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अजित अंजुम के खिलाफ FIR पर वरिष्ठ पत्रकार दिनेश पाठक ने क्या कहा उसे भी पढ़िए

अजीत अंजुम पर दर्ज हुई FIR, प्रशासन ने चेतावनी भी जारी की

वरिष्ठ पत्रकार अजित अंजुम पर बिहार में दर्ज मुकदमे को देखते-सुनते एक किस्सा याद आया। मैं गोरखपुर में हिंदुस्तान अखबार का एडिटर था।
महराजगंज के साथी अभिषेक राज को सूचना मिली कि जिले में कई जगह फर्जी आधार कार्ड बन रहे हैं। नेपाल से सटा जिला होने की वजह से यह मामला ज्यादा संवेदनशील माना गया। अभिषेक ने पड़ताल शुरू की तो एक केंद्र कलेक्ट्रेट परिसर में भी चलता हुआ मिला। अभिषेक ने मुझे बताया और जिले के डीएम/एसपी का फर्जी आधार कार्ड असली फोटो और नाम से बनवा लिया।
पत्रकार होने के नाते मुझे यह बड़ी खबर लगी क्योंकि फर्जीवाड़ा करने वाले बेहद दुस्साहसी थे। वे उसी कलेक्ट्रेट में बैठकर यह फर्जी काम कर रहे थे, जहाँ डीएम समेत अनेक अफसर बैठते हैं।
खैर, यह खबर हमने पहले पन्ने पर प्रमुखता से छापी। अगली सुबह जिले में हड़कंप मच गया। डीएम ने फोन पर मुझे अभिषेक को हटाने का लगभग आदेश सा सुना दिया। मैंने उनका आदेश मानने से मना कर दिया और अगले दिन एक और खबर छापा जिसमें फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ न मुकदमा लिखा गया और न ही कोई जाँच-पड़ताल शुरू हुई।
डीएम साहब का सारा जोर अभिषेक को हटाने पर था। अगली सुबह जब फिर एक खबर पब्लिश हुई तो डीएम का पारा सातवें आसमान पर। प्रोन्नति पाकर आईएएस बने डीएम साहब ने फोन करके फिर नाराजगी जताई और एक शिकायती पत्र दिल्ली तक भेज दिया, जो मेरे दफ्तर पहुँचने पर मेरे सामने था, जिसमें जाँच के आदेश थे। सब कुछ मेरी जानकारी में था तो किस बात की जाँच करता।
मैंने बॉस को पूरी कहानी बताई तो वे भी मुझसे सहमत हो गए। मैंने भी एक रिपोर्ट बनाकर भेज दी और इस तरह एक फ़ाइल बंद की। उसके बाद से तो डीएम ने सूचना अधिकारी समेत अन्य अफसरों को भी लगा दिया कि अखबार रोज स्कैन करो। कहीं कुछ भी गड़बड़ दिखे तो उन्हें बताओ। जब भी कुछ उनके मनमाफिक नहीं रहता तो डीएम साहब का फोन आ ही जाता। हालाँकि, उसके बाद उन्होंने शिकायती पत्र भेजना बंद कर दिया। एक दिन मैंने लखनऊ में उनकी कारस्तानी से शासन में बैठे उनके एक सीनियर को अवगत कराया तो न केवल वे शांत हुए बल्कि दबे पाँव मिलने भी आये। फिर तो दोस्त जैसा व्यवहार करने लगे। लेकिन जब अपने रहने तक मैंने अभिषेक को नहीं हटाया तो वे बहुत निराश हुए। अब वे कहाँ हैं, मुझे बिल्कुल नहीं मालूम।
पर, अजित अंजुम जी पर मुकदमे की घटना ने एक बारगी फिर से सब कुछ याद दिला दिया। जिस तरीके से अपनी कमियाँ दूर न करके अफसरों ने उनके खिलाफ मुकदमा लिखवा दिया है, ठीक इसी तरह अफसरों ने मेरे सामने यही काम किया था। बस मुकदमा न लिखकर शिकायतें करते रहे।
सरकार से जुड़े किसी भी तंत्र के लिए इस तरह की हरकत बेहद निंदनीय है। अरे भाई, आप जनसेवक हैं। उनकी मदद के लिए हैं। फिर उनकी समस्या को उठाने पर मुकदमे लिखेंगे तो इसे सरकारी कागज-कलम का दुरुपयोग कहा जाएगा। मत करिए ऐसा। इससे आपकी ही बदनामी हो रही है।
मूल खबर ………………………….

अजीत अंजुम पर दर्ज हुई FIR, प्रशासन ने चेतावनी भी जारी की

बिहार चुनाव में अनियमितताओं का आरोप लग रहा है। वरिष्ठ पत्रकार और यूट्यूबर अजीत अंजुम बिहार में वोटों की गणित का जायजा ले रहे हैं। अजीत अंजुम के एक वीडियो को लेकर बड़ा हो-हल्ला मच गया है। जिसे लेकर उनपर मुकदमा भी दर्ज हो चुका है। इस वीडियो में अजीत अंजुम ने चुनाव आयोग को चुनौती भी दी है। वहीं, अब बेगूसराय जिला प्रशासन की तरफ से अजीत अंजुम के लिए चेतावनी जारी की गई है।

नीचे पढ़ें/देखें….


अजीत अंजुम-

मुझे कुछ शुभचिंतकों ने सूचना दी है कि ‘SIR’ पर मेरी रिपोर्टिंग के कारण मेरे खिलाफ FIR की जा सकती है. चुनाव आयोग के दावों के FACT CHECK से साहब लोग बौखलाए हैं. मैंने उनसे कह दिया कि अब जो होगा, देखा जाएगा.

मैं वही कर रहा हूं, जो एक पत्रकार को करना चाहिए.

कुछ जिलों में DM/SDM में खलबली है कि मैं अपलोडिंग सेंटर पर न पहुंच जाऊं. अगर सब नियम के मुताबिक ही चल रहा है तो इतनी पाबंदी किस बात की? अब BLO को मुंह बंद करने को भी कहा जा रहा है. जबकि मैं मानता हूं कि BLO पर लगातार बहुत प्रेशर है कि वो अपना टारगेट जल्दी पूरा करें.

ताज़ा वीडियो किशनगंज का है. इसमें मैंने क्या गलत कहा है? कोई बता दे.

https://www.youtube.com/channel/UCkquFW943phrj5RbNqtqj4w?embeds_referring_euri=https%3A%2F%2Fwww.bhadas4media.com%2F

रवीश कुमार-

एक आपकी रिपोर्टिंग से इतनी बेचैनी है। इसका मतलब है जितना समझा जा रहा है उससे ज़्यादा गंभीर मामला है। सवाल है कि आपके और एक दो लोगों के अलावा अगर इसकी रिपोर्टिंग गोदी चैनल भी करने लग जाते तब क्या एक दावा भी टिक पाता। सुप्रीम कोर्ट के सामने एक झूठ का पर्दा लगाया जा रहा है। अगर हर तरफ़ से रिपोर्टिंग हो रही होती तो कोर्ट तक ये सच्चाई ज़रूर पहुँचती।

ज़िलाधिकारी भी इस दिन के लिए तो इतनी हाड़तोड़ पढ़ाई कर IAS नहीं बने होंगे। उनकी अंतरात्मा क्या कहती होगी बस यही बता दें। भले काम में बता दें । उसी से संतोष हो जाएगा।


हृदयेश जोशी-

आपके साथ हम सब खड़े हैं। आपकी रिपोर्टिंग धारदार है। मुझे आश्चर्य होता है कि आप इतनी ऊर्जा कहां से लाते हैं। जैसे चुस्त सुबह वैसे ही 12 घंटे काम करने के बाद भी। यूं ही स्वस्थ बने रहें सर।


अजीत अंजुम ने एफआईआर दर्ज होने पर लिखा- बेगूसराय के एक मुस्लिम BLO को मेरे खिलाफ मोहरा बनाया है. मेरे वीडियो में ऐसा कुछ नहीं, जो इस FIR में कहा गया है. आप लोग देखें और तय करें.

चालीस मिनट के वीडियो में कई सवाल हैं, जिनका जवाब चुनाव आयोग को देना चाहिए.

मेरे वीडियो को पब्लिश होने से रोकने के लिए कई बार SDM और BDO के फोन आए. क्योंकि मेरे कैमरे में बहुत कुछ ऐसा कैद हुआ जो उनके लिए फजीहत की वजह बना. मैंने उनकी बात नहीं सुनी. तो एक मुस्लिम BLO को दबाव में लाकर उनसे FIR दर्ज करवा दी गई.

जिला प्रशासन द्वारा जारी चेतावनी यहां पढ़ें…

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