतीजा है हरदोई का मिड-डे मील का लोटा, कटोरा घोटाला

बहु-आयामी’ प्रतिभा सम्पन्न पत्रकार हैं संजय शर्मा-जिनसे आप लोग पहले से ही परिचित होंगे। इनकी प्रतिभा और चर्चा खबरों से ज्यादा ‘और’ वजहों से रहती है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से इनके ‘कथित’ करीबी सम्बन्ध ऐसा रहा है कि अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अगर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को संजय शर्मा का चेहरा नहीं दिखता था तो वो अन्य पत्रकारों से इनकी खैरियत पूछने लगते थे (जैसा कि शर्मा अपने तात्कालिक सोशल मीडिया की पोस्ट में लिखते रहे हैं )। ऐसी ‘कयासी खबरों’ एवं कुछ तस्वीरों को अपने फेसबुक आदि पर पोस्ट कर इन महाशय ने समाजवादी पार्टी की सरकार में बेशुमार दौलत कमाई।

एच . बी . शर्मा 

समय बदल रहा है… साथ-साथ पत्रकारिता के मानक भी बदल रहेहैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था के इस चैथा स्तम्भ कहे जाने वाले पत्रकारिता के क्षेत्र में पिछले कुछ सालों में एक से एक धुरंधरों ने नये-नये आयाम लिखे और गढ़े। ऐसे ही एक
‘बहु-आयामी’ प्रतिभा सम्पन्न पत्रकार हैं संजय शर्मा-जिनसे आप लोग पहले से ही परिचित होंगे। इनकी प्रतिभा और चर्चा खबरों से ज्यादा ‘और’ वजहों से रहती है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से इनके ‘कथित’ करीबी सम्बन्ध ऐसा रहा है कि अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अगर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को संजय शर्मा का चेहरा नहीं दिखता था तो वो अन्य पत्रकारों से इनकी खैरियत पूछने लगते थे (जैसा कि शर्मा अपने तात्कालिक सोशल मीडिया की पोस्ट में लिखते रहे हैं )। ऐसी ‘कयासी खबरों’ एवं कुछ तस्वीरों को अपने फेसबुक आदि पर पोस्ट कर इन महाशय ने समाजवादी पार्टी की सरकार में बेशुमार दौलत कमाई। हालत यह रहा कि चार पन्ने का अखबार निकालकर इन्होंने करोड़ों का सरकारी विज्ञापन उठाया। सुनने में तो यह भी आता रहा कि इन्होंने कमीशन पर बाहर के अखबारों को सूचना विभाग का विज्ञापन भी बांटे… जो एक जांच का विषय है। उस समय लखनऊ की सड़कों पर लगी होर्डिंगों में ‘देश के सबसे ईमानदार तीन पत्रकार’ (जिनमें से एक पीत पत्रकारिता को लेकर जेल हो आये) दूसरे संजय शर्मा भी रहे। बहरहाल, संजय जी के संपादन में निकल रहे 4पीएम अखबार की संपादकीय को देख इनके बारे में कुछ लिखे बिना नहीं रहा गया। वजह भी है। स्वघोषित तीखे तेवर वाले लेख लिखने के लिए कथित ईमानदार पत्रकार संजय शर्मा ने अपने संपादकीय मिर्जापुर में मिड डे मिल मिल की लापरवाही व घपले को लेकर लिखी है। हेडिंग लगाई है ‘मिड डे मिल… बच्चे… लापरवाह तंत्र’। संजय जी के इस हेडिंग से मैं पूरी तरह सहमत हूं। अगर ऐसा न होता तो हरदोई में हुए करोड़ों के हेराफेरी के भेंट चढ़ चुके मिड डे मिल योजना का अब तक यह तंत्र कोई न कोई पुरसाहाल जरुर लिया होता । स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं की खबरों व लोगों की मानें तो लगभग 15 साल बीतने के बावजूद अभी तक इस घोटाले की फाइलें धुल फांक रही हैं। खबरों के मुताबिक तत्कालीन जिलाधिकारी भुवनेश कुमार ने अपने करीबी संजय शर्मा को उस समय जमकर फायदा पहुंचाया और दोनों ने मिलकर मिड डे मिल योजना में बर्तन खरीदने के नाम पर जमकर लूट खसोट किया। लोगों का तो यह भी कहना है कि संजय शर्मा ने हरदोई का करोड़ों रुपये डकारकर यूपी की राजधानी लखनऊ की तरफ रूख किया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज दोनों अपने अपने पेशे में वरिष्ठ बने हुए हैं तथा दोनों पेशेगत एसोसिएशन में पदाधिकारी भी नियुक्त रह चुके हैं। संजय जी ऐसी खबरें लिखते समय आपकी कलम कांपती तो जरूर होगी…
कहीं यह लापरवाह तंत्र हरदोई की मिड डे मिल योजना में बर्तन घोटालों की खबर पर नजर न फेर दे। वैसे हरदोई तो एक नमूना भर है, ऐसी न जाने कितने कारनामों की फेहरिस्त है आपकी… जिसकी परतें खुलनी बाकी है।

(ये खबर पत्र के माध्यम से एच . बी . शर्मा  ने भेजा है इस खबर से सम्बंधित कोई भी जानकारी आप उनके दूरभाष नंबर 9839088861पर प्राप्त कर सकते हैं  e-mai: [email protected] )

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