जनसंदेश लखनऊ के कर्मचारियों को विनीत मौर्या नहीं दे रहे वेतन
एनआरएचएम घोटाले के आरोपी पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा का अखबार कहे जाने वाला जनसंदेश टाइम्स लखनऊ में वेतन के लाले पड़े हैं। कुछ गिनती के कर्मचारी बचे होने के बावजूद तीन-तीन माह से वेतन नहीं मिल रहा हैं। महाप्रबंधक नौकरी छोड़ कर जा चुके कर्मचारियों का वेतन देने में आनाकानी कर रहे हैं। यही वजह है कि जनसंदेश के एक पूर्व कर्मचारी ने पिछले दिनों लखनऊ कार्यालय में जमकर हंगामा किया। इसके बावजूद महाप्रबंधक हठधर्मिता पर उतारू हैं। छोटी-मोटी कंपनी में एमआर की नौकरी करने वाले विनीत मौर्या को जब से लखनऊ यूनिट की जिम्मेदारी सौंपी गई है, इसकी हालत और खस्ता हो गई है। कहा तो यह भी जा रहा है कि विज्ञापन के पैसे की जमकर बंदरबांट हो रही है। विनीत अपने पसंसीदा विज्ञापन मैनेजर को रख रखा है, जबकि मालिकान भी इन्हें हटाने के लिए कई बार कह चुके हैं। फिर भी अपने फायदे के लिए विनीत विज्ञापन मैनेजर मेहरबान हैं। वहीं संपादकीय में भी शोषण जारी है। एक-एक उपसंपादक से कई-कई पन्ने बनवाए जा रहे हैं। यदि कोई कर्मचारी इसके विरोध में आवाज उठाने की कोशिश करता है तो उसे नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है।
जब संपादकीय प्रभारी ही कर्मचारियों के शोषण पर उतारू हो तो प्रबंधन का हौसल बढ़ जाता है। हालत यह है कि सरकारी विज्ञापन के सहारे चलने वाला जनसंदेश केवल फाइल कापी तक सीमित होकर रह गया है। चंूकि बाब सिंह कुशवाहा की पत्नी शिवकन्या कुशवाला से प्रदेश में सत्तारूढ़ सपा के टिकट से गाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ता था, इसलिए मुख्यमंत्री अखिलेख यादव की दयादृष्ठि भी जनसंदेश पर बनी रहती है। यही वजह है कि यहां का प्रबंधन बेलगाम हो गया है। मजीठिया की बात जनसंदेश में करना किसी सपने से कम नहीं है।