समाज सुरक्षित होगा तो पत्रकार सुरक्षित होगा……………
शेखर पंडित
पत्रकार जिसको चौथा स्तंभ माना गया है उसके ऊपर पूरे समाज का भी दायित्व है, पत्रकारों की अनेक मूल भूत समस्यांए हो सकती हैं लेकिन उसकी लेखनी और उसका दायित्व इन समस्यओं से कहीं ऊपर है, देख कर दिल को प्रसन्नता होती है कि आजकल पत्रकारों के अनेक संगठन इस कड़ाके की ठंडक में अपनी नरम गरम गतिविधियों से गरमा गरम माहौल बनाये हुए हैं, कहीं केक काटने का आयोजन हो रहा है, कहीं तीर्थ यात्रा भ्रमण का कार्यक्रम तो कही मीडिया समन्वय कार्यक्रम कर प्रतिभावान लोगों को प्रोत्साहन पुरस्कार दिया जा रहा है, अटल पुरस्कार की एक नई परंपरा जाते हुए साल में देखने को मिली, आने वाले सालों में क्या नया होगा ये तो नही मालूम लेकिन एक परम्परा जो अनेक बड़े संगठनों द्वारा की जाती रही है वो ज़रूर दुहरायी जाएगी, वो है पत्रकार सुरक्षा को लेकर ज्ञापन देना, अब तक 100 ज्ञापन तो दिए जा चुके होंगे और अनेक संघठनो द्वारा अपनी अपनी तस्वीरों को सोशल मीडिया पर अपनी गतिविधियां बयान करते हुए दर्शाया गया होगा। पत्रकार सुरक्षा कानून ज़रूरी है लेकिन समाज सुरक्षा का दायित्व पत्रकारों के लिए उससे भी ज़रूरी है, जिन पत्रकारों को सुरक्षा का भय था उनको सरकार द्वारा गनर दिए गए हैं, अब वो बंदूक के साये में सुरक्षित है और उनकी कलम सरकार से मिले इस तोहफे के आगे नतमस्तक है, समाज की तरफ उनका क्या दायित्व है इसको भूल गए, पत्रकारों को अपने ही क्लब मे सदस्यता तो मिली नही सुरक्षा को लेकर तस्वीरें जारी करने से क्या होगा,, अभी आगरा में दो दिन पहले अज्ञात लोगों द्वारा आग के हवाले की गई 15 वर्षीय एक लड़की ने सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया। 10वीं में पढ़ने वाली इस छात्रा पर दो अज्ञात लोगों ने पेट्रोल छिड़ककर लाइटर से आग लगा दी। ऐसे समाज में हमें अपनी सुरक्षा की चिंता है तो फिर समाज का क्या होगा, सरकारी तोहफे के रूप में मिलें पुलिस के जवान हमारी सुरक्षा में लग जाएंगे तो समाज कैसे सुरक्षित होगा।। इसका आंकलन ज़रूरी है। हमारे प्रिय प्रधानमंत्री मोदी जी के आव्हान पर मात्र 2 साल में ही 1 करोड़ देशवासियों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी थी , क्या हम समाज के चौथे स्तंभ अपनी सुरक्षा में लगे पुलिस कर्मियों और सरकारी आवास को छोड़ने की एक नई मिसाल कायम करेंगे जिससे ज़रूरतमंद लोगों को इंसाफ मिल सके ।
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