देशभर में पत्रकारों पर हमले की हुईं इतनी घटनाएं, सूची में ये उत्तर प्रदेश है नंबर-1
देश के विभिन्न हिस्सों पर पत्रकारों पर हमलों की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। पत्रकार कितने असुरक्षित हैं, इस बात का अंदाजा हाल ही में राज्यसभा में बताए गए आंकड़ों से लगाया जा सकता है। देशभर में पिछले 2 वर्षों में पत्रकारों पर हमलों की लगभग 150 घटनाएं सामने आईं हैं, जिनमें से सबसे अधिक यूपी में हैं। यहां पत्रकारों के हमले के 64 मामले सामने आए हैं, जबकि मध्य प्रदेश में ये संख्या 7 है। वहीं हैरानी की बात ये है कि पश्चिम बंगाल सरकार इस तरह के आंकड़े केंद्र सरकार को भेजती ही नहीं है।
यह जानकारी हाल ही में राज्यसभा में गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने पूरक प्रश्नों के जवाब में दी। उन्होंने बताया कि पत्रकारों पर हमलों के साल 2014 में 114 और 2015 में 28 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 2014 में 32 और 2015 में 41 लोगों को गिरफ्तार किया गया। हांलाकि इनमें पश्चिम बंगाल की घटनाएं शामिल नहीं हैं, क्योंकि राज्य सरकार केंद्र को इस तरह के आंकडें उपलब्ध नहीं कराती।
उन्होंने बताया कि केन्द्र शासित प्रदेशों में भी पिछले 2 वर्षों में पत्रकारों पर हमले की कोई घटना सामने नहीं आई।
गृह राज्य मंत्री ने कहा कि पत्रकारों पर हमले की सबसे अधिक 64 घटनाएं उत्तर प्रदेश में हुईं हैं, जिनमें से 63 घटनाएं 2014 में और केवल एक घटना साल 2015 में हुई। वर्ष 2014 में पत्रकारों पर हमले की बिहार में 22, मध्य प्रदेश में 7, महाराष्ट्र में 5, आन्ध्र प्रदेश में 4 और गुजरात में 3 घटनाएं हुईं।
उन्होंने कहा कि पत्रकारों पर हमले के मामले भारतीय दंड संहिता की धारा 325, 326 ,326 क और 326 ख के तहत दर्ज किए जाते हैं। मौजूदा कानूनों में पत्रकारों सहित सभी नागरिकों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त प्रावधान हैं।
अहीर ने भारत को पत्रकारों के लिए खतरनाक देश मानने से इनकार किया और कहा कि पत्रकारों की सुरक्षा से जुड़ा मामला राज्य सरकारों का है और ऐसी कोई शिकायत नहीं मिलती कि पत्रकारों पर हमलों के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में कोई आनाकानी की जाती है।
उन्होंने कहा कि पत्रकारों के लिए किसी विशेष सुरक्षा नीति का फिलहाल कोई विचार नहीं है और मौजूदा कानून पत्रकारों सहित नागरिकों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त हैं।