‘निष्पक्ष’ नाचते राजदीप सरदेसाई: मिला सिर्फ 2 मिनट का इंटरव्यू… लेकिन विपक्ष की ढोल बजा पत्रकारिता की पुच्छी में लगाई आग
3 साल, 2 मिनट का इंटरव्यू, कई कट्स। अब बेचारे राजदीप सरदेसाई भी क्या करते, क्या-क्या पूछते भला। ये अलग बात है कि वो इस 2 मिनट के इंटरव्यू से भी प्रफुल्लित हैं क्योंकि सामने एक विपक्षी नेता है।
देश की मीडिया का एक बड़ा हिस्सा अक्सर तानाशाह-तानाशाह कह कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते रहता है। जर्मनी में रह रहे यूट्यूबर ध्रुव राठी ने तो ये समझाने के लिए एक पूरा का पूरा वीडियो तक बना दिया कि कैसे भारत में लोकतंत्र नहीं बल्कि तानाशाही है। भारत पहुँचे ध्रुव राठी को रवीश कुमार जैसों ने हाथोंहाथ लिया। इसी तरह राजदीप सरदेसाई वर्षों से प्रोपेगंडा में लगे हुए हैं। पहले 2002 के गुजरात दंगों को लेकर नरेंद्र मोदी को घेरते रहे, उसके बाद पीएम द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस न किए जाने पर उन्हें ‘हिटलर’ साबित करने पर तुले।
समस्या ये है कि आज के ज़माने में जब टीवी, YouTube और सोशल मीडिया से लेकर तमाम प्लेटफॉर्म उपलब्ध हैं अपनी बात रखने के लिए, प्रधानमंत्री का प्रेस कॉन्फ्रेंस करना या न करना कोई मुद्दा ही नहीं है। पीएम मोदी तो रेडियो के जरिए भी कार्यक्रम कर के गाँव-गाँव में जुड़े हुए हैं। पीएम मोदी को नीचा दिखाने के लिए तथाकथित पत्रकारों का यही वर्ग विपक्षी नेताओं को सिर-आँखों पर बिठाता है और उनकी तारीफ करते नहीं थकता है। इनके ‘हीरो’ लगातार बदलते रहते हैं।
मसलन, जब दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की जीत होती है तो राजदीप सरदेसाई की पत्नी सागरिका घोष (जो पत्रकार हुआ करती थीं लेकिन अब TMC से राज्यसभा सांसद बन गई हैं) लिखती हैं कि अनजान लोग एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे हैं। जब उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र में जीतते हैं तो बरखा दत्त को उनका फोटोग्राफी स्किल याद आ जाता है। इसी तरह कभी शरद पवार, कभी नीतीश कुमार तो कभी लालू यादव के लिए मीडिया का ये वर्ग ‘भाट’ की भूमिका में आ जाता है।
अब देखिए, राजदीप सरदेसाई को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री व DMK सुप्रीमो MK स्टालिन के इंटरव्यू का मौका मिला है। मौका मिला है, क्योंकि खुद राजदीप सरदेसाई कह रहे हैं कि 3 सालों के इंतज़ार के बाद उन्हें 3 मिनट का समय दिया गया। वो इंटरव्यू भी 2 मिनट में ही ख़तम हो गया। लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर राजदीप सरदेसाई ने उनसे कुछ सवाल पूछे थे। 3 सालों में पहली बार इंटरव्यू देने वाले नेता को राजदीप सरदेसाई ने तानाशाह नहीं बताया, आखिर क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस चुनाव से पहले अपना प्रथम इंटरव्यू एक तमिल टीवी व्हाइनल ‘Thanthi TV’ को ही दिया है। इससे पता चलता है कि वो देश की क्षेत्रीय विविधता का कितना सम्मान करते हैं, लेकिन राजदीप सरदेसाई ने इस पर दो शब्द नहीं कहे। खैर, एमके स्टालिन ने इस इंटरव्यू में तमिलनाडु में मोदी फैक्टर को नकारते हुए AIADMK को अपना मुख्य प्रतिद्वंद्वी बता दिया। जब इंटरव्यू शुरू होता है, उस समय राजदीप सरदेसाई के चेहरे की ख़ुशी देखने लायक होती है।
जब वो एमके स्टालिन के बारे में बता रहे होते हैं, ऐसा लगता है कि राजदीप सरदेसाई फूले नहीं समा रहे। एमके स्टालिन ने इस इंटरव्यू में तमिलनाडु की सभी 40 सीटें जीतने का दावा किया। उन्होंने तमिलनाडु में अपनी सरकार आने के बाद से सारे वादे पूरे किए जाने का दावा करते हुए कहा कि नई योजनाओं से महिलाओं पर बड़ा प्रभाव पड़ा है, उन्होंने तमिलनाडु में क्लीन स्वीप का दावा किया। उन्होंने पीएम मोदी पर अपने संबोधनों में झूठ फैलाने का आरोप मढ़ दिया।
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राजदीप सरदेसाई ने जब भाजपा द्वारा परिवारवाद और भ्रष्टाचार का आरोप एमके स्टालिन पर लगाए जाने की बात की तो उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड्स का मुद्दा उठा कर कोई जवाब नहीं दिया। जबकि इलेक्टोरल बॉन्ड्स का सारा डेटा सार्वजनिक है, किस पार्टी को कितना चंदा मिला सबको पता है अब। जिस ‘फ्यूचर गेमिंग’ कंपनी को लेकर बवाल किया जा रहा था, बाद में पता चला कि सबसे ज्यादा चंदा उसने DMK को ही दिया है। इस सूची में सारे दल हैं, सिर्फ भाजपा ही नहीं।
Exclusive: ‘There is no Modi factor in TN.. AIADMK is my main opponent here.. will win all 40 seats.. ‘ in his first interview in 3 years. (Albeit only 3 minutes).. TN CM and DMK leader, @mkstalin on the 2024 battle.. listen in #ElectionsOnMyPlate https://t.co/3x6rPZjMEt
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) April 5, 2024
सबसे बड़ी बात आप देखिए, इस इंटरव्यू में राजदीप सरदेसाई ने तमिलनाडु में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई को लेकर कोई सवाल नहीं किया तो राज्य में एक नए नेता के रूप में उभर रहे हैं। कभी IPS रहे अन्नामलाई की आज तमिलनाडु में इतनी लोकप्रियता है कि राष्ट्रीय चैनलों पर उनकी बातें होती हैं। उन्हें अक्सर पदयात्रा, रैलियों और भाजपा कार्यकर्ताओं के सम्मेलनों में देखा जाता है। वो जम कर मेहनत कर रहे हैं। लेकिन, राजदीप सरदेसाई ने MK स्टालिन के सामने उनका नाम तक नहीं लिया कि कहीं वो नाराज़ न हो जाएँ।
3 साल, 2 मिनट का इंटरव्यू। अब बेचारे राजदीप सरदेसाई भी क्या करते, क्या-क्या पूछते भला। ये अलग बात है कि वो इस 2 मिनट के इंटरव्यू से भी प्रफुल्लित हैं क्योंकि सामने एक विपक्षी नेता है। सोशल मीडिया पर एमके स्टालिन को वो तानाशाह नहीं बताएँगे, क्योंकि वो भाजपा से नहीं हैं। और हाँ, इस वीडियो में कई बार कट्स भी हैं। 2 मिनट के वीडियो में भी कई कट्स। राजदीप सरदेसाई से लोग अब ये भी पूछ रहे हैं कि उन्हें लंच में क्या मिला? केरल के CM पिनाराई विजयन के साथ उन्होंने मछली खाते हुए उनका इंटरव्यू लिया था।
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और तो और, उन्होंने ममता बनर्जी से इसीलिए पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा को लेकर सवाल नहीं पूछे थे, क्योंकि फिर उन्हें रसगुल्ला खाने को नहीं मिलता। वो तो बाद में पता चला कि ‘रसगुल्ला’ का इस्तेमाल कभी कभी राजयसभा सांसदी के पर्याय के रूप में भी किया जा सकता है। राजदीप सरदेसाई अक्सर विपक्षी नेताओं को लेकर आश्वस्त रहते हैं कि उनकी जीत होगी। पत्नी राज्यसभा सांसद हैं, लेकिन खुद के निष्पक्ष होने का दावा करना नहीं छोड़ते वो।
राजदीप सरदेसाई का एक और वीडियो देखिए। इसमें वो AIADMK-SDPI के चुनावी अभियान में ढोल बजा रहे हैं। इस वीडियो में उन्हें ‘उछलते हुए ‘लगभग’ उछलने की मुद्रा में देखा जा सकता है। यानी, एक राजनीतिक दल के कार्यक्रम में ढोलक बजा कर भी वो ‘निष्पक्ष’ हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन-कल्याणकारी योजनाओं को लेकर कोई एक शब्द भी कह दे तो वो ‘गोदी मीडिया’ हो जाता है। पत्रकारों का ये गिरोह पिछले कई वर्षों से इसी खेल में लगा हुआ है।
Drummer boy plays the music as shoot begins for Final season of #ElectionsOnMyPlate from battleground Tamil Nadu: what seems to have become an election show that many have been waiting for! 👍😊 pic.twitter.com/mTSiynCdnW
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) April 5, 2024
ये तो कुछ भी नहीं है, 2020 में दिल्ली में हुए विधानसभा चुनावों में AAP की जीत के बाद वो इतने ज्यादा खुश हो गए थे कि न्यूज़ चैनल के स्टूडियो में ही डांस करने लगे। जब भाजपा की जीत होती है तब पत्रकारों का ये समूह मातम का माहौल बना कर रखता है। क्या इनसे हम निष्पक्ष समाचार की अपेक्षा कर सकते हैं? पत्रकारिता की पुच्छी में आग लगाने का काम तो उनके लिए नया नहीं है, विपक्ष के लिए डांस दिखाया था और अब ढोल भी बजा रहे हैं।