जनसंदेश लखनऊ के कर्मचारियों ने वेतन को लेकर जीएम विनीत मौर्या से जताई नाराजगी

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जनसंदेश लखनऊ से खबर है कि वहां के सम्पादकीय विभाग के कर्मचारी समय से वेतन न मिलने की समस्या को लेकर संस्थान के प्रधान संपादक डा. सुभाष से मिलने गये जिसपर उनकी समस्या सुनने के बजाय प्रधान संपादक ने उनको घुड़क दिया लेकिन कर्मियों की संख्या और उनका गुस्सा देखकर फिर शांत होते हुए कहा कि आप लोग एक सामूहिक पत्र लिखकर जीएम विनीत मौर्या मिले मैं भी अप लोगों की समस्या उनके सामने रखूंगा, जिसके बाद सारे कर्मचारी जीएम विनीत मौर्या से मिलकर उनको एक पत्र सौंपा और कहा कि अगर जल्द उनकी समस्या नहीं सुलझाई गई तो सब मिलकर कार्य बहिष्कार करेंगे। वेतन समस्या को लेकर पहले भी एक दो बार सम्पादकीय विभाग के कर्मचारी कार्य बहिष्कार कर चुके हैं लेकि बावजूद इसके जीएम विनीत मौर्या पर ये आरोप लगता रहा है कि वो जानबूझकर वेतन की समस्या उत्पन्न करते हैं। आज भी जब कर्मचारियों ने वेतन की समस्या को लेकर जब सामुहिक विरोध जताया तो उन्हे शांत करने के लिए ये कहकर टाल दिया विनीत मौर्या ने कि कल आप लोगों का वेतन दे दिया जयेगा आप लोग कार्य बहिष्कार न करें। विनीत मौर्या ने आज तो इन कर्मचारियों को रोक लिया लेकिन झूठ बोलकर इनको कबतक रोक पायेंगे। क्या वास्तव में संस्थान के पास वेतन देने के लिए पैसा नहीं है या ये समस्या जनबूझकर बनाई गई है। जनसंदेश टाइम्स के बाकी एडिशन जैसे गोरखपुर, बनारस, इलाहाबाद और कानपुर में वेतन को लेकर कोई समस्या नहीं है फिर लखनऊ एडिशन में जो कि मुख्य एडिशन है यहां वेतन को लेकर इतनी मारामारी क्यो है। ऐसा लगता है जैसे यहां जानबूझकर इस समस्या को बनाया गया है। मजेदार बात यह है कि मार्केटिंग विभाग को जनवरी माह का भी वेतन मिल गया है लेकिन सम्पादकीय विभाग का दिसम्बर माह का भी वेतन नहीं दिया गया है आखिर सम्पादकीय विभाग से माननीय जीएम विनीत मौर्या सौतेला ब्यवहार क्यों कर रहे हैं। सम्पादकीय विभाग के प्रति जीएम के सौतेले ब्यवहार पर प्रधान संपादक की चुप्पी समझ से बाहर है। आखिर प्रधान संपादक डा. सुभाष राय को तो अपने कर्मचारियों की सुध लेनी चाहिए लेकिन उनका ब्यवहार भी अपने कर्मियों के प्रति काफी उदासीनता का है। भगवान जाने आने वाले समय में जनसंदेश टाइम्स लखनऊ का क्या होगा।

आने वाले समय में इन मुद्दों पर भी होंगे खुलासे

1. मार्केटिंग विभाग में भी विनीत मौर्या की चल रही धांधली।

2. सैलरी बांटने में अपनों का रखते हैं विशेष ध्यान बाकी रहते परेशान।

3. एक ही नंबर के बनते हैं कई सारे बिल और उनके भुगतान में होता है खेल

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