आज का पत्रकार बहुत डरा और सहमा हुआ है… न तो उसकी कलम में ताकत बची और न ही मुंह में जुबान!
विधानसभा के सेन्ट्रल हॉल में पत्रकारों के जाने पर लगाई गई रोक पर आवाज़ उठाने के बजाये जिस तरह से गुटबंदी और संगठनबाजी देखने को मिली वह बेहद कष्टप्रद और निराशाजनक थी" खैर जो लड़ते हैं वो एक न एक दिन अपने अंजाम तक पहुंच ही जाते हैं, लेकिन जिन्होंने पहले से ही अपने हथियार डाल दिए हों उनके जीतने की संभावना भी शून्य हो जाती है
आज का पत्रकार बहुत डरा और सहमा हुआ है… न तो उसकी कलम में ताकत बची और न ही मुंह में जुबान! चौथे स्तंभ की इतनी बुरी हालत तो #आपातकाल के दौरान भी देखने को नहीं मिली थी……अलग अलग संगठनों और अपने हितों की वजह से आज का आधुनिक पत्रकार विघटन की वजह से बहुत कमजोर हो गया है…..हम सभी का ईश्वर ही मालिक है!
विधानसभा के सेन्ट्रल हॉल में पत्रकारों के जाने पर लगाई गई रोक पर आवाज़ उठाने के बजाये जिस तरह से गुटबंदी और संगठनबाजी देखने को मिली वह बेहद कष्टप्रद और निराशाजनक थी” खैर जो लड़ते हैं वो एक न एक दिन अपने अंजाम तक पहुंच ही जाते हैं, लेकिन जिन्होंने पहले से ही अपने हथियार डाल दिए हों उनके जीतने की संभावना भी शून्य हो जाती है…..पत्रकार साथियों से साथ आए दिन घटित होने वाली घटनाओं और रोक ने इस चौथे स्तंभ के वजूद पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया है……अगर आप खुद अपनी लड़ाई नहीं लड़ सकते हैं, तो शोषित और वंजितों को आप न्याय क्या दिलवा सकेंगे?
हमें कोई हक़ नहीं है कि हम आदरणीय गणेशशंकर विद्यार्थी, माखनलाल चतुर्वेदी, महावीर प्रसाद द्विवेदी, बाबूराव विष्णुराव पराड़कर, प्रतापनरायण मिश्र, शिवपूजन सहाय, रामवृक्ष बेनीपुरी, बालमुकुन्द गुप्त और विजय सिंह पथिक जैसे दिग्गज पत्रकारों की जमात से खुद का नाम जोड़ कर उनके महान समर्पण और बलिदान का श्रेय ले!😷
अनुपम चौहान
(प्रदेश कोषाध्यक्ष, एनयजे यूपी) 09956387786