उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सुरक्षा में तैनात इंस्पेक्टर अखिलेश उमराव जेब में हाथ डाले ही खड़े खड़े गिरे, वहीं मुख्यमंत्री आवास पर ही मौत
तो मसला यह है कि आज को जी लीजिए। ज्यादा उछल कूद करने की जरूरत नहीं है। दुःख, निराशा, नाराजगी, शिकायत या किसी भी नकारात्मक इमोशंस की जिंदगी में दूर दूर तक कोई जगह नहीं होनी चाहिए। थोड़ा समता भाव रहे। हम किसी को दुःख न पहुँचाएँ। अगर ज्यादा खुश होंगे तो कोई बेवजह झटका ऐसा मिल जाएगा कि आप तर्क लगाते रहिए कि स्याला ये कौन सी मुसीबत सर पर आ गई!
अखिलेश करीब 50 साल के थे। उनको न बीपी था, न शुगर था, न लिवर प्रॉब्लम थी, न किडनी प्रॉब्लम थी, न हार्ट की कोई प्रॉब्लम थी। चिकित्सा मानकों, स्वास्थ्य मानकों पर एकदम 100% फिट थे।
सत्येंद्र पी एस-
मुझको यारों ने नहला के कफना दिया
दो घड़ी भी न बीती कि दफना दिया
कौन करता है गम, टूटते ही ये दम
कर दिया इंतजाम आखिरी आखिरी…
अखिलेश करीब 50 साल के थे। उनको न बीपी था, न शुगर था, न लिवर प्रॉब्लम थी, न किडनी प्रॉब्लम थी, न हार्ट की कोई प्रॉब्लम थी। चिकित्सा मानकों, स्वास्थ्य मानकों पर एकदम 100% फिट थे।
उनकी नौकरी पाने से लेकर रोजाना की तमाम कहानियां हैं। किस तरह आनन फानन में उनका विवाह हुआ था और वह अपनों पर किस कदर आंख मूंदकर भरोसा करते थे, वह सब कहानियां बनकर रह गईं। योगी जी को बहुत मानते थे और जॉब प्रोफ़ाइल बहुत शानदार थी। घर से सम्पन्न थे। अच्छी खासी प्रोपर्टी के मालिक थे। और ऐसे अचानक डेथ हुई कि पता भी नहीं चला, शायद डॉक्टरों ने हार्ट अरेस्ट वजह बताई है। और साढ़े 12 बजे जब रात को उनका शव लाया गया तो उनके 5 मंजिले आलीशान मकान में उनका शव नहीं उतारा गया। एम्बुलेंस में ही बाहर डेड बॉडी पड़ी रही।
अभी कल ही दो मित्रों से बात हो रही थी कि यह जितना हम फिजिकल असेट जुटाते हैं, इसकी कोई वैल्यू नहीं है। यह सब साथ नहीं देता, काम नहीं आता। हम कहीं और से संचालित हो रहे हैं और हमको घण्टा कुछः नहीं पता होता है।
उनको समझ में नहीं आया और उनका कहना था कि यहः न होने का सुख मुझे तब लगेगा जब कार और मकान खरीद लूंगा। सचमुच यह वंचित लोगों का दर्शन नहीं है कि भौतिक सम्पदाओं में सुख नहीं है, वंचित लोग तो इन चीजों के इंतजाम में ही जिंदगी काट देते हैं!
मुकेश अम्बानी इतना सोना चांदी हीरा जवाहरात खरीद सकते हैं कि उनकी पत्नी क्या, उनके बाल बच्चे उन्ही गहनों में दब जाएं, लेकिन उनको यह दिखाना पड़ रहा है, वह सम्पन्न नहीं हैं।
मेरे एक बहुत अजीज मित्र से मैंने इनडायरेक्ट में पूछा कि भाई आप मुझे क्यों प्यार करते हैं? मेरे पास कुछ नहीं है, धन, सम्पदा, ज्ञान। आपके पास महंगी गाड़ी है, स्कूल कॉलेज है, अपनी कम्पनी है, मैं क्या हूँ? यही सब अंदर ही अंदर मेरे दिमाग मे चल रहा था।
पता नही क्या उनके दिमाग मे था, उन्होंने कहा कि मैंने ईश्वर को नहीं देखा, लेकिन मैं जब भी आपको पढ़ता हूँ, सोचता हूँ तो लगता है कि आप ईश्वर के करीब हैं!
उसने बगैर किसी कारण ऐसी स्थिति पैदा कर दी कि मैं उस दिन से अभी तक सदमे से बाहर नहीं निकल पा रहा हूँ। ईश्वर ने बेवजह ऐसा कारण खड़ा कर दिया, उस कारण का कोई सिर पैर नहीं, उसका वास्तव में कोई अस्तित्व नहीं कि उसे कोई वजह मानी जाए। लेकिन ईश्वर को मुझे औकात दिखानी थी, उसने कारण पैदा कर दिया कि ले बेटा छटपटा। इतना लात खाकर भी नहीं सुधरा तो देख, बेवजह तुमको किस तरह पागल कर सकता हूँ।
अखिलेश जी का जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। योगी जी के लिए भी कम से कम इतनी व्यक्तिगत क्षति है ही कि उतना वफादार सिक्योरिटी इंचार्ज उन्हें ढूंढना पड़ेगा। लेकिन यही जीवन है। हम सब उन्हें सिर झुकाकर विनम्र श्रद्धांजलि ही दे सकते हैं। इससे ज्यादा हमारी क्या औकात है?
इस सारे जमाने में यही प्यारी बात है…….