अपराधियों ने चकनाचूर किया उत्तम प्रदेश का सपना
लखनऊ
उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार सुशासन के लाख दावे कर ले लेकिन असल हकीकत कुछ और ही है। सत्ता पर काबिज लोग प्रदेश की तकदीर बदलने नहीं देते। सूबे में आपराधिक वारदातों से हाहाकार मचा हुआ है। किसी मासूम की बलात्कार के बाद जुबान काट ली जाती है तो कहीं एक अबला की इज्जत तार-तार कर उसे जिंदा फूंक दिया जाता है। सूबे के युवा मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाना चाहते हैं लेकिन अपराधियों के बुलंद हौसलों ने उनके इस सपने को चकनाचूर कर दिया है।
चार माह पहले ही अखिलेश सरकार का एक साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है। सूबे में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जनता से सबसे पहला वादा यही किया था कि राज्य में जुर्म की तस्वीर बदल कर रख देंगे। सूबे में कानून का राज कायम होगा लेकिन मुख्यमंत्री जी प्रदेश में कानून व्यवस्था पटरी से उतरकर सड़क पर आ चुकी है, अपराधियों के आगे पुलिस-प्रशासन बेबस और लाचार नज़र आ रहा है। अखिलेश साहब आखिर आपके यूपी में राज किसका है? लखनऊ से लेकर इटावा, प्रतापगढ़ से लेकर बुलंदशहर तक जनता अपराध से त्राहि त्राहि कर रही है। ऐसी-ऐसी वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है जिसे सुनकर किसी की भी रूह कांप जाए।
इटावा में गैंगरेप के बाद युवती को जिंदा फूंका
सूबे में अपराधियों के मंसूबे इस कदर मजबूत हैं कि खुद मुख्यमंत्री का गृहजनपद भी इससे अछूता नहीं है। यहां पहले लड़की को 2 साल तक प्रेम जाल में फंसाया गया। फिर उसे धोखे से प्रेमी ने कमरे में बुलाया, वहां प्रेमी और उसके 3-4 दोस्तों ने लड़की की इज्जत तार तार की और उसके बाद इस लड़की को जिंदा आग के हवाले कर दिया। बुरी तरह जली हुयी युवती ने तीन दिन तक जिंदगी और मौत की जंग लड़ती रही और अंत में उसने दम तोड़ दिया। हालांकि इटावा जिले के इकदिल इलाके के देसरमऊ गांव के 7 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हो चुका ह।
क्या ये है अखिलेश का सुशासन?
अखिलेश राज में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध को आंकड़ों के हिसाब से समझे तो वर्ष 2011 में पूरे उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ 22639 अपराध के मामले दर्ज किए गए, जबकि साल 2012 में ये आंकड़ा बढ़कर 23569 हो गया यानी 930 का इजाफा। 2012 में उत्तर प्रदेश में बलात्कार के 1963 मामले दर्ज किए गए। इन आंकड़ों से ही साबित हो जाता है कि महिलाओं की पूरी सुरक्षा का जिम्मा लेने का दंभ भरने वाली उत्तर प्रदेश पुलिस के दावे कितने खोखले हैं। क्या ऐसी पुलिस के भरोसे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने का दावा करते हैं ?
प्रतापगढ़ में पार हुयी हैवानियत की हद
डीएसपी जियाउल हक हत्याकांड के बाद प्रतापगढ़ एक बार फिर सुर्खियों में है, इस बार यहां दबंगों ने हैवानियत की हर हद को पार कर दिया। जेठवारा थाने के नौबस्ता गांव की एक नाबालिग युवती बार-बार गांव के दबंगों की दरिंदगी का शिकार हो रही है। बीती 22 जनवरी को गांव के एक युवक ने उसे अपनी हवस का शिकार बनाया। पुलिस ने बलात्कार का मामला दर्ज करके आरोपी को जेल भेज दिया। इसी मामले में पीड़ित नाबालिग को 24 जुलाई को कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज करना था लेकिन इससे पहले की लड़की अपनी आपबीती कोर्ट में बता पाती दबंगों ने उसकी जुबान ही काटने की कोशिश की और उसे लहूलुहान हालत में वहीं छोड़ फरार हो गए। अस्पताल के बिस्तर पर दर्द से कराह रही इस नाबालिग को दरिंदों ने जो जख्म दिए हैं इसे सुनकर किसी की भी रूह कांप जाएगी।
यहां भी यूपी पुलिस ने दबंगों पर कार्रवाई करने के नाम पर वहीं किया जिसके लिए वह जानी जाती है, इस मामले में भी पुलिस ने पर्दा डालने की पूरी कोशिश की। पुलिस का ये रवैया यह साबित करने के लिए काफी है कि राज्य में उसके इंसाफ करने का पैमाना किस लेवल का है।