ये हैं वो पत्रकार जो केजरीवाल के हाथों ‘बिक’ गए!
यह बात अक्सर होती है कि अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के कई पत्रकारों को ‘खरीद’ लिया है। हो सकता है कि आप इस बात पर भरोसा नहीं करते हों, लेकिन पत्रकारों की वो लिस्ट सामने आई है, जिन्हें सरकार बनते ही दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी में घुसा दिया गया था। ये वो पत्रकार हैं, जिन पर आरोप है कि उन्होंने पूरी वफादारी के साथ आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल का महिमामंडन किया। सिर्फ कॉलेजों की कमेटी ही नहीं, इन्हें दूसरे कई फायदे भी पहुंचाए गए। पत्रकारों के नामों के खुलासे ने दिल्ली की पूरी मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दिल्ली यूनिवर्सिटी की इस लिस्ट में तमाम अखबारों, टीवी चैनलों में काम करने वाले हिंदी और अंग्रेजी के जर्नलिस्ट शामिल हैं। लिस्ट में सबसे ज्यादा पत्रकार टाइम्स ग्रुप के हैं। इसके अलावा एनडीटीवी और ज़ी न्यूज़ के रिपोर्टर भी फायदा पाने वालों की लिस्ट में शामिल हैं।
1. नेहा लालचंदानी:टाइम्स ऑफ इंडिया में रिपोर्टर हैं। केजरीवाल सरकार ने उन्हें गार्गी कॉलेज की गवर्निंग बॉडी में नॉमिनेट किया था। आम आदमी पार्टी के वॉलेंटियर उन्हें अपना समर्थक मानते हैं। नेहा आम तौर पर ऐसी खबरें करने के लिए जानी जाती हैं जिनसे आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं का नजरिया जाहिर होता हो।
2. अभिषेक सक्सेना: सीएनएन-आईबीएन चैनल के साथ जुड़े हुए हैं। अभिषेक को भी गार्गी कॉलेज की गवर्निंग बॉडी में एंट्री मिली थी।
3. अभय कुमार दुबे: इन्हें आप अच्छी तरह पहचानते होंगे। किसी मीडिया संस्थान से सीधे तौर पर नहीं जुड़े हैं। लेकिन तमाम न्यूज़ चैनलों पर स्वतंत्र पत्रकार की हैसियत से आते हैं। अभय कुमार दुबे को न्यूज चैनल और अखबार वाले भले ही पत्रकार बताते हैं, लेकिन लोगों की नज़र में वो आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता से भी बढ़कर हैं। शायद इनाम के तौर पर उन्हें केजरीवाल ने दिल्ली कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड आर्ट्स के गवर्निंग में एंट्री दिलाई।
4. रजनीश आहूजा: एबीपी न्यूज में काम करते हैं। इनकी जिम्मेदारी खबरों के चुनाव की होती है। हमने एबीपी न्यूज़ में रजनीश आहूजा के साथ काम करने वाले कुछ लोगों से बात की। उन सभी का कहना था कि वो ऐसी खबरों को दबाने की कोशिश करते हैं, जिनसे केजरीवाल सरकार को दिक्कत हो। दफ्तर में लोग उन्हें आप समर्थक के तौर पर देखते हैं। रजनीश का नाम दिल्ली कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड आर्ट्स के बोर्ड में है।
5. एमके वेणु: प्रिंट मीडिया के काफी सीनियर जर्नलिस्ट हैं। कई बड़े मीडिया संस्थानों में ऊंचे पदों पर रहे हैं। केजरीवाल की कृपा पाने के वक्त वो द हिंदू अखबार में थे। उन्हें भास्कराचार्य कॉलेज के बोर्ड में जगह मिली थी।
6. सुकेश रंजन: न्यूज24 चैनल के तेज़-तर्रार रिपोर्टर हैं। फिलहाल चैनल में ब्यूरो चीफ हैं। आम तौर पर सरकारों के खिलाफ खबरों के लिए जाने जाते रहे हैं। लेकिन आम आदमी पार्टी के चकाचौंध से बच नहीं पाए। अन्ना आंदोलन के बाद के दौर में उन्होंने लंबे वक्त तक ऐसी खबरें की हैं, जिनकी वजह से उन पर आप समर्थक पत्रकार होने का ठप्पा लगता रहा है। केजरीवाल ने उन्हें कमला नेहरू कॉलेज के बोर्ड में फिट करवाया।
7. शरद शर्मा: एनडीटीवी इंडिया की तरफ से आम आदमी पार्टी और सरकार कवर करते हैं। कई बार उनका लहजा AAP के प्रवक्ता जैसा लगता है। हालांकि मौके-बे-मौके उन्होंने नेगेटिव रिपोर्टिंग भी की है। आम आदमी के वॉलेंटियर्स के बीच उन्हें ‘फ्रेंड जर्नलिस्ट’ के तौर पर देखा जाता है। जबकि इसी बीट पर इसी चैनल के एक दूसरे रिपोर्टर को केजरीवाल समर्थक फूटी आंख भी पसंद नहीं करते। शरद को भी कमला नेहरू कॉलेज में घुसाया गया।
8. सबा नकवी: किसी मीडिया संस्थान में फिलहाल नौकरी तो नहीं कर रहीं। लेकिन तमाम चैनलों और अखबारों में इनका चेहरा दिखता रहता है। इन्हें भी कमला नेहरू कॉलेज में फिट किया गया था। वैसे सबा नकवी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के समर्थन में अपनी राय कभी छिपाती नहीं हैं।
9. विक्रांत यादव: विक्रांत IBN7 चैनल में काम करते हैं। अरविंद केजरीवाल इनके ट्वीट्स को अक्सर रीट्वीट करते रहते हैं। इनकी पहचान एक मेहनती पत्रकार की रही है, लेकिन 2013 के बाद से इनकी कई रिपोर्ट्स पर ‘झाड़ू’ का असर दिखने लगा था। आम आदमी पार्टी के वॉलेंटियर उन्हें ‘अपना आदमी’ मानते हैं। केजरीवाल सरकार ने उन्हें महर्षि वाल्मिकी कॉलेज के गवर्निंग बोर्ड का मेंबर बनवाया।
10. भाषा सिंह: आउटलुक मैगजीन में काम करती हैं। मीडिया में इन्हें कट्टर वामपंथी के तौर पर जाना जाता है। अपनी मैगजीन से लेकर सोशल मीडिया तक ज्यादातर मोदी विरोधी खबरों पर इनका जोर रहता है। आम आदमी पार्टी के लिए भी इन्होंने जमकर पॉजिटिव रिपोर्टिंग की। इनाम के तौर पर इन्हें महर्षि वाल्मिकी कॉलेज के गवर्निंग बोर्ड में शिक्षाविद के तौर पर एंट्री दिला दी गई।
11. अनिल कुमार दुबे: केजरीवाल की कृपा दूरदर्शन के पत्रकारों पर भी बरसी। उनका नाम महाराजा अग्रसेन कॉलेज के बोर्ड की लिस्ट में देखा जा सकता है। फिलहाल अनिल दूरदर्शन की नौकरी छोड़कर एबीपी न्यूज़ में आ चुके हैं। पत्रकारिता छोड़कर आप के नेता बन गए कुछ पत्रकारों से अच्छी दोस्ती का भरपूर फायदा इन्हें भी मिला।
12. अनुराज ढांडा: ज़ी न्यूज़ में काम करने वाले अनुराग ढांडा को शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज के गवर्निंग बोर्ड में जगह दी गई। अनुराग ने इससे पहले आजतक चैनल में काम करते हुए ही अरविंद केजरीवाल से काफी नजदीकी बना ली थी। बनारस में केजरीवाल के चुनाव प्रचार के दौरान जब आम आदमी पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं पर हमला हुआ था तो इन्होंने बिना जांच-पड़ताल के ही बता दिया था कि हमला बीजेपी वालों ने किया है। बाद में यह बात गलत निकली थी। ऐसी तमाम खबरों की वजह से वो आम आदमी पार्टी के बीच सबसे लोकप्रिय पत्रकारों में से एक हैं।
13. पूनम पांडेय: नवभारत टाइम्स के लिए रिपोर्टिंग करती हैं। ज्यादातर खबरें खुलकर केजरीवाल, उनकी पार्टी और सरकार के समर्थन में करती हैं। इनकी खबरें भी अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के तमाम छोटे-बड़े नेता रीट्वीट करते हैं। हमने गूगल पर काफी ढूंढा, लेकिन इनकी ऐसी एक भी रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें सरकार के कामकाज को लेकर कोई आलोचना हो। पूनम श्री अरबिंदो कॉलेज के गवर्निंग बोर्ड में एंट्री पाने में सफल रहीं थीं।
केजरीवाल सरकार से फायदा पाने के आरोपी इन पत्रकारों की लिस्ट और भी लंबी है। हालांकि ऐसा नहीं है कि सारे पत्रकार अरविंद केजरीवाल सरकार को प्रिय हैं। दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी कवर करने वाले कई पत्रकार ऐसे भी हैं जो अपनी निष्पक्ष रिपोर्टिंग की वजह से केजरीवाल को बिल्कुल भी पसंद नहीं हैं। फिलहाल प्रिय पत्रकारों की लिस्ट के बाकी नाम आप नीचे डॉक्यूमेंट में देख सकते हैं।
नीचे लिंक पर क्लिक करके आप जुलाई 2015 को जारी दिल्ली यूनिवर्सिटी का वो नोटिफिकेशन देख सकते हैं, जिसमें डीयू के 28 कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी के पुनर्गठन की जानकारी दी गई है।
https://drive.google.com/file/d/0BzbpFYSySNBZOHcwMXRrMGZ0YUk/view?pref=2&pli=1
क्यों अहम है गवर्निंग बोर्ड की सदस्यता?
दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेजों के गवर्निंग बोर्ड टीचरों समेत तमाम दूसरी भर्तियों में गवर्निंग बॉडी के सदस्यों की सीधी दखल होती है। भर्तियों के इस काम में जमकर रिश्वत और भाई-भतीजावाद चलता है। डीयू के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर हमें बताया कि अगर इन कॉलेजों में पिछले एक साल में हुई भर्तियों की जांच कराई जाए तो ही पता चलेगा कि यह घोटाला दरअसल कितना बड़ा है।
हमारी जानकारी के मुताबिक इस लिस्ट के ज्यादातर पत्रकारों ने गवर्निंग बोर्ड की सदस्यता औपचारिक तौर पर मंजूर भी कर ली थी। लेकिन बाद में यह लिस्ट लीक होने पर कुछ पत्रकारों ने अपने संस्थानों के दबाव में आकर इस्तीफा दे दिया है। इस लिस्ट के किसी पत्रकार पर हम अपनी तरफ से कोई आरोप नहीं लगा रहे। ये आरोप दिल्ली विश्वविद्यालय की वेबसाइट और दूसरे आधिकारिक दस्तावेजों के हवाले से हैं। अगर किसी को कोई सफाई देनी है या अपना पक्ष रखना है तो वो हमें [email protected] पर ईमेल भेजकर बता सकता है। उसके पक्ष को भी हम प्रमुखता के साथ जगह देंगे।
फिलहाल सोशल मीडिया पर इन पत्रकारों से लोगों ने सवाल पूछने शुरू कर दिए हैं, जिनके जवाब उनके पास नहीं हैं।
Kya kisi journalist ko uske fav comment k liye university/college ki governing body me HONA thik hai ? #just asking https://t.co/DFBK2ZZbwC
— true indian (@trueindian1978) December 17, 2015
@AmitShahOffice AAP have given 31 journos posts in 28 DU college bodies. That’s why they dominate media https://t.co/HbvAahoS34
— Gautam (@Witcha89) June 2, 2016