ये मेरा UNLAWFUL TERMINATION ORDER जिसे मैं बिना किसी शर्म के आप लोगों के सामने रख रही हूं, अब ये जानिए ये मुझे दिया कैसे गया?
5 फरवरी से अब तक FIR नहीं हुई है सोचिए ZEE NEWS का दवाब कितना ज़्यादा होगा पुलिस महकमे पर, अकूत संपत्ती और साम्राज्य के आगे मैं कहीं खड़ी नहीं हो पाऊंगी आप लोगों के सहयोग के बिना मेरी मदद कीजिए.
ये मेरा UNLAWFUL TERMINATION ORDER जिसे मैं बिना किसी शर्म के आप लोगों के सामने रख रही हूं, अब ये जानिए ये मुझे दिया कैसे गया?
मैं रोज़ की तरह ऑफिस गई, दिन शनिवार, जिस दिन 70 प्रतिशत STAFF/HR DEPARTMENT OFFICE नहीं आता.
1- वक्त सुबह 10.20 मिनट, मेरी घेरेबंदी कर ज़बरदस्ती एक मीटिंग में ले जाया गया, मेरा सामान (बैग-मोबाइल) अपने कब्ज़ में ले लिए गए थे, मुझे एक कमरे में बंधक बना लिया गया था, न WASHROOM जाने की इजाज़त थी न अपनी मां से ही फोन पर बात करने की, घेरेबंदी ऐसी की कभी महिला गार्ड दिखती तो कभी मेरे पास से मुस्कुरा कर निकलता कोई आदमी, दहशत के मारे में मैं वापस जाने की ज़िद करने लगी, मुझे चाय दी गई मैनें नहीं पी, मुझे महिला गार्ड कहती है अरे मैडम पी लीजिए कुछ मिलाया नहीं है, मैं पी कर दिखाऊं, मैनें कहा दीदी आप पी लीजिए, मैं नहीं पीऊंगी, क्यों नहीं पीओगी, पीना पड़ेगा, नही मैनें नहीं पीना तो नहीं पीना, काफी देर बाद फिर बिस्किट लाए गए, कहा गया अरे सर ने भेजा है मैडम को बिल्किट खिलाओ.
(-मैं-उसे बार-बार अपनी POSH की शिकायत के बारे में बता रही थी, ICC ने कैसे काऩून की धज्जिया उड़ाई जांच के नाम पर कैसे एक-तरफा कारर्वाई की सब बताया, मुझ से जांच के नाम पर कैसे MISOGYNIST सवाल किए कमेटी ने वो बताया, नहीं सुनवाई हुई.)
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4- मैं जैसे ही नीचे आई फिर बैठ गई, मेरा शरीर हरकत नहीं कर पा रहा था, मुझे एक-एक सांस लेने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा था, एक महिला गार्ड को शायद मुझ पर दया आई, उन्होंने मेरा हाथ मला, इस पूरे घटनाक्रम में अमित बंसल नाम मेरे आसपास घूमता रहा, मैं थोड़ी सामान्य हुई तो जैसे-तैसे सब की घेरेबंदी में ही ऑफिस से बाहर निकली और गुप्ता चौक के पास एक पेड़ के नीचे बैठ गई। सोचिए जो हो रहा था वो मेरे परिवार को या मेरे किसी परिचित तक को नहीं पता था कि मैं किसी मीटिंग में हूं या क्या होने वाला है मेरे साथ.