सरकारी कर्मचारी बिना पूर्व अनुमति के किसी भी पत्रिका या समाचार पत्र का स्वामित्व, संचालन या प्रबंधन नहीं करेगा

नियम 6, 7 और 9 में रेडियो या समाचार पत्रों के संबंध में हैं, जिसका हवाला देकर आदेश में कहा गया है, कोई भी सरकारी कर्मचारी बिना पूर्व अनुमति के किसी भी पत्रिका या समाचार पत्र का स्वामित्व, संचालन या प्रबंधन नहीं करेगा. इसके साथ ही कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी पत्रिका या समाचार पत्र में कोई लेख नहीं भेजेगा या किसी रेडियो प्रसारण में हिस्सा भी नहीं लेगा.

प्रदेश की योगी सरकार ने अपने अफसरों और कर्मचारियों के लिए नई मीडिया गाइडलाइंस बनाई है. जिसके मुताबिक मीडिया में अगर किसी को कुछ बोलना है तो पहले सरकार से इजाजत लेनी होगी. अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी द्वारा जारी इन आदेशों में सोशल मीडिया के लिए भी नियम तय किए गए हैं.

आदेश में कहा गया है कि, बिना मंजूरी लिए अखबार में लेख न लिखें, टीवी या रेडियो में न बोलें और न ही सोशल मीडिया पर लिखेंगे. इन आदेशों का सख्ती से पालन करने और आचरण नियमावली न मानने वालों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई है.

जारी हुए आदेश के अनुसार हर कर्मचारी को नियमावली के नियम 3(2) के प्रावधान के मुताबिक आचरण एवं व्यवहार सरकारी आदेश के अनुरूप हो. उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव डॉ.देवेश चतुर्वेदी द्वारा आचरण नियम और मीडिया संबंध जारी आदेश में उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली, 1956 का जिक्र किया गया है.

 

नियम 6, 7 और 9 में रेडियो या समाचार पत्रों के संबंध में हैं, जिसका हवाला देकर आदेश में कहा गया है, कोई भी सरकारी कर्मचारी बिना पूर्व अनुमति के किसी भी पत्रिका या समाचार पत्र का स्वामित्व, संचालन या प्रबंधन नहीं करेगा. इसके साथ ही कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी पत्रिका या समाचार पत्र में कोई लेख नहीं भेजेगा या किसी रेडियो प्रसारण में हिस्सा भी नहीं लेगा.

सरकार की रहेगी नजर

आदेश में लिखा गया है कि यह पाबंदी गुमनाम रुप से या अपने नाम से पत्रिकाओं या समाचार पत्रों को पत्र लिखने पर भी लागू होता है. हालांकि, अगर ऐसे लेख या प्रसारण की प्रकृति पूरी तरह से कलात्मक, साहित्यिक या वैज्ञानिक है तो मंजूरी लेने की कोई जरूरत नहीं है. आदेश में सभी तरह के यानी प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल तीनों ही प्रारुपों पर पाबंदी की बात लिखी गई है.

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