मोहम्मद जुबैर के खिलाफ FIR, भारत की एकता-अखंडता को खतरे में डालने का मामला: UP पुलिस ने हाई कोर्ट को बताया

मोहम्मद जुबैर के खिलाफ यह FIR उदिता त्यागी ने दर्ज करवाई है। जुबैर पर आरोप है कि उसने डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती का एक पुराना वीडियो साझा किया और मुस्लिम भीड़ को भड़काया। इस वीडियो में कथित तौर पर यति नरसिंहानंद ने इस्लाम के पैगम्बर मोहम्मद का अपमान किया था।

मोहम्मद जुबैर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से राहत माँगी है

उत्तर प्रदेश पुलिस ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को बताया है कि उसने फर्जी खबरें फैलाने वाले तथाकथित फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर पर भारत की एकता और अखंडता को नुकसान पहुँचाने के लिए मामला दर्ज किया है। यह जानकारी जुबैर के मामले की जाँच कर रहे यूपी पुलिस के अफसर ने दी है।

एफआईआर यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी की ओर से दर्ज शिकायत के अनुसार दर्ज की गई है. इसमें दावा किया गया है कि जुबैर ने 3 अक्टूबर को नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम का वीडियो क्लिप पोस्ट किया. इसके जरिए एक समुदाय के लोगों को उकसाने का आरोप लगा था.

कोर्ट ने गत 25 नवंबर को मामले के विवेचक को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. इसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया कि जुबैर के खिलाफ कौन सी आपराधिक धाराएं लगाई गईं हैं. विवेचक की ओर से बताया गया कि एफआईआर में बीएनएस की धारा 152 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 जोड़ी गई है.

जुबैर के खिलाफ एफआईआर शुरू में बीएनएस की धारा 196 (धार्मिक आधार पर अलग-अलग समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 228 (झूठे साक्ष्य का निर्माण), 299 (धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए जान-बूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य), 356(3) (मानहानि) और 351(2) (आपराधिक धमकी के लिए सजा) के तहत दर्ज की गई थी.

जुबैर ने याचिका में कहा है कि उनका एक्स पोस्ट यति नरसिहानंद के खिलाफ हिंसा का आह्वान नहीं करता है. उन्होंने केवल पुलिस अधिकारियों को नरसिंहानंद के बारे में सूचित किया था. कानून के अनुसार कार्रवाई की मांग की थी. यह दो वर्गों के लोगों के बीच असामंजस्य या बुरी भावना को बढ़ावा देने का कारण नहीं बन सकता है.

बता दें कि घटना बुलंदशह के सिकंदराबाद में 4 अक्टूबर को जुमे की नमाज के बाद बवाल हो गया था. इसके बाद सहारनपुर समेत यूपी के अन्य जिलों में भी मुस्लिम समाज के लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया था. गाजियाबाद के लोहियानगर में 29 सितंबर को एक कार्यक्रम में डासना देवी मंदिर के महंत व जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद ने कथित रूप से पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी की थी.

यूपी पुलिस ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को दिए गए एक हलफनामे में बताया है कि उसने भारतीय न्याय संहिता की अलग-अलग धाराओं में मोहम्मद जुबैर के खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह धाराएँ समुदायों में वैमनस्य बढ़ाने, सबूत के साथ छेड़छाड़ और मानहानि समेत धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने से सम्बन्धित हैं। उस पर आईटी एक्ट की धाराएँ भी जोड़ दी गई हैं।

यह हलफनामा देने का आदेश हाई कोर्ट ने 25 नवम्बर, 2024 को हुई पिछली सुनवाई को दिया था। पुलिस ने बुधवार (27 नवम्बर, 2024) को यह हलफनामा कोर्ट को सौंपा है। मोहम्मद जुबैर इस मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुँचा है।

मोहम्मद जुबैर के खिलाफ यह FIR उदिता त्यागी ने दर्ज करवाई है। जुबैर पेर आरोप है कि उसने डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती का एक पुराना वीडियो साझा किया और मुस्लिम भीड़ को भड़काया। इस वीडियो में कथित तौर पर यति नरसिंहानंद ने इस्लाम के पैगम्बर मोहम्मद का अपमान किया था।

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इस वीडियो को डाले जाने के बाद मुस्लिम भीड़ डासना मंदिर के बाहर इकट्ठा हुई और बवाल काटा। देश के बाकी कई हिस्सों में भी मुस्लिमों ने खूब हंगामा किया। कई जगह पर ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगाए गए। इन हमलों में कई पुलिसवाले भी घायल हुए थे।

उदिता त्यागी ने इस मामले में मोहम्मद जुबैर पर कार्रवाई की माँग की है। उदिता त्यागी यति नरसिंहानंद सरस्वती फाउंडेशन की अध्यक्ष हैं। उदिता त्यागी ने इस मामले पर कहा है कि अगर उत्तर प्रदेश के सरकारी वकीलों ने सही पक्ष रखा तो मोहम्मद जुबैर को जेल जाने से कोई नहीं बचा पाएगा।

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