जनसंदेश टाइम्स इलाहाबाद में आखिर हो क्या रहा है, एक और पूर्वकर्मी ने भड़ास4जर्नलिस्ट.कॉम को भेजी अपनी आपबीती

logobमैं विवेक कुमार मौर्य पिछले कई महीनों से जनसंदेश में डिजाइनर के रूप में कार्यरत था। किन्तु किन्ही विषम परिस्थितियों के कारण मुझे संस्थान छोड़ना पड़ा। मुझे यह कहते हुए बड़ा ही खेद हो रहा है कि जनवरी माह की वेतन संस्थान ने मुझे अब तक नही दिया और वहाॅ के एच0आर0 महोदय कहते है कि तुम्हारी पूरी सैलरी एडजेस्ट कर ली गई है। जब मैने पूछा कैसे एडजेस्ट हुई तब उन्होने बताया कि नियम के मुताबिक 15 दिनों की सैलरी काट ली गई है और बाकी तुम्हारा विज्ञापन छपा था। मुझे पुनः यह कहते हुए बड़ा खेद हो रहा है कि जनसंदेश टाइम्स के एच0आर0 महोदय को गणना करना तक नहीं आता। बताता चलूं कि 8000.00 मेरी सैलरी थी चूंकि कि जनवरी माह में 31 दिन होते है उस हिसाब से मेरी प्रतिदिन की कमाई रू0 258.00 बने। इस हिसाब से उनके कहे अनुसार मेरी सैलरी 27 दिन की बनी। जिसमें 2800.00 रू0 का मेरा विज्ञापन था और 4000.00 नियम के तहत कटे और 27 दिन की सैलरी 258 के हिसाब से रू0 6966.00 बने।
6966-4000-2800= 166   अतः उनके द्वारा बताया गया हिसाब 166 का बन रहा है जबकि उनका कहना है कि तुम्हारे रू0 265.00 बने है मुझे समझ नही आता कि जहाॅ पर ऐसे एच0आर0 है जिन्हे ठीक से गणना तक करना नही आता वह संस्थान को किस ओर ले जा रहे है। आपको यह भी अवगत करना चाहता हॅू कि मेरी सैलरी 36 दिन से ज्यादा की बन रही है तथा यह भी कहना चाहता हूूॅ ये जिस नियम कानून की बात कर रहे है अभी भी उस एग्रीमेन्ट पर साइन कई उच्च अधिकारियों के नही हुये है। एक विशेष बात और कहना चाहूॅगा कि साइन बावजूद कई और लोगों को ये सैलरी दे चुके है जबकि ये मुझे टहलाते है कि एच0आर0 से मिलो मैनेजमेन्ट से बात करो जी0एम0 सर से मिलो। एक विशेष बात की और जानकारी देना चाहूॅगा कि 15 अगस्त, दीपावली, नववर्ष, 26 जनवरी आदि शुभअवसरों पर मैंने एक-एक बजे रात तक संस्थान का कार्य पूरे मन तन से किया और इस बात का साक्ष्य वहाॅ का जर्रा-जर्रा और सीसीटीवी कैमरा है तथा एच0आर0 महोदय कहते है कि तुमने कभी भी ओवर टाइम नही किया और बताओं तुम मेरा क्या कर सकते हो इस बात की रिकार्डिंग भी मै आपको मेल कर रहा हूॅ तथा संस्थान से यह भी जानना चाहा कि ओवर टाइम का क्या नियम है तो कहते है कि जब तुमने ओवर टाइम ही नहीं किया तो तुमको नियम क्यो बताऊ। मैं दो लाइन के माध्यम से यह बात कहॅूगा

क्यॅू लुटते हो ईमानदार और कर्मठशील व्यक्तियों को
लूटना है तो उनको लूटो जो दिखावा करते है आपका अपना होने का
और जो लूटता है आपको और आपके संस्थान को।।

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